मंगलवार, 23 फ़रवरी 2016

पागा कलगी 4//देवेन्द्र कुमार ध्रुव

 //का सरग का नरक मैहर नई जानव// 

काहे दुनो के फरक मैहर नई जानव
हा जिहा सबला मया अउ दुलार मिलथे
सरग के दरवाजा उही घर ले खुलथे...
सब अपन तरक्की के सीढ़ी बनावत हे
सभ्यता संस्कृति ला नवा पीढ़ी भुलावतहे
जेन घर में पहुना ला सत्कार मिलथे
सरग के दरवाजा उही घर ले खुलथे ..
परिवार सुग्घर जिहा मिलके रहिथे
दुःख पीरा ला जिहा सबो मिलके सहीथे
बुजुर्ग सियान ला जिहा आदर मिलथे
सरग के दरवाजा उही घर ले खुलथे ..
सब बर सम्मान जिकर अंतस मा
सबके मदद करे जेन मन संकट मा
जेन मन सब बर मददगार रहिथे
सरग के दरवाजा उही घर ले खुलथे ..
खाली हाथ कभु नई जावन दे कोन्हों ला
तकलीफ कभु नई पावन दे कोन्हो ला
जिहा ले सबला ख़ुशी के उपहार मिलथे
सरग के दरवाजा उही घर ले खुलथे..
जिहा हर कोई देश के सम्मान करथे
अपन संस्कृति के गुणगान करथे
जिहा हर झन बलिदान बर तैयार मिलथे
सरग के दरवाजा उही घर ले खुलथे ..
मीठ बोली सुग्घर मया के भाखा
नई रहय जिहा कोनो कोती निराशा
सुख शांति के जिहा हरदम बयार चलथे
सरग के दरवाजा उही घर ले खुलथे..
रचना
देवेन्द्र कुमार ध्रुव
बेलर जिला गरियाबंद 9753524905

रविवार, 21 फ़रवरी 2016

पागा कलगी भाग-- ४//हेमलाल साहू

पागा रचना 04 बेर मोरो थोकुन परयास
ये सरग के रद्दा ल खोलव
अपन करम मा जीनगी गढ़व।
ये सरग के रद्दा ल खोलव।।
चल रे संगी मोरे चलव।
सच के ये रद्दा ला धरव।।
दाई ददा के जतन ल करव।
गुरु के बताये रद्दा चलव।।
सच के रद्दा टेडगा हवय।
करम करइया बर सरल हवय ।।
सच के रद्दा सरग दिखावय।
पाप के रद्दा नरक ले जावय।।
करम म लेखा जोखा हावय।
जे सरग नरग रद्दा हावय।।
सच बोले अड़बड़ सुख हावय।
जइसन जगा सरग के हावय।।
सच के अंजोर जगमगावय।
तोर सच ला जान गुन गावय।।
देख भगवन तोला भुलावय।
सरग के दुवारी दिखावय।।
अपन करम मा जीनगी गढ़व।
ये सरग के रद्दा ल खोलव।।
हेमलाल साहू

पागा कलगी भाग-- ४//सुखन जोगी


* सरग के सिढ़ही बनाबो *
चलव चलव संगी
जुरमिल के चलव
सरग के सिढ़ही बनाबो
मनखे मनखे ल जोर के
बांध सुनता के डोर मे
चलव चलव संगी
सरग के सिढ़ही बनाबो
जाति पाति ल टोर के
छुआ छूत के मटकी ल फोर के
चलव चलव संगी
सरग के सिढ़ही बनाबो
कोनो मेर रहा हुत करबो जोरसे
मया के तरिया म नहाबो मुड़गोड़ ले
सुनता रइही त बिकास करही
बिकास करहू त देस बढ़ही
हम आज खुद ल आघु बढ़ाबो
चलव चलव संगी
सरग के सिढ़ही बनाबो
फंसे हन धरम के गोठबात म
झगरा होथन जात पात म
भारत मां के बेटा आन
भारत वासी कहाबो
चलव चलव संगी
सरग के सिढ़ही बनाबो
जिनगी अपन हाथ म हे
करम करके सजाबो
सुवारथ ल तियागके
सिच्छा के जोत जलाबो
एक बनो नेक बनो
लइकन ल पढ़हाबो
चलव चलव संगी
सरग के सिढ़ही बनाबो
काबर बइठेंन दुसर के आस म
करबोन सुरू आपन बिसवास म
जेन कइही तेला संगी
कहिके हमन सुनाबो
नइ देखे हे तेला
नइ करें हे जेला
करके हमन बताबो
चलव चलव संगी
सरग के सिढ़ही बनाबो
दिखावा म नइ जावन
बहकावा म नइ आवन
कतको खवा किरिया
हम तो नइ खावन
गलत रद्दा म संगी
हम तो नइ जावन
चला अइसन करबो
नवा सरग सिरजाबो
चलव चलव संगी
सरग के सिढ़ही बनाबो
सुखन जोगी
डोड़की वाले
मो. 8717918364

पागा कलगी क्रमांक 4 //राजेश कुमार निषाद


।। मिलही सरग के द्वार ।।

जावव चाहे मथुरा कांसी
अऊ करलव ग तीरथ हजार।
धक्का मिलही झगड़ा मिलही
अऊ मिलही ग फटकार।
भटकत फिरत तै झिन रह
येला करलव ग इकरार।
सब ले बढ़के दुनिया म ग
हावय दाई ददा के प्यार।
जतन करो दाई ददा के
मिलही ग सरग के द्वार।
कोख ले अपन जनम दिस हमला
लाख लाख पीड़ा ल सहिके।
किसम किसम के भोजन कराईस
अपन लांघन भुखन रहिके।
दाई ददा हावे ग चारो धाम
अऊ इहि ह हमर जीवन के आधार।
जतन करो दाई ददा के
मिलही ग सरग के द्वार।
पालन करिस पोषण करिस
बचा के भूख प्यास ले।
जम्मो दुःख ल दुरिहा रखिस
करकट बिजली चम्मास ले।
अईसन ईश्वर के जे सेवा नई करिस
ओकर जीना हावय ग धिक्कार।
जतन करो दाई ददा के
मिलही ग सरग के द्वार।
रचनाकार ÷ राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद(समोदा)
9713872983

गुरुवार, 18 फ़रवरी 2016

पागा कलगी भाग - ०४// देव हीरा लहरी


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सरग के दूआरी "दाई - ददा"
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दाई-ददा ले मिलय आसिर्बाद
अऊ सियान ले मिले गियान
जिनगी म झन आवय दुख
देवव तुमन ये बात के धियान
हमर बर दुख पीरा सहईया
सब करव मान अऊ सम्मान
येकर मन के मया दुलार
मेहनत तियाग समरपन ल जान
सरग के दूआरी हे दाई-ददा
दुनो के चरण ल पखारंव
बुढ़ापा म सहारा बन के
सुख अऊ सांति ले संवारव
झन जा मथुरा कासी तीरथ
इंकर चरन म हे चारो धाम
दुनो के असिस आसिरबाद ले
बनथे सब के बिगड़े काम
दुनिया म कतको देवता ल मान
धरती के इही मन हे भगवान
वेद पुरान रामायण गीता सास्त्र
सबो जगा हवय येकर परमान
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रचना - देव हीरा लहरी
चंदखुरी फार्म मंदिर हसौद
रइपुर छत्तीसगढ़
मोबा :- 9770330338
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बुधवार, 17 फ़रवरी 2016

पागा कलगी ४// आचार्य तोषण

छत्तीसगढ़ के पागा कलगी ०४
रचना:- सरग के दुवार
दाई ददा के सेवा जतन कर,होही तोर उद्धार जी।
तभे ते पाबे जाये बर, सुघर सरग के दुवार जी॥
अढ़हा केंवट भक्ति करके, राम ल पार लगाइस हे।
अपन संगे संग जम्मो पुरखा, ल रस्दा देखाइस हे।।
करले जोरा मुक्ति पाये के ,झन तै सोच बिचार जी।।
दाई ददा के सेवा जतन कर, होही तोर उद्धार जी।।
रस्दा बनाइसे शबरी दाई ह, मतंग मुनि ल मान के।
सुख्खा बोईर सकेले रिहिस, राम ल कुटिया मा आही जानके।
डोंगा हावे रेटहा परेटहा, अब यहु ल बने संवार जी।।
दाई ददा के सेवा जतन कर, होही तोर उद्धार जी।
तभे ते पाबे जाये बर सुघर, सरग के दुवार जी।।
आचार्य तोषण
सरस्वती शिशु मंदिर
डौंडीलोहारा जिला-बालोद(छ.ग.)४९१७७१
दूरभाष ९६१७५८९६६७

सोमवार, 15 फ़रवरी 2016

‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी 04 के विषय



छत्तीसगढ़ी कविता के प्रतियोगिता ‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी 04 के विषय
 दिनांक-16 फरवरी से 29 फरवरी 2016
विषय- दे गे चित्र के भाव ले विषय लेना हे
विधा - विधा रहित
मंच संचचालक-श्री मिलन मलहरिया (पागा 4 के विजेता)
निर्णायक-श्री सुशिल भोले, रायपुर
एवं श्री  अंजनी कुमार अंकुर, रायगढ़
संगी हो दे गे विषय मा आप अपन रचना लिख के ओखर उपर "छत्तीसगढ के पागा-कलगी क्र-4" बर रचना लिख के ये मंच मा पोस्ट कर सकत हंव या नीचे पता मा भेज सकत हव-
1- rkdevendra4@gmail.com
2-suneelsharma52.ss@gmail.com
3- whatsapp-9977069545
4-whatsapp-+917828927284
5-whatsapp-+919098889904
6whatsapp 9770330338
आशा हे ये नवा प्रारूप मा आप मन के सहयोग मिलत रहिही अउ पहिली ले जादा रचना आही ।