रविवार, 21 फ़रवरी 2016

पागा कलगी भाग-- ४//सुखन जोगी


* सरग के सिढ़ही बनाबो *
चलव चलव संगी
जुरमिल के चलव
सरग के सिढ़ही बनाबो
मनखे मनखे ल जोर के
बांध सुनता के डोर मे
चलव चलव संगी
सरग के सिढ़ही बनाबो
जाति पाति ल टोर के
छुआ छूत के मटकी ल फोर के
चलव चलव संगी
सरग के सिढ़ही बनाबो
कोनो मेर रहा हुत करबो जोरसे
मया के तरिया म नहाबो मुड़गोड़ ले
सुनता रइही त बिकास करही
बिकास करहू त देस बढ़ही
हम आज खुद ल आघु बढ़ाबो
चलव चलव संगी
सरग के सिढ़ही बनाबो
फंसे हन धरम के गोठबात म
झगरा होथन जात पात म
भारत मां के बेटा आन
भारत वासी कहाबो
चलव चलव संगी
सरग के सिढ़ही बनाबो
जिनगी अपन हाथ म हे
करम करके सजाबो
सुवारथ ल तियागके
सिच्छा के जोत जलाबो
एक बनो नेक बनो
लइकन ल पढ़हाबो
चलव चलव संगी
सरग के सिढ़ही बनाबो
काबर बइठेंन दुसर के आस म
करबोन सुरू आपन बिसवास म
जेन कइही तेला संगी
कहिके हमन सुनाबो
नइ देखे हे तेला
नइ करें हे जेला
करके हमन बताबो
चलव चलव संगी
सरग के सिढ़ही बनाबो
दिखावा म नइ जावन
बहकावा म नइ आवन
कतको खवा किरिया
हम तो नइ खावन
गलत रद्दा म संगी
हम तो नइ जावन
चला अइसन करबो
नवा सरग सिरजाबो
चलव चलव संगी
सरग के सिढ़ही बनाबो
सुखन जोगी
डोड़की वाले
मो. 8717918364

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें