सोमवार, 13 जून 2016

पागा कलगी-11//चोवाराम वर्मा "बादल"

बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दौ
बेटा कस मया दुलार दौ।
बेटी फुलकैना ,कोयली मैना
जिनगी म रस भर देथे।
दाई ददा के बन दुलौरिन
हिरदे के दरद हर लेथे।
बेचारी झन बनै,उबार दौ। ।
मइके ससुरे दुनो मुहाटी,
बेटी अंजोर बगराथे।
एक जगा कन्या रतन त,
उँहा धन लछमी कहाथे।
जग के जगतारण ल,सिंगार दौ
बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दौ
गऊ माता कस निच्चट सरु,
सब जोर जुलुम सहि लेथे।
मुंह फुटकार कभु नई कहय
बस चुपे चाप रो देथे ।
ए गंगा ल धरती म उतार दौ।
बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दौ
जेन कथे पर धन बेटी,
बड़ मुरख अज्ञानी हे ।
कन्यादान महादान जेन,
समझिच तेन बड़ गियानी हे।
बहु घलो बेटी ए,सम्मान दौ ।
बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दौ
(रचनाकार--चोवाराम वर्मा "बादल")

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