बुधवार, 15 जून 2016

पागा कलगी-11//दुर्गा ईजारदार

बेद-पुरान के बात अाय,एला तुमन मान लौ।
बेटी के जींहा होथे मान, देवता रहिथे जान लौ।
कहाँ जाबे मथुरा काँशी,तीरथ इही ल मान लौ।
जिनगी के हर पुन मिलही,बेटी ल शिक्षा अ�उ संस्कार दौ।।
बेटी लक्ष्मी,दुर्गा,सरस्वती हे,ए बात सब जान
लौ।
सच मे सेवा होही देवी के,तुमन अोखर अधिकार दौ।
नव सिरजन होही जग के,दामन बेटी के थाम लौ।
तीनों पुर के बात बनही,बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दौ।।
सीता ,सावित्री, अहिल्या,राधा,रूखमणी के
अोला संस्कार दौ।
रानी दुर्गावती, लक्ष्मी बाई के ,ओला तुमन हथियार दौ ।
किरण,कल्पना, लता,ऊषा,जइसे ओला ज्ञान दौ।


-दुर्गा ईजारदार

पागा कलगी-11//कुलदीप कुमार यादव

बेटी ला शिक्षा अउ संस्कार दौ ।।
सबिधान के ओला अधिकार दौ,
बेटी ला शिक्षा अउ संस्कार दौ ।।
कोनजनि समाज के कइसन लाचारी हे,
बेटा सुख पाये के सबो ला बिमारी हे ।।
बेटी हा तो दुनिया ला आघू बढ़ावत हे,
एकरे रहे ले तोर घर दुवारी जागत हे ।।
यहू ला बेटा कस दुलार दौ,
बेटी ला शिक्षा अउ संस्कार दौ ।।01।।
बेटी ला घलो पढ़े बर स्कुल मा भेजव,
समाज बिकास के रद्दा नावा गढव ।।
यहू तोर घर मा सुख-शांति लाही,
पढ़ लिख बड़े अफसर बन देखाही ।।
पढ़ा लिखा के जिनगी एकर संवार दौ,
बेटी ला शिक्षा अउ संस्कार दौ ।।02।।
ससरार मा रहे वो सुग्घर गावत झूमत,
सास ससुर संग बने रहे ओकर सुमत ।।
दुख झन हो कोनो ला ओकर धियान रखय,
अपन ले बड़का के ओहर मान करय ।।
बांधे रहे परिवार ला मया के अछरा मा,
ओला अइसन ब्यवहार दौ,
बेटी ला शिक्षा अउ संस्कार दौ ।।
रचना
कुलदीप कुमार यादव
ग्राम-खिसोरा,धमतरी
9685868975

पागा कलगी-11//मिलन मलरिहा

नोनी बाबू एक हे, झिन कर संगी भेद !
रुढ़ीवादी बिचार ला, लउहा तैहा खेद !!
लउहा तैहा खेद, समाज म सुधार आही!
पढ़ही बेटी एक, दूइ घर सिक्छा लाही !!
मान मिलनके गोठ, भ्रुणहत्या कर काबू !
भेज दुनो ल एकसंग, इसकुल नोनी बाबू!!
-
पुस्तक डरेस लानदे, बिसादे अउ सिलेट !
बरतन चउका झिनकरा, पढ़ाई ल झिन मेट !!
पढ़ाई ल झिन मेट, सिक्छा के अधिकार दे!
बेटी बने पढ़ाव, अउ चरित सन्सकार दे !!
आही सिक्छा काम, दुख-दरद देही दस्तक !
मनुस छोड़थे संग, फेर नइछोड़य पुस्तक !!
-
बेटी पढ़के बाँटही, गांव गांव म गियान !
परकेधन झिन मान रे, इही देस के जान !!
इही देस के जान, पढ़लिख नवाजुग लाही !
रुकही अतियाचार, कुकरमी दूर हटाही !!
मलरिहा कहत रोज, पुस्तक धरादे बेटी !
अबतो जाग समाज, सिक्छित बनादे बेटी !!
-
मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

पागा कलगी-11//रामेश्वर शांडिल्य

बेटी बचाओ बेटी पढाओ.
योजना ल सफल बनाना होगी 
बेटी बेटा एक समान. 
लोगन ल बताना होगी ऩ
==================सीता राधा दुपर्ती कतका.
पढ़े लिखे रहीन ऩ
घर के शिक्षा संस्कार पाके.
आगू बढे रहीन ऩ
==================
बेटी हर घर ले ही.
संस्कार ले के जनम लेथे ऩ
कखरो ले कछु मांगे नही.
गियान के शिक्षा सब देथे ऩ
============= =====
दाई ददा मन बेटी बेटा ल.
अपन समझाव जी ऩ
पहली पाठशाला घर होथे.
घर के संस्कार बतावव जी ऩ
==================
बेटा बेटी नाती नतनीन सब ल.
पढे बर रोज भेजव इसकूल ऩ
पुस्तक पैसा ड्रेस मिलथे.
पढे लिखे म नई हे मशकुल ऩ
===============!===
बेटी पढ लिख के समझदार हो जाही.
मइके ससुरार के मन ओकर
गुन गाही ऩ
======== = ========
बेटी शिक्षा ले ग्यान के दीया. घर घर बरही ऩ
बेटी के अनपढ रहे ले.
घर दुवार मरघट लगी ऩ
==================
अब हम करजा ले के.
नोनी लइका ल पढाबोन जी ऩ
ओला शिक्षा संस्कार दे के.
सबले आगू बढाबोन जी
==================
रामेश्वर शांडिल्य
हरदीबाजार कोरबा

पागा कलगी-11//राजकिशोर पाण्डेय

पुरखा मन के जमो गलती सुधार लौ,
बेटी मन ला सिकछा अउ संस्कार दौ ।
इज्जत मरजाद के ओडहर म
अब मत फाँदव,
जुग ले धँधात आइन घर म
अब मत धाँधव ।
सुग्घर सपना ल इंकरो दुलार दौ ।
बेटी मन ला सिक्छा अउ संस्कार दौ ॥
फरक ल बिसारौ अब बेटा
अउ बेटी के,
जनम ल अकरथा झन जाए
दव बेटी के ।
रहैं अबला झन एतका अधिकार दौ ।
बेटी मन ला सिक्छा अउ संस्कार दौ ॥
जेतका सख होवय ओतका
उड़ाय दौ इनला,
जुग ले खुखुवावत हावय
जुड़ाय दौ इनला ।
हीन भावना ले सफ़्फ़ा उबार दौ ।
बेटी मन ला सिक्छा अउ संस्कार दौ ॥
मुंडी के बोझा नौहै अइसन
बिसवास भरव,
दाईज देके इंकर कभु झन
बिहाव करव ।
इंकर हिस्सा म मया के पहार दौ ।
बेटी मन ला सिक्छा अउ संस्कार दौ ॥
जेतका कन पढ़हत हें ओतके
कड़हन देवव,
सूरूज अउ चंदा के जात ले
चढ़हन देवव ।
जुन्ना रूढ़ही ले इनला उबार दौ ।
बेटी मन ला सिक्छा अउ संस्कार दौ ॥
🌷🌹राजकिशोर पाण्डेय 🌹🌷
नगर पंचायत मल्हार
जिला बिलासपुर छत्तीसगढ़
मों नम्बर 9981713645
🌸🌷🌹🌻🌻🌻🌻🌻🌹🌷🌸

मंगलवार, 14 जून 2016

पागा कलगी-11//श्रीमती बसन्ती वर्मा

पागा कलगी 11 बर रचना-
कतका सुघर ये गोड़ हाथ
कमल फूल कस आंखी ।
जुग जुग जुगनी पुन्नी के चंदा
बेटी मोर आंखी के पुतरी ।।1।।
सबो संवागा रूप ल देके
बुद्धि ल काबर हर लेहे ।
मां ! आधा बुद्धि मोर ले लेते
अउ बेटी ला थोकिुन दे देते ।।2।।
महूं जी लेतेंव धरती मा
ओहू जी लेतीस धरती मा
हे मां सरस्वती रखबे मान
बेटी ल दे दे बुद्धि के दान ।।3।।
कोनो कइथे थेथेी ओला
कोनो पगली जोजलही
आन बर नून-समुंदर बेटी
फेर इस्कूल कइसे जाही ।।4।।
कोनो जहुंरिया चुंदी नोच के
कोनो कोथ के भागे
जोजहली ए झन खेलव
परोसी के बात सुनाथे ।।5।।
सात बच्छर के मोर दुलौरिन
आंखी म ढारत आसू ।
मोर लक्ठा मा आके बेटी
आंखी म आंखी मिलाथे ।।6।।
अपन भाग के कथा कुंतली
वो बिना कहे कहि जाथे ।
मोर मया आंसू अकरासी
टप-टप टप-टप टपटपाथे ।।7।।
कनी खोरी लूली हकली
इस्कूल सब्बो जाथे ।
गियान के गंगा लहर लहर
लक्ठा म लहर के आथे।।8।।
मोर बेटी बर काबर बैरी
गंगा ह लुकाए हे
कहाॅ खोजंव भागीरथी
जिहा ज्ञान के जोत जलाये हे ।।9।।
जेन दिन बेटी इस्कूल जाही
सब्बो पढ़ाई ल पढ़ लेही
क ख ग ले क्ष त्र ज्ञ तक
1, 2,3 ले 98, 99, 100 तक ।।10।।
त हे मां! मेला बुला लेबे
चाहे धरती ले उठा लेबे
नई तो मोला रहन देबे
बेटी के संग म जियन देबे ।।11।।
मैं हौं रक्षा कवच ओखर
मोर बिना नई जी पाही ।
अतेक बड़े दुनिया मा ओकर
पीरा ल कोन हरही ।।12।।
-श्रीमती बसन्ती वर्मा
एम.आई.जी. 59
नेहरू नगर, बिलासपुर
मो. 9826237370

पागा कलगी-11//सुनीता "नीतू "

बेटी ह लछमी आय
🌹🌹🌹🌹🌹
बेटी जनम होय हे
सुनके अब झन रो ।
बेटा ले सुग्घर हे बेटी
हिरदे ले महसूस करो ।
फुरफुनंदी कस
खेलहि अंगना म ।
अधिकार ये ओखर,
बेटी ल जीयन दौ ।
बेटा खेलय गुल्ली डंडा
बेटी ल झन रोको ।
फुगड़ी, बिल्लस,
बेटी ल खेलन दौ ।
मानत हँव संगी
जमाना खराब हे,
फेर हर बात म
अतका झन टोको ।
मन मार के
जिहि कइसे ,
अपन मन के ओला,
ओढ़ना पहिनन दौ ।
हाड़ मांस के
पुतरी नोहय ।
कभू तो ,
मन के तोह लौ ।
बेटी हरे घर के
मान सम्मान ।
बेटी ला घला
शिक्षा संस्कार दौ ।
नीतू के सीख हे
बेटी ल मया दौ ।
पीरा हरैया बेटी ल
घर के लछमी समझौ ।
सुनीता "नीतू "