बुधवार, 25 जनवरी 2017

मनखे

मनमोहन छंद

मनखे के हे, एक धरम । मनखे बर सब, करय करम
मनखे के पहिचान बनय । मनखेपन बर, सबो तनय

दूसर के दुख दरद हरय । ओखर मुड़ मा, सुख ल भरय
सुख के रद्दा, अपन गढ़य । भव सागर ला पार करय

मनखे तन हे, बड़ दुरलभ । मनखे मनखे गोठ धरब
करम सार हे, नषवर जग । मनखे, मनखे ला झन ठग

जेन ह जइसन, करम करय । तइसन ओखर, भाग भरय
सुख के बीजा म सुख फरय । दुख के बीजा ह दुख भरय

मनखे तन ला राम धरय । मनखे मन बर, चरित करय
सब रिश्ता के काम करय । दूसर के सब, पीर हरय
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