सोमवार, 18 जुलाई 2016

पागा कलगी-14/2/राजेश कुमार निषाद

जब ले मशीनी युग ह आये हावय
नंदागे हावय घर घर के ढेकी।
जेमा चाउंर ल कुटय
अऊ रांधय अईरसा रोटी।
धानकुट्टी मिल के नई राहय ले
धान ल येमा कुटय।
रेंच रेंच ढेकी बाजय
डोकरी दाई चाउंर ल फुनय।
ढेकी गढ़े राहय घर के दुवारी
जेमा गुण हावय बड़ भारी।
बचे मैरखु ल फिर से कुटथे
मेहनत जादा हे कहिथे।
फेर जब ले मशीन आय हावय
ढेकी के काम नंदागे।
सब काम मशीन म जल्दी होथे
बस दो मिनट काहत लागे।
जेकर घर ढेकी राहय
ओकर घर पारा पड़ोस के मन आवय।
सब अपन अपन धान ल कुटय
पर ढेकी के गुण ल गावय।
ढेकी घर के दुवारी के
अब हिस्सा होगे हावय।
अब के लईका मन बर
कहानी अऊ किस्सा होगे हावय।
रचनाकार राजेश कुमार निषाद
ग्राम चपरीद पोस्ट समोदा तह. आरंग जिला रायपुर छत्तीसगढ़

रविवार, 17 जुलाई 2016

पागा कलगी 13 के परिणाम

विषय-‘‘‘माटी के मितान’’
मंच संचालक- श्री हेमलाल साहू, सदस्य छत्तीसगढ़ मंच संचालक समीति
निर्णायक-1.श्री अंजनी कुमार ‘अंकुर‘, वरिष्ठ साहित्यकार, रायगढ़
2. श्रीमती शकुंतला शर्मा ,वरिष्ठ साहित्यकार, दुर्ग
संगी हो,
सबले पहिली आप सब ला ये आयोजन म हिस्सा ले बर आभार । आप सबके सहयोग ले हमर साहित्य निश्चित रूप ले आघू बढ़ही । सबो झन विजेता नइ हो सकन । लेकिन कोनो रचना बेकार नई होवय, कोनो मेहनत निरर्थक नई होवय । आप सबला अच्छा रचना लिखेबर बधाई ।

परिणाम घोषित करे के पहिली एक बात के निवेदन आप सब से करना चाहत हंव हमर देश म ‘पंच परमेश्वर‘ कहे गे हे । कोनो निर्णय करना आसान नई होवय । सबके अपन सोच अपन कसौटी होथे, निर्णायक ऊपर अविश्वास नई करना चाही ।
ये आयोजन के पहिली, दूसर अउ तीसर विजेता के संगे संग प्रशंसनीय रचना घोषित करे जात हे -
आदरणीय मन के निर्णायक के अनुसार -


पहिली विजेता-

डॉ.अशोक आकाश बालोद


दूसर विजेता-
श्री महेन्द्र देवांगन "माटी"
गोपीबंद पारा पंडरिया
जिला -- कबीरधाम


तीसर विजेता-
श्री ललित साहू "जख्मी"
ग्राम- छुरा
जिला- गरियाबंद (छ.ग.)

प्रशंसनीय रचना- 
1- चैतन्य जितेन्द्र तिवारी
थानखम्हरिया(बेमेतरा)
2-तरूण साहू " भाठीगढ़िया "
ग्राम - भाठीगढ़
तहसील - मैनपुर
जिला - गरियाबंद ( छत्तीसगढ़)

सबो विजेता संगीमन ला छत्तीसगढ़ी मंच अउ छत्तीसगढ़ के पागा कलगी के संचालक समीति डहर ले बहुत-बहुत बधाई ।




शनिवार, 16 जुलाई 2016

पागा कलगी-14/1/ गोपी मनहरे

अंतरा। ढेकी के कुटईया अऊ कोदो धान के छरईया
तोर जय होवव ओ ढेकी के कुटईया -2
पद। (1)मचत ढेकी कुटय धान बड़ सुहावन लागय
कोदो फुटकी अन के दाना देखत मन ह भावय
लय। अब नंदागे मुसर ढेकी सिरतो म भईया
तोर जय होवय ओ.............
पद।(2)इही ढेकी म कुटके गौरी भोला ल भोजन करावय
पेट भरहा खाके भोला मने मन मुस्कावय
लय। सिरतो मगन होगे जी भोला अवघड़िया
तोर जय होवय ओ..........
पद। (3)माथ नवावव ढेकी कुटईया के जेन कुटे कोदो धान
ढेकी कुटईया दाई मोर तोला डण्डा सरन परनाम
लय। रचना रचे हे संगी गोपी मनहर बेमेतरीहा
तोर जय होवय ओ............
ढेकी के कुटईया अऊ कोदो धान के छरईया
तोर जय होवय ओ ढेकी के कुटईया
जय जोहार
रचना - गोपी मनहरे
गांव - पथरपूंजी। बेरला
जिला- बेमेतरा
वाटसाप नं: 9098519146

//पागा कलगी-14 के रूपरेख //

नियम-छत्तीसगढ़ी कविता के प्रतियोगिता पागा कलगी 14 के रचना सीधा छत्तीसगढ़ी मंच मा पोष्ट करना हे । जेन रचनाकार छत्तीसगढ़ी मंच के सदस्य नई हे, ओ एडमिन मन के व्यक्तिगत वाटशॅंप म भेज सकत हंे । कानो सार्वजनिक वाटशाॅप/फेसबुक समूह से रचना नई देना हे । प्रतियोगिता अवधि तक प्रतियोगिता के रचना केवल फेसबुक समूह छत्तीसगढ़ी मंच अउ ब्लाग पागा कलगी भर म होही । यदि रचना अंते तंते पाये जाही त रचना ला प्रतियोगिता से बाहिर कर दे जाही ।
प्रतियोगिता अवधि- 16 जुलाई 2016 से 31 जुलाई 2016
परिणाम घोषणा- 5 अगस्त 2016 तक (यथा संभव)
मंच संचालक - श्री संतोष फरिकर (पागा कलगी -5 के विजेता)
निर्णायक-डां.प्रो. चंद्रशेखर सिंह, वरष्ठि साहित्यकार, मुंगेली
सेवानिव्त प्राचार्य श्री कुष्णकुमार भट्ट ‘पथिक‘, वरिष्ठ साहित्यकार बिलासपुर
प्रतियोगिता के विषय- दे गे चित्र ले विषय के चयन करके
विधा - अइसे विधा के बंधन नई हे, फेर काव्य के कोनो विधा मा रचना दैं त विधा के संक्षिप्त जानकारी रचना के पहिली दू डांड म देवंय त जादा अच्छा रहिही । जेखर ले नवा रचनाकार मन ओ विधा ला आत्मसात कर सकय । विधा के ज्ञान नई होय त विधा के नाम मत देवंय ।
विशेष- रचना हर स्थिति म चित्र ला शब्द देवत होय, विषय ले भटके रचना ला अमान्य कर दे जाही ।

शुक्रवार, 15 जुलाई 2016

पागा कलगी-13/43/ओमप्रकाश चौहान

🌻 माटी के मितान 🌻
""""""""""""""""""""""""""""""""""""
नांगर बइला हे संग
मोहनी बाते हे बरंग,
खुमरी साजे रे परिधान
तहीं माटी के मितान।2।
सुग्घर खेतीखारे हे संग
सोनहा बाली के हे रंग,
बोझा लादे रे महान
तहीं माटी के मितान।2।
भूख पियास के हे संग
सावन भर हे तोर मन,
सुग्घर माटी के रे तन
तहीं माटी के मितान ।2।
सबले पोख्खा श्रमदान
का भगमानी करे किसान
जग बंदन करय महान,
तहीं माटी के मितान ।2।
सुकुवा चलय संगे संग
तय मुंधरहा के सुग्घर उमंग,
तोर देस म हे बड़ मान
तहीं माटी के मितान ।2।
🌻ओमप्रकाश चौहान 🌻
🌴 बिलासपुर 🌴

पागा कलगी-13 /42/डॉ.अशोक आकाश

" माटी के मितान तोला करत हौं नमन "
मोर माटी के मितान तोला करत हौं नमन ,
छत्तीसगढिया किसान तोला करत हौं नमन ।
सोर तोर बगरे हे भैया ,
चारो डाहन...
मोर माटी के मितान तोला करत हौं नमन......
(१)
बैसाख जेठ जब आसमान ले बरसथे अंगारा ।
सांप डेढहू चिरई चिरगुन के उसना जथे हाडा ।।
तबले तैहा झौंहा गैंती धर के गोदी कोडे ।
उफनत उबलत तन के पसीना माटी ले नाता जोडे।।
सोना असन धान उपजारे तोर ये बदन..
मोर माटी के मितान तोला करत हौं नमन...
(२)
अषाढ सावन झोर झोर के एकथइ पानी बरसे ।
टेटका घिरिया रुख खोंडरा में
सपटे जाड में कपसे ।।
तब ले तैहा कमरा खुमरी ओढे नांगर फांदे ।
हांत गोड में पलपलाए केंदवा में मेहंदी आंजे ।।
पानी में आगी बगराथस ओढ के कफन....
मोर माटी के मितान तोला करत हौ नमन.......
(३)
कातिक अग्घन दिन रात काला कहिथे नई जाने ।
तब ले दुनियां एकर मेहनत के किम्मत नई माने ।।
उपजारल अन्न साहूकार के करजा में चुक जाथे ।
बैला नांगर खेती जांगर सब एक दिन बिक जाथे ।।
अउ निकल जथे जी कमाय खाय बर छोड के वतन.....
मोर माटी के मितान तोला करत हौं नमन....
(४)
पहिरे जुनहा चटनी बासी , खाके दिन ला पहाथे ।
कब सुरताथे रोज कमाथे ,
जग में सोर बोहाथे ।।
कथे अशोक आकाश एकर सुध , कोन हा जग में करथे ।
ये सिधवा तो अभाव गरीबी ,
संग जीथे अउ मरथे ।।
कभू तो सिपचही एकर मन मे लगे हे अगन.....
मोर माटी के मितान तोला करत हौं नमन........

डॉ.अशोक आकाश बालोद
मो.नं.७८९८९७७५४५
०९७५५८८९१९९
पसंद करें

पागा कलगी-13/41/ज्योति गेवल

🍂माटी के मितान 🍂
माटी हमर महतारी -
तै हस ओकर मितान -
सुन ले कमईया किसान -
अब आगे नावा जुग -
नागर बाईला ला सुरतावन दे..
🚜टेकटर मा झट से जुतावा ले..
जतन करले तै भुइयॉ के मितान..
बूंदी -बूंदी पछीना ला चुचवाय..
दया -मया करूना तोर मा हावे-
ओ माटी के मितान...
एकाईसवी सदी ह आगे -
नावा पीड़ी के नावा जुग आगे -
खेती -किसानी करेबर..
नावा -नावा खेती के सामान आगे
खेती के विधि बताये -
कृषि कालेज ह आगे..
अपन देश माटी के...
सेवा करे खातीर
नावा तौर -तरिका ला
तै जिंनगी घलो बनाले..
ओ माटी के मितान..
ओ कमइया किसान. .
🍂 Jyoti gavel 🍂
SECL KORBA