शनिवार, 9 जुलाई 2016

पागा कलगी-13 /12/ टीकाराम देशमुख " करिया"

कतका तोर महिमा ल गावंव,कतका करंव बखान
तैं धरती के भाग जगैय्या अस,मोर मांटी के मितान
1.लहू-रकत ल मांटी म सान के,अन-धन तैँ उपजाथस
जुड़-घाम ल नई चिनहस तैं, जांगर टोर कमाथस
पथरा के तें नों हस देवता, तैँ संऊहत भगवान
तैं धरती........ मोर मांटी........
2.मांटी के सेवा तोर जिनगानी,जियत किसानी मरत किसानी
काम बुता मं उमर पहागे,फेर नई सिरावय तोर जवानी
धरती दाई के तैँहा लाल अस, दुनिया बर तैँ सियान
तैँ धरती..........मोर मांटी...........
3.तोर परसादे जियत हवन सब, का बउरैय्या का बैपारी
काम-कमई मं जुग बीत गे,फेर नई छुटइस ग तोर उधारी
तोर असन नईहे कोई जग मेँ, गउकी,सिरतो,ईमान
तैँ धरती..............मोर मांटी के मितान
@ टीकाराम देशमुख " करिया"
स्टेशन चौक कुम्हारी (जिला-दुर्ग)
मो.-94063 24096

पागा कलगी-13 //11//शुभम् वैष्णव

दोहा-
घाम छाँव देखे नहीं , बोये बर तो धान।
तैं ह तो कहाए तभे , माटी के ग मितान।
देवत हस तो अन्न तैं, जय हो तोर किसान।
जगत के पूर्ति तैं करे , हमर बने तैं शान।
बइठे रहिगे खेत मा , छोड़ के घर मकान।
धरती के बेटा बने , कतका करव बखान।
पालन पोसन धर्म हे , जिनगी तोर महान।
अइसन के धरती घलो, करय खूब सम्मान।
सेवा ले मेवा मिले , कहिथे सबो सियान।
तोर दशा तो देख के , छुटय मोरो परान।
बेरा पहाय खेत मा , नांगर फांदे आज।
श्रद्धा से जेला करे , उहि हरय तोर काज।
देखव तोला रोज मैं , बांधत खेत म मेड़।
जांगर ले सब जीत के , बइठे छइहाँ पेड़।
अपन संग बइला धरे , नांगर बोहे खांध।
सोन उगाए खेत मा , मुड़ी म पागा बांध।
जाय रहिथस बिहान ले, आवत होथे शाम।
जब भी पुछेँव तैं कहे, खेत ल चारो धाम।
छत्तीशगढ़ी शान के , तैं तो बढ़ाए मान।
माटी के संगी बने , अउ बने हस मितान।
-शुभम् वैष्णव
भीमपुरी, नवागढ़
जिला- बेमेतरा

शुक्रवार, 8 जुलाई 2016

पागा कलगी-13/10/नन्द वर्मा

माटी के मितान संगवारी,
हरय हमर सबो किसान।
माटी निचोय ले तेल निकलही,
कहिथे हमर सियान।
कइसन ए जमाना हे के,
अलाली म मरय इंसान।
सियान मन दे दिस त,
बइठे खावत हे जवान।
एक बात कान खोल के सुनव,
भइया आज के पागल बईमान।
कामहु तभे तो खाहू ग,
माटी संग बद लओ मितान।
नन्द वर्मा,
नवागांव, नवागढ़,
मो. 9713208662

पागा कलगी-13/9/सोनु नेताम गोंड़ ठाकुर

!!माटी के मितान!!
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मोर माटी के संगवारी मितान
तहि हरस जांगर टोर किसान
मेहनत कर अन्न उपजाथस
खाथस रोटी चउंर पिसान
हरियर भुंईया ल हरियाथस
बनि कराईय्या माटी मितान
सुनता सुम्मत के गोठ चलाथे
बड़े दाउ ले मिलथे गियान
हखर हखर खेत कमाथस
निकल जथस तैंय बिहान
खांद म नांगर बईला तुतारी
अघवा जथे हमर सियान
आघु आघु बईला रेंगे
बिजहा बोहे ग सियान
हाथ म नांगर अरा ररा
हकलावत हे मितान
भर्री भांठा चिक्कट् माटी
हरिया जोते होत बियान
धंवरी बईला तर तर रेंगय
लेटा मारय मोर माटी मितान
गरज बरस के पानीे गिरय
सतरंगी कारी बदरिया छाहि
तरिया डबरी खोचका गड्डा
उबुक चुबुक लहुंटन मारहि
डिपरा पार म मेंचका मन
टरर टरर नरियाहि
मघन होके मंजुर नाचहि
डेना पांख छरियाहि
माटी के महर सोंध ले
धरती कोरा हरियाहि
जरि धरयं पीकी फुटय
फोंक फोंक फरियाहि
आषाढ़ बुलकहि सावन आहि
नदिया नरवा लबलबाहि
माटी के संगवारी मितान
हरियर हरेली तिहार मनाहि
� मयारुक छत्तीसगढ़िया
सोनु नेताम गोंड़ ठाकुर
रुद्री नवागांव, धमतरी
मो.नं.:-९८२७३५६०१२

पागा कलगी-13/8/जयवीर रात्रे बेनीपलिहा

" हमर किसान माटी के मितान हे"
रोज बिहनिया सूत उठ के,
नांगर बइला फांदत हे,
धरती दाई के कोरा म,
हरियर चादर ओढ़ावत हे,
ते पाय के कहेंव संगी,
हमर किसान माटी के मितान हे।
किसान हमर अन्न दाता,
माटी ले निर्मल धान उपजावत हे,
माटी ल उपजाऊ बनाके,
अपन लइका के पेट भरावत हे,
ते पाय के कहेंव संगी,
हमर किसान माटी के मितान हे।
धरती दाई के पइयाँ लागंव,
रोज बिहनिया गावत हे,
इही माटी के मान बढ़ाके,
जम्मो किसान नाचत हे,
ते पाय के कहेंव आंगी,
हमर किसान माटी के मितान हे।
माँटी हमर जिन्दगानी संगी,
सबो जीव ला जीवन देवत हे,
इही माटी के रक्षा खातिर,
खड़े हन सिना तान के,
ते पाय के कहेंव संगी,
हमर किसान माटी के मितान हे

-जयवीर रात्रे बेनीपलिहा

गुरुवार, 7 जुलाई 2016

पागा कलगी-13/7/संतोष फरिकार

माटी के मीतान
माटी के मीतान हरय किसान
माटी ले जुडे जिनगी संगवारी
जिनगी माटी के संग कट जाही
किसान अऊ माटी संग मीतान
जियत भरे ले जिनगी जुड़े हे माटी ले
किसान दीन भर मेहनत करय
कोदो कुटकी फसल उगावय
माटी ल किसान लगावय अपन छाती ले
अपन जिवन बिताईस माटी संग
पानी बरसात म चिखला बनके
मीतानी निभाईस ठंडा बन गरमी म
दुनिया ल छोड़ीस तभो संगी माटी संग
अपन जिनगी ल जोड़ लव माटी संग
छत्तीसगढ़ीया किसान बन के संगी
जान लव का होथे माटी के मीतानी
सबके अंग घलो जुड़े हे संगी माटी संग
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संतोष फरिकार
देवरी भाटापारा

पागा कलगी-13/6/आचार्य तोषण

शीर्षक:-माटी के मितान
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जेन माटी के रकछा खातिर
होईन कतको बलिदान गा
इही माटी के दुलरवा बेटा
हरंव माटी के मितान गा
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ऊवत सूरूज मा करंव आरती
दीया अगर कपूर जलाइके
दण्डाशरन पांव पंइंय्या लागंव
हांथ जोड़ दुनो लमाइके
सब जुरियाके हंस मुसकाके
माटी के जस ला गान गा
इही माटी के दुलरवा बेटा
हरंव माटी के मितान गा
~~~~~~~~~~~~~~~~~
आवय दिन जब खेती किसानी
नांगर बइला हे हमर संगवारी
अरातता के सुर ला लमावंव
मुडी मा खुम्हरी हांथ तुतारी
हरिहर करबोन धनहा डोली
बोंएंबर चलव सब धान गा
इही माटी के दुलरवा बेटा
हरंव माटी के मितान गा
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मनटोरा भउजी हर बासी धरके
खेती डोली डहर गा आवय
मंगलू भइय्या मारय हरिया
चांच मा आंखी ल जमावय
होत मंझनिया लिमंऊ चटनी संन
बोरे बासी ल खान गा
इही माटी के दुलरवा बेटा
हरंव माटी के मितान गा
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नांगर बइला ल धो मांज के
मनाबोन गा हरेली तिहार
घुमड़े बादर चलय पुरवइया
पानी के रिमझिम परे बउछार
हुम धूप अगरबत्तियां धरके
चीला के रोटी चढ़ान गा
इही माटी के दुलरवा बेटा
हरंव माटी के मितान गा
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सरग ले सुघ्घर ए भुइंया ह
एखर माटी माथ के चंदन हे
सेवा बजावंव गुन ल गावंव
गोड़ ल घेरी बेरी बंदन हे
इहां धुर्रा लागे अइसन
संऊहत सोनहा समान गा
इही माटी के दुलरवा बेटा
हरंव माटी के मितान गा
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रचना:-आचार्य तोषण
धनगांव डौंडीलोहारा
बालोद छत्तीसगढ़
पिन:-४९१७७१
मुहूबाइल:८६१७५८९६६७