शनिवार, 16 जनवरी 2016

बदलाव नवासाल मा....रमेश चौहान

बदलाव नवासाल मा, हमला करना एक ।
मनखे हा मनखे लगय, मनखे जइसे नेक ।

मनखे मनखे मारथे, धर जन्नत के चाह ।
वाह वाह ओमन करय, भरय जगत हा आह ।।
कोनो काबर कोखरो, राखे रद्दा छेक । बदलाव नवासाल मा....

गली खोर अउ कोलकी, करबो चाकर साफ ।
बेजाकब्जा ला इहां, करन नहीं अब माफ ।।
आत जात सब ला बनय, रहय न कोनो घेक । बदलाव नवासाल मा....

कोनो किसान मरय मत, चाहे परय दुकाल ।
बूंद बूंद पानी रखब, फसल होय हर हाल ।।
करजा बोड़ी छूटबो, कमा कमा के फेक । बदलाव नवासाल मा....

गोठ सोनहा काल के, कोठी भर भर राख ।
नवा नवा सब गोठ ले, गढ़बो अपने साख ।।
नवासाल मा फेर हम, काटब गुरतुर केक । बदलाव नवासाल मा....

""छत्तीसगढ के पागा कलगी क्र -1"" के परिणाम



संगी हो,
जय जोहार,

छत्तीसगढी कविता के प्रतियोगिता "छत्तीसगढ के पागा कलगी क्र-1" आप सब के सहयोग ले पूरा होइस, ये आयोजन मा पूरा छत्तीसगढ के प्रतिनिधित्व दिखथे चारो कोंटा ले रचना आइस, ये आयोजन मा जतका रचाधर्मी मन के रचना आइस सबो ला ये आयोजन मा हिस्सा ले बर दिल ले आभार । सबो रचना एक ले बढ के एक रहिस "बदलाव नवा साल मा"-ये शीर्षक मंच संचालक श्री सूर्यकांत गुप्ताजी दे रहिन, प्रतियोगिता मा आये रचना के मूल्यांकन हमर मंच निर्णायक मंडल 1-प्रो चंद्रशेखर सिंह, वरिष्ठ साहित्यकार मुंगेली अउ 2 श्री राजकमल राजपूत, वरिष्ठ साहित्यकार, थानखम्हरिया रहिस । रचना के विविध पक्ष विषय के समावेश, छत्तीसगढी संस्कृति भाखा, नवा उदिम सब ला ध्यान मा रखे गिस । केवल रचना के गुणवता ला महत्व दे गीस । अइसे तो सबो रचनाकार के रचना बहुत सुघ्घर रहिस ऐखर बर सबो संगी मन गाडा-गाडा बधाई ।

ये आयोजन के उदृदेश्य कलम के धार ला तेज करना, रचना ला एक नवा दिशा देना, एक दूसर के सहयोग ले सिखना हे । ऐमा जम्मो नवा-जुन्ना साहित्यकार के सहयोग आर्शिवाद मिलत हे, ऐखर बर जम्माझन के आभार ।

अइसने आप सब के सहयोग मिलत रहिही अइसे कामना हे ।

निर्णायक मंडल के निर्णय के अनुसार "छत्तीसगढ के पागा कलगी-1" के पागा ला भाई
श्री देवेन्द्र कुमार ध्रुव (फुटहा करम)
बेलर (फिंगेश्वर )
जिला गरियाबंद
9753524905
ला दे जात हे ।

भाई देवेन्द्र ध्रुव ला गाडा-गाडा बधाई

-::छत्तीसगढ के पागा कलगी क्र-2 के विषय::-

//छत्तीसगढी कविता के प्रतियोगिता//
-::छत्तीसगढ के पागा कलगी क्र-2 के विषय ::-

प्रतियोगिता के समय- 16 जनवरी 2016 ले 31 जनवरी 2016
विषय- "दे गे चित्र के भाव ला अपन शब्द मा गढना"


चित्र देख के आपके मन मा जउन भाव उपजय ओखर ले एक शीर्षक गढ के अपना रचना ला करना हे ।
विधा- विधा रहित
मंच संचालक- श्री सुनिल शर्मा, "छत्तीसगढ के पागा" क्र-2 के विजेता
निर्णायक मण्डल-
1-श्री अरूण निगम, वरिष्ठ साहित्यकार एवं छंदविद
2- श्री संजीव तिवारी, गुरतुर गोठ वेब पत्रिका
संगी हो दे गे विषय मा आप अपन रचना लिख के ओखर उपर "छत्तीसगढ के पागा-कलगी क्र-2" बर रचना लिख के ये मंच मा पोस्ट कर सकत हंव या नीचे पता मा मेल कर सकत हव-
1- rkdevendra4@gmail.com
2-suneelsharma52.ss@gmail.com
या
whatsapp के "छत्तीसगढी मंच" समूह मा पोस्ट कर सकत हंव ।
या
नीचे whatsapp नम्बर मा भेज सकत हॅव -
9977069545
9098889904
7828927284
आशा हे ये नवा प्रारूप मा आप मन के सहयोग मिलत रहिही अउ पहिली ले जादा रचना आही ।
संचालक मण्डल
छत्तीसगढी मंच

शुक्रवार, 15 जनवरी 2016

पागा-कलगी-1// ललित टिकरिहा

"छत्तीसगढ़ के पागा - कलगी क्र. 1"
✏बर मिले रचना✏
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
"बदलाव नवा साल मा"
💬💬💬💬💬💬💬💬-ललित टिकरिहा
लइका सियान जम्मों डीजे
म अमा गे,
मांदर अउ ढोलक हा अब
कहाँ नंदा गे,
मोहरी अउ झुमका ल सुरता
म समा के,
भुला गेन संगी सब सुवा
कर्मा के ताल ला,
अउ मै का बतांव संगी
बदलाव नवा साल मा।
गाँव हां घलो देख के शहर
ला लूहा गे
हाय बाय के चक्कर म राम
राम ला भुला गे,
मया पिरीत हा जम्मो दारू
मउहा संग बोहा गे,
मुड़ धर के रोवत हन सब
आज अपन हाल मा,
अउ मै का बतांव संगी
बदलाव नवा साल मा।
भूख अउ गरीबी म भुंइया
हा बेचा गे,
छत्तीसगढ़ राज ले
छत्तीसगढ़िया सिरा गे,
अपनेच घर ले भागे के दिन
अइसन आगे,
नई देवय कोनो संग इहाँ
गँवइहा के बदहाल मा,
अउ मै का बतांव संगी
बदलाव नवा साल मा।
ये बछर बिन बरसा के चेत
हा परा गे,
किसमत हा हमर ठाढ़े दनगरा
म समा गे,
लदलद ले करजा मा किसान
मन लदा के,
परान ल अपन रोज गँवावत
हे दुकाल मा ,
अउ मै का बतांव संगी
बदलाव नवा साल मा।
अउ का मै बतांव संगी
बदलाव नवा साल मा।
💬💬💬💬💬💬
✏लिखइया ✏
🙏तुँहर संगवारी🙏
ललित टिकरिहा
सिलघट (भिंभौरी)
बेरला ब्लाक
जिला बेमेतरा (छ.ग.)
7354412700
8103603171
दि. 11-01-2016

बुधवार, 13 जनवरी 2016

पागा-कलगी-1// महेश पांडेय मनु

//बदलाव नवा साल मा//

परबुधिया संगी मन ला जगाबो हर हाल म ।
मिलजुल के लाके रहिबो बदलाव नवा साल म ।।
सुम्मत सुनता के डोर म सब बंध जाबो
नइ फंसन अकारथ सुवारथ के जाल म ।।
माटी के लाल हम कर दब जब्बर गोहार
हमर हक छिनैया ह पड़ जही बवाल। म। ।।
नास नसा के करबो रद्दा हम नवा गढ़बो
जगमग होही छत्तीसगढ़ एकता के मसाल म ।।
अपन भाखा औ बोली के मान ला बढ़ाबो हम
नइ आवन मिठलबरा परदेसिया मन के चाल म ।।

-महेश पांडेय मनु

पागा-कलगी-1// देवहीरा लहरी

नवा बछर ---------------------------------- नवा बछर म करव अईसन काम गलत रददा ल छोड़व हो जाही उंचा नाम कई परवार लुटगे जिनगी होगे खराब बात हमर मानव एसो छोड़ देव सराब दारू मऊहा पी के झन करव लड़ाई सुग्घर जिनगी जियव लईका ल करवाव पढ़ाई दाई-ददा के सेवा करके करव अईसे चमत्कार अब कोनो नोनी बहिनी के झन होवय बलात्कार मेहनत मजदूरी करके जांगर टोर कमाबो एसो नवा बछर म सुग्घर जिनगी ल सजाबो महतारी उपर नजर गड़ाही मारबो करबो ओला बेइज्ज काकरो बेटी बहिनी महतारी के अब झन लुटय इज्जत जुरमिल के संग चलव अऊ छोड़व जातिवाद ल माटी के बईरी ल मारव खतम करव आतंकवाद ल नवा बछर म नवा सोच गाड़ी सही रद्दा म चलाव दुख दरद भाग जाही जिनगी म आही बदलाव ------------------------------------------ रचना - देव हीरा लहरी चंदखुरी फार्म रायपुर मोबा :- 9770330338

पागा-कलगी-1// विजय साहू अंजान

बदलाव नवा साल मा

दिन रात जांगर पेरत हे तबले,
थोरको सुख नई जाने,
गरीब के दुख पीरा ल काबर ईहा,
कोनो नई पहिचाने|
कइसे चलही इंकर जिनगी,
अइसन परे दुकाल मा,
ऊंचहा खुरसी के बइठइया मन
थोरकिन बदलव नवा साल मा..बदलव नवा साल मा....
घाम पियास ल तापत रहिथे,
अन्न दाई ल ऊपजाए बर,
जाड़ शीत मा काँपत रहिथे,
हमर कांवरा बिसाय बर...|
अलकरहा फंस गेहे संगी,
मछरी कस गरीबी के जाल मा...
ऊंचहा खुरसी के बइठइया मन,
थोरकिन बदलव नवा साल मा..बदलव नवा साल मा..|
रोज दिन के हर-,हर कट-कट मे,
जी हर घलो कऊवा जाथे,
नान -नान लइका के भूख हा,
अंतस ला रोवा जाथे|
चर्रस ले टूट जाथे सपना,
जियत हे बेहाल मा..
ऊचहा खुरसी के बइठइया मन,
थोरकिन बदलव नवा साल मा....बदलव नवा साल मा|
धान के कटोरा ह घलो अब उना परगे,
संसो मा कतको संगवारी जियत-जियत मरगे|
एसो के अंकाल-दुकाल मा,
इंकर भाग ह संऊहत जरगे..|
बतर किरा कस भुंजा जाही,
बिना काल के काल मा...
ऊंचहा खुरसी के बइठइया मन,
थोरकिन बदलव नवा साल मा..बदलव नवा साल मा..|
खुरसी ले उतरे बर परही,
जिनगी मा इंकर झाँके बर.,
सोंच हमर बदले बर परही,
दुख ला इंकर नापे बर.|
जुरमिल के खोजे मे मिलही,
सुख होही चाहे पाताल मा...
गरब अभिमान ला छोड़के संगी..
थोरकिन बदलव नवा साल मा...बदलव नवा साल मा..|
गिरे परे ल उठाये ल परही भेद -भाव ला मिटाके,
सच ला अंतस मा उतारे ल लागही लालच ल भुलाके|
जिनगी सबके सँवर जाही 'विजय'..
बंधना मे बंधा के एकता के ढाल मा..
ऊंचहा खुरसी के बइठइया मन..
थोरकिन बदलव नवा साल मा..बदलव नवा साल मा..|
रचनाकार
विजय साहू'अनजान'
करसा भिलाई
जिला दुर्ग