रविवार, 12 जून 2016

पागा कलगी-11//ललित टिकरिहा

बेटी ला कमती झन जानव,
बेटा ले अलगे झन मानव,
नवा सुरुज जुर मिल के लानव
जिनगी म उजियारा लाय बर
भाग ल इंखर संवार दव
बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दव।
दाई ददा के दुनिया म जगमग,
कतको नाम करत हे बेटी मन,
नई घुँचत हे पाछु थोरको अब
सब काम करत हे बेटी मन,
अब हिम्मत ल इंखर जान लव
बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दव।
बेटी दया मया के सागर हे,
परेम के छलकत गागर हे,
दू ठन कुल के मान खातिर,
जिनगी जेकर निवछावर हे,
दुर्गा , लछमी जस मान दव,
बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दव।
घर अंगना के सम्मान बेटी,
दाई ददा के पहिचान बेटी,
किरन , कल्पना ,नीरजा सुनीता,
सरग छुवइया महान हे बेटी,
महानता ल इंखर सम्मान दव,
बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दव।।
🙏
रचना...............
11-06-2016 📖
🙏ललित टिकरिहा🙏
सिलघट(भिंभौरी)

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