सोमवार, 13 जून 2016

पागा कलगी-11 //आशा देशमुख

मोर सुन रे मैंना 
एक बात बतावंव
पिंजड़ा ले निकल तो
एक भेद बतावंव
रचिस विधाता जब दुनियाँ ला
माटी लाय कुँवारी
अइसन गढहव मनखे ला जे
होवय सबले भारी
माटी के लोंदा ला सानय
रंग रूप ला डारय
गुण धरम अन्तस् मा राखय
छिनी हथौड़ी मारय
भेजय मनखे ला धरती मा
रूप दिए नर नारी |
मोर सुन रे मैना
एक बात बतावंव
अब्बड़ सोचंव् गुनंव सुनंवमैं
तब मन मा ये मानंव
शिक्षा अउ संस्कार ला मैना
माला कस मैं जानंव
सूत अलग हे फूल अलग हे
जुलमिल संग गुहाये
निरमल करम धरम के गुन मा
देवन गला सुहाए
अइसे तोरो गुण ममहाये
खोर डहर घर दुवारी
मोर सुन रे मैना
एक बात बतावंव
मोरो मन के हंसा हा तो
धरती अकास घूमय
शिक्षा अउ संस्कार ला मैना
रूप तराजू देखय
एक तराजू के दू पल्ला
दूनो बरोबर राखव
आखर आखर भर लौ बोरी
लाज ल अँचरा ढाँकव
लोहा के छुट जाय पसीना
अइसन रखव तुतारी
मोर सुन रे मैना
एक बात बतावंव
अब्बड़ खोजव अब्बड़ देखव
तब मन मा ये मानंव
शिक्षा अउ संस्कार ला मैना
दियना कस मैं जानंव
तेल दिया अउ बाती मिलके
जगमग ज्योत जलाये
अँधियारी अउ उजियारी के
जग ला भेद बताये
अइसन दिया दिखावव जग ला
मिटै अमावस कारी |
मोर सुन रे मैना
एक बात बतावंव
पिंजड़ा ले निकल तो
एक भेद बतावंव |
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
नर्मदा विहार बी . 1983

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