शनिवार, 16 जुलाई 2016

पागा कलगी-14/1/ गोपी मनहरे

अंतरा। ढेकी के कुटईया अऊ कोदो धान के छरईया
तोर जय होवव ओ ढेकी के कुटईया -2
पद। (1)मचत ढेकी कुटय धान बड़ सुहावन लागय
कोदो फुटकी अन के दाना देखत मन ह भावय
लय। अब नंदागे मुसर ढेकी सिरतो म भईया
तोर जय होवय ओ.............
पद।(2)इही ढेकी म कुटके गौरी भोला ल भोजन करावय
पेट भरहा खाके भोला मने मन मुस्कावय
लय। सिरतो मगन होगे जी भोला अवघड़िया
तोर जय होवय ओ..........
पद। (3)माथ नवावव ढेकी कुटईया के जेन कुटे कोदो धान
ढेकी कुटईया दाई मोर तोला डण्डा सरन परनाम
लय। रचना रचे हे संगी गोपी मनहर बेमेतरीहा
तोर जय होवय ओ............
ढेकी के कुटईया अऊ कोदो धान के छरईया
तोर जय होवय ओ ढेकी के कुटईया
जय जोहार
रचना - गोपी मनहरे
गांव - पथरपूंजी। बेरला
जिला- बेमेतरा
वाटसाप नं: 9098519146

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