शनिवार, 9 जुलाई 2016

पागा कलगी-13 //11//शुभम् वैष्णव

दोहा-
घाम छाँव देखे नहीं , बोये बर तो धान।
तैं ह तो कहाए तभे , माटी के ग मितान।
देवत हस तो अन्न तैं, जय हो तोर किसान।
जगत के पूर्ति तैं करे , हमर बने तैं शान।
बइठे रहिगे खेत मा , छोड़ के घर मकान।
धरती के बेटा बने , कतका करव बखान।
पालन पोसन धर्म हे , जिनगी तोर महान।
अइसन के धरती घलो, करय खूब सम्मान।
सेवा ले मेवा मिले , कहिथे सबो सियान।
तोर दशा तो देख के , छुटय मोरो परान।
बेरा पहाय खेत मा , नांगर फांदे आज।
श्रद्धा से जेला करे , उहि हरय तोर काज।
देखव तोला रोज मैं , बांधत खेत म मेड़।
जांगर ले सब जीत के , बइठे छइहाँ पेड़।
अपन संग बइला धरे , नांगर बोहे खांध।
सोन उगाए खेत मा , मुड़ी म पागा बांध।
जाय रहिथस बिहान ले, आवत होथे शाम।
जब भी पुछेँव तैं कहे, खेत ल चारो धाम।
छत्तीशगढ़ी शान के , तैं तो बढ़ाए मान।
माटी के संगी बने , अउ बने हस मितान।
-शुभम् वैष्णव
भीमपुरी, नवागढ़
जिला- बेमेतरा

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