शुक्रवार, 15 जुलाई 2016

पागा कलगी-13/43/ओमप्रकाश चौहान

🌻 माटी के मितान 🌻
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नांगर बइला हे संग
मोहनी बाते हे बरंग,
खुमरी साजे रे परिधान
तहीं माटी के मितान।2।
सुग्घर खेतीखारे हे संग
सोनहा बाली के हे रंग,
बोझा लादे रे महान
तहीं माटी के मितान।2।
भूख पियास के हे संग
सावन भर हे तोर मन,
सुग्घर माटी के रे तन
तहीं माटी के मितान ।2।
सबले पोख्खा श्रमदान
का भगमानी करे किसान
जग बंदन करय महान,
तहीं माटी के मितान ।2।
सुकुवा चलय संगे संग
तय मुंधरहा के सुग्घर उमंग,
तोर देस म हे बड़ मान
तहीं माटी के मितान ।2।
🌻ओमप्रकाश चौहान 🌻
🌴 बिलासपुर 🌴

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