पागा कलगी 25 बर मोरों रचना
छेरछेरा'
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छेरछेरा'
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मया बाटे ले मया मिलथे।
तोर मनके नफरत मिटथे।
तोर मनके नफरत मिटथे।
मन भर दया धरम कमाले।
सफल मनखे जनम बनाले।
सफल मनखे जनम बनाले।
का लेके तय आये जगमें।
का लेके तय जाबे जगसे।
का लेके तय जाबे जगसे।
आगे दान धरम के तिहार।
छेरछेरा नाचे बर तुंहर द्वार।
छेरछेरा नाचे बर तुंहर द्वार।
बड़ महत्त्व हे ए परब छेरछेरा के।
हमर संस्कृति छत्तीसगढ़ धरा के।
हमर संस्कृति छत्तीसगढ़ धरा के।
पूस पुन्नी म बाबा भोला ल मनबो।
मुठा मुठा धान झोला भर पाबो।
मुठा मुठा धान झोला भर पाबो।
कोनों बाजा कोनों घन्टी बजावय।
कतको नाचय पारी पारी गावय।
कतको नाचय पारी पारी गावय।
अरन दरन कोदों दरन गावय।
तभे देबे तभे टरन गावत जावय।
तभे देबे तभे टरन गावत जावय।
मुठा भर देले नइ होवय तुंहर उन्ना कोठी।
असीस हे छेरछेरा के भरे रहय तुंहर कोठी।
असीस हे छेरछेरा के भरे रहय तुंहर कोठी।
झन भुलावव अपन संस्कृति अउ संस्कार ल।
जुरमिल के मनावव संगी छेरछेरा तिहार ल।
जुरमिल के मनावव संगी छेरछेरा तिहार ल।
ज्ञानु'दास' मानिकपुरी
चंदेनी कवर्धा
चंदेनी कवर्धा
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