रविवार, 21 फ़रवरी 2016

पागा कलगी भाग-- ४//हेमलाल साहू

पागा रचना 04 बेर मोरो थोकुन परयास
ये सरग के रद्दा ल खोलव
अपन करम मा जीनगी गढ़व।
ये सरग के रद्दा ल खोलव।।
चल रे संगी मोरे चलव।
सच के ये रद्दा ला धरव।।
दाई ददा के जतन ल करव।
गुरु के बताये रद्दा चलव।।
सच के रद्दा टेडगा हवय।
करम करइया बर सरल हवय ।।
सच के रद्दा सरग दिखावय।
पाप के रद्दा नरक ले जावय।।
करम म लेखा जोखा हावय।
जे सरग नरग रद्दा हावय।।
सच बोले अड़बड़ सुख हावय।
जइसन जगा सरग के हावय।।
सच के अंजोर जगमगावय।
तोर सच ला जान गुन गावय।।
देख भगवन तोला भुलावय।
सरग के दुवारी दिखावय।।
अपन करम मा जीनगी गढ़व।
ये सरग के रद्दा ल खोलव।।
हेमलाल साहू

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