सोमवार, 13 जून 2016

पागा कलगी-11//हेमलाल साहू

कल्पना, किरण बेदी कस, नोनी ला उड़ान दौ।
पढ़ा लिखा के अब नोनी ला, सुघ्घर संस्कार दौ।।
लछमी होथे नोनी घर के, ओला अपन मान दौ।
बाबू कस नोनी ला संगी, समाज म अधिकार दौ।।
नोनी बाबू एक हवे जी, सबला जगत आन दौ।
अपन दुवा भेदी ल मिटा के, सबला ग सम्मान दौ।।
रानी लछ्मी बाई कस अब, नोनी ल तलवार दौ।।
दुर्गा काली चण्डी कस अब, नोनी ला हुंकार दौ।।
हेम करत गोहार हवे, नोनी ला बने दुलार दौ।
सुघ्घर समाज ला लाये बर, ज्ञान ला भरमार दौ।।
पढ़े लिखे हमार समाज हा, नवा अपन बिचार दौ।
पढ़ा लिखा के अब नोनी ला, सुघ्घर संवार दौ।।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़ जिला बेमेतरा
मो. नम्बर 9977831273

पागा कलगी-11 बर//अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

स्कूल हवय तीरे तीर मा गुरूजी हवय सबे जगहा ,
स्कूल के आदि है सबे मनखे मन के गोठ ले पगहा ।
नरक तो भगवान मेरान होथे कहते हवय मनखे मन ,
बिटिया के नरक तो बिन पढ़ई बिहाव से होत हवय ।।
बेटियां की जिन्दगी गुजरत हवय बड़े दुःख अउ संघर्ष मा ,
ना तो स्कूल जाये बर बोलते कोई ना ही संस्कार देथे ।
बेटी के उमर होते 18साल तहले स्कूल नाही भेजता हवय ,
बड़के मन ओला कुछु सीखे के बेरा मा कर देथे ओखर बिहाव ।।
बेटी में जतका संस्कार होथे ओहा पूरा गढ़ते हावय ,
नही ता आज अबड़ मनखे मन बिन संस्कार के होतीन ।
दूत बनके आथे बेटी मन हा दुनिया ला गढ़े बर ,
बिटिया के बिन तो दुनिया अजनबी हवय बरोबर हे।।
बेटी मनके पढ़ाई मा जोर देना हवय ,
तभे दुनिया मा पढ़ाई बरोबर रहाई ।
संस्कार ले घर परिवार सुघ्घर बसथे ,
दुनिया मा संस्कार अउ पढ़ाई बने हे ।।
-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"
"बेटी की भविष्य अब हमारे पक्ष से बढ़कर हैं अनमोल हीरे की तरह बेटी की पढ़ाई और संस्कार बेटी की गरिमा बनाये रखते हैं। संस्कार की सबसे बड़ी जीत की पैगाम हैं बेटी की मान सम्मान बनाये रखना और बेटी को हमेशा समाज के हित को ध्यान में रखकर ऊँचे बुलंदियो शिखर का रास्ते उड़ान भरना चाहिए।"
-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"
"एक बेटी शिक्षित तो समाज शिक्षित हो जाता हैं और एक बेटा शिक्षित तो सिर्फ वहि बस शिक्षित समाज शिक्षित होता नही है।"
-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

पागा कलगी-11//ज्ञानु मानिकपुरी "दास"

पढ़े लिखे हवे दुनिया, संस्कार ल भुलाय।
बिना संस्कार मनखे, मान कहा ले पाय।
दू अक्षर का पढ़ लेथे, छूटगे शरम लाज।
भुल जथे अपन बिरान, नइये लोक लिहाज।
पढ़े लिखे के संगमा, संस्कार हे जरूरी।
बेटी जग के आधार, बेटी जग क धुरी।
बेटा बेटी मा भेद, अलग अलग हे मान।
आँखी खोलके देखव, दुनो हे एक समान।
बेटा सही ग जानके, दव मोला अधिकार।
महू पढ़ लिखके पावव, शिक्षा अउ संस्कार।
फइले समाज में ब्यार, दूर करी सब आज।
आवव मिलके सब गढ़ी, भेदभाव मुक्त समाज।
पढ़व लिखव आगू बढ़व, जगमा होवय नाम।
संस्कार हर झन भुले, मतकर अइसन काम।
पढ़े लिखे फेर बेटी, रीति ल झन भुलाबे।
सबके तय मान करबे, नीति ल गोठियाबे।
बेटी महतारी पत्नी, हावे अनेक रूप।
सबके तय मान राखे, रिश्ता के अनूरूप।
संस्कार ल झन भूलाय, कतको पाके शिक्षा।
दे दव बेटी ल अइसन, संस्कार के दिक्षा।।
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ज्ञानु मानिकपुरी "दास"
चंदेनी (कवर्धा)
9993240143

पागा कलगी-11 //आशा देशमुख

मोर सुन रे मैंना 
एक बात बतावंव
पिंजड़ा ले निकल तो
एक भेद बतावंव
रचिस विधाता जब दुनियाँ ला
माटी लाय कुँवारी
अइसन गढहव मनखे ला जे
होवय सबले भारी
माटी के लोंदा ला सानय
रंग रूप ला डारय
गुण धरम अन्तस् मा राखय
छिनी हथौड़ी मारय
भेजय मनखे ला धरती मा
रूप दिए नर नारी |
मोर सुन रे मैना
एक बात बतावंव
अब्बड़ सोचंव् गुनंव सुनंवमैं
तब मन मा ये मानंव
शिक्षा अउ संस्कार ला मैना
माला कस मैं जानंव
सूत अलग हे फूल अलग हे
जुलमिल संग गुहाये
निरमल करम धरम के गुन मा
देवन गला सुहाए
अइसे तोरो गुण ममहाये
खोर डहर घर दुवारी
मोर सुन रे मैना
एक बात बतावंव
मोरो मन के हंसा हा तो
धरती अकास घूमय
शिक्षा अउ संस्कार ला मैना
रूप तराजू देखय
एक तराजू के दू पल्ला
दूनो बरोबर राखव
आखर आखर भर लौ बोरी
लाज ल अँचरा ढाँकव
लोहा के छुट जाय पसीना
अइसन रखव तुतारी
मोर सुन रे मैना
एक बात बतावंव
अब्बड़ खोजव अब्बड़ देखव
तब मन मा ये मानंव
शिक्षा अउ संस्कार ला मैना
दियना कस मैं जानंव
तेल दिया अउ बाती मिलके
जगमग ज्योत जलाये
अँधियारी अउ उजियारी के
जग ला भेद बताये
अइसन दिया दिखावव जग ला
मिटै अमावस कारी |
मोर सुन रे मैना
एक बात बतावंव
पिंजड़ा ले निकल तो
एक भेद बतावंव |
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
नर्मदा विहार बी . 1983

पागा कलगी-11//अमन चतुर्वेदी *अटल*

मोर दुलउरिन बेटी
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सुघ्घर राग सुनावत हे
महर महर महकावत हे
मोर मुड़ के पागा बनगे
मोर दुलउरिन आवत हे
जनम धरिस मोर घर मे
अंगना मे खुशी छागे
मोर गोदी मे खेल कुद के
घर ला मोर महकादिस
मोर दुलउरिन बेटी ला मैं
पढायेंव लिखायेंव सिखा के
अपन संग मोला संगी बनाके
मोर घर अंजोर बगरावत हे
मोर मान ला बढाइस बेटी ह
जग म नाम कमावत हे
मोर कुटुम्ब ला तारिस संगी
आज दुसर कुल ला तारत हे
मोर मयारु बेटी आवत हे
गांव ला आज महकावत हे
बेटी के आये ले आज संगी
जग मे खुशी बगरावत हे
उही पाय के काहत हंव संगी
बेटी ला पढ़ाव बेटी ला बचाव
सिक्छा अउ संस्कार देवव
सबके मान ला आज बढा़वत हे
मोर घर अंगना ला तार दिस
अब कोनो के कुल ला तारत हे
मोर दुलउरिन मयारु बेटी ह
आज महर महर महकावत हे
बेटी बनगे बहिनी बनगे नोनी ह
कोनो घर के बनत हे बहुरिया
मया म हम बंधागेन नोनी के
बनादिस सब ला संगी जहुंरिया
अपन घर के मान बढ़ावव
बेटी पढ़ावव बेटी बचावव
आज मया.के गीत सुनावत हे
मोर दुलउरिन बेटी आवत हे
मोर दुलउरिन बेटी आवत हे
�अमन चतुर्वेदी *अटल*
बड़गांव डौंडी लोहारा
बालोद छत्तीसगढ़
09730458396

पागा कलगी-11//चोवाराम वर्मा "बादल"

बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दौ
बेटा कस मया दुलार दौ।
बेटी फुलकैना ,कोयली मैना
जिनगी म रस भर देथे।
दाई ददा के बन दुलौरिन
हिरदे के दरद हर लेथे।
बेचारी झन बनै,उबार दौ। ।
मइके ससुरे दुनो मुहाटी,
बेटी अंजोर बगराथे।
एक जगा कन्या रतन त,
उँहा धन लछमी कहाथे।
जग के जगतारण ल,सिंगार दौ
बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दौ
गऊ माता कस निच्चट सरु,
सब जोर जुलुम सहि लेथे।
मुंह फुटकार कभु नई कहय
बस चुपे चाप रो देथे ।
ए गंगा ल धरती म उतार दौ।
बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दौ
जेन कथे पर धन बेटी,
बड़ मुरख अज्ञानी हे ।
कन्यादान महादान जेन,
समझिच तेन बड़ गियानी हे।
बहु घलो बेटी ए,सम्मान दौ ।
बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दौ
(रचनाकार--चोवाराम वर्मा "बादल")

रविवार, 12 जून 2016

पागा कलगी-11//ललित टिकरिहा

बेटी ला कमती झन जानव,
बेटा ले अलगे झन मानव,
नवा सुरुज जुर मिल के लानव
जिनगी म उजियारा लाय बर
भाग ल इंखर संवार दव
बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दव।
दाई ददा के दुनिया म जगमग,
कतको नाम करत हे बेटी मन,
नई घुँचत हे पाछु थोरको अब
सब काम करत हे बेटी मन,
अब हिम्मत ल इंखर जान लव
बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दव।
बेटी दया मया के सागर हे,
परेम के छलकत गागर हे,
दू ठन कुल के मान खातिर,
जिनगी जेकर निवछावर हे,
दुर्गा , लछमी जस मान दव,
बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दव।
घर अंगना के सम्मान बेटी,
दाई ददा के पहिचान बेटी,
किरन , कल्पना ,नीरजा सुनीता,
सरग छुवइया महान हे बेटी,
महानता ल इंखर सम्मान दव,
बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दव।।
🙏
रचना...............
11-06-2016 📖
🙏ललित टिकरिहा🙏
सिलघट(भिंभौरी)