गुरुवार, 25 अगस्त 2016

पागा कलगी-16//9//टीकाराम देशमुख "करिया"


मुड़ी---"जा रे ,जारे परेवना"
जा रे जारे परेवना,उड़ी जाबे भइय्या के देश
बांध देबे राखी ला.... तैंहा परेवना
कहि देबे "मया के संदेस".......
जा रे जारे.......
१.भाई ह रहिथे, मोर देश के चउहद्दी मा
करथे सब के रखवारी
जुड़ अउ घाम ला नई चिन्हय परेवना
नई जानय....होरी अउ देवारी
राखी के डोरी ला ,देख के हरषाही
करम-धरम के ओला सुरता देवाही
सिरतों कहत हौं , ...तैंहा देख
जा रे जारे परेवना..........
२. भइय्या ह रहिथे रे ,दुरिहा नंगर ले
गाँव मा करथे रे.....किसानी
माटी करम ओखर, माटी धरम हे
माटी ले हाबे रे... मितानी
हरियर डोरी ला , देख के गदकही
सोनहा गोंटी जस अन्न जब मटकही
बहिनी के मया ला... झन छेंक
जा रे जारे.........
३. एक ,दू नही तीन ,चार रे परेवना
भइय्या हाबे मोर हज़ार
डॉक्टर,बिज्ञानिक,पुलुस हे कोनो हा
गुरुजी ,कोनो बनिहार
मिलके सबोझन हा, देश ला चलाथे
मया हे सबबर अपार
दाई केहे हे झन मान तैंहा ऊंच-नीच
सबो ला एक मा सरेख...
जा रे जारे परेवना, उड़ी जाबे भइय्या के देश
बाँध देबे राखी ला , तैंहा परेवना
कहि देबे ....मया के संदेस
जा रे जारे..............
© टीकाराम देशमुख "करिया"
स्टेशन चउक कुम्हारी, जिला -दुरुग (छ.ग.)
मोबा.-९४०६३ २४०९६

पागा कलगी-16//8//ओमप्रकाश घिवरी*


*राखी*
ले जा रे परेवना ...,
राखी ला मोर भईया बर ।
मोर जीनगी मा ...,
सुख दुख के सोर करईया बर ।
मोर भईया मोर आँखी दुनो ,
जीनगी के रस्दा देखाथे ।
मन के राखे मोर सपना ला ,
भईया हा सिरजाथे ।
सुख दुख मा आगू पाँछू ,
मोर भईया हा आथे ।
भाई बहिनी के मया का होथे ,
तेला सब ला बताथे ।
नान पन मा मोर संग ,
हँस हँस के खेल खेलईया बर ।
ले जा रे परेवना ......,
खेल खेलत मा भाई बहिनी संग,
गुँजय जम्मो पारा हा ।
खो-खो फुगड़ी डंडा पचरंगा मा ,
झूलय बर के डारा हा ।
सुरता करत बात ओ दिन के ,
गुनत हे मन के भाखा हा ।
छलकत रहिथे मोर आँखी ले ,
मया के असुवन धारा हा ।
झन बिलम परेवना जल्दी जा ,
मोर खबर के लेवईया बर ।
ले जा रे परेवना ...,
राखी ला मोर भईया बर ।
मोर जीनगी मा .....,
सुख दुख के सोर करईया बर ।
*✍🏻रचना*
*ओमप्रकाश घिवरी*

पागा कलगी-16//7//जगदीश "हीरा" साहू


@ राखी @
भाई बहिनी के मया जोरे बर, आगे राखी तिहार ।
उड़ जा रे परेवना भइया ला, दे आबे राखी हमार ।।
तोर गोड़ मा मोर मया के, चिन्हा आज बंधाये हे ।
तोर रंग कस सुघ्घर सादा, राखी तिहार आये हे ।।
जाके बताबे भइया ला मोर, नई आये सकौं ये बार।
उड़ जा रे परेवना भइया ला, दे आबे राखी हमार ।।
मोर भइया ला जाके तै, मोर मन के बात बताबे ।
दाई ददा ला खुस हौ मैंहा, इही संदेसा सुनाबे ।।
खिड़की ले देखत रइहौं मैंहा, रस्ता तोर निहार ।
उड़ जा रे परेवना भइया ला, दे आबे राखी हमार।।
धनी गे हे परदेस जे मोरे, जिनगी के आधार ।
उड़ जा रे परेवना भइया ला, दे आबे राखी हमार।।
जगदीश "हीरा" साहू , कड़ार (भाटापारा)
9009128538, (२१८१६)

पागा कलगी-16//6//ईंजी.गजानंद पात्रे"सत्यबोध"

उड़ ले जा संदेशा परेवना, बांध मया के पाखी।
दूर बसे हे दुलरवा भाई, कइसेके बांधव राखी।।
💍💍💍💍💍💍💍💍💍
गोदी तोर खेलेंव कुदेंव, महकेंव फूल अंगना,
साथ रोयेन साथ हसेन, झुलेन मया के झूलना,
पाये बर ममता दुलार,आंसू बहथे दुनो आंखी।
उड़ ले जा संदेशा परेवना,बांध मया के पाखी।।
दूर बसे हे दुलरवा भाई,कइसेके बांधव राखी।।
💍💍💍💍💍💍💍💍💍
एक पेड़ के दु डाली बन,उलहोयेन अलग पान,
तै बढ़ाये शान पीढ़ी के,मैं रखेंव माइके के मान,
रक्षा करबे देश,बहन के,कसम हे वर्दी खाखी।
उड़ ले जा संदेशा परेवना,बांध मया के पाखी।।
दूर बसे हे दुलरवा भाई,कइसेके बांधव राखी।।
💍💍💍💍💍💍💍💍💍
नइ मांगव मैं सोना चांदी, नइ मांगव कुछु गहना,
माँ बाप के सहारा बनबे,गोहरावथे हे तोर बहना,
थेगहा बनबे बुढ़ापा के, झन पकड़ाबे बैसाखी।
उड़ ले जा संदेशा परेवना,बांध मया के पाखी।।
दूर बसे हे दुलरवा भाई,कइसेके बांधव राखी।।
💍💍💍💍💍💍💍💍💍
बहन सबके अभिमान हे,बहन हे सबके शान,
बहन से ही आगे देश हमर, देख लव परमान,
नमन!नमन!प्यारी बहना,पी वी सिंधु अउ साक्षी।
उड़ ले जा संदेशा परेवना,बांध मया के पाखी।।
दूर बसे हे दुलरवा भाई,कइसेके बांधव राखी।।
💍💍💍💍💍💍💍💍💍
💍✍रचना-ईंजी.गजानंद पात्रे"सत्यबोध"
बिलासपुर(छ.ग.)
मो.नं.-८८८९७४७८८८

पागा कलगी-16 //5//लक्ष्मी नारायण लहरे, साहिल

जा जा रे मोर परेवना संदेस हे मोर पहुचादे संदेस ल 
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जा उड़ जा नीला गगन म 
जा जा उड़ जा
आज मोर राख लाज
भाई देखत होही रसदा मोर आज
भाई के आखी ले बहत होही आंसू
अबड देर होगे जा जा उड़ जा रे नीला गगन म
जा जा रे मोर परेवना संदेस हे मोर पहुचादे संदेस ल
नानकुन म एके संग खेलें -कूदेंन
अब बचपन आथे सुरता
दाई के कोरा ,बाबू के मया
भाई के दुलार
आज राखी के हे तिहार मोर भाई करत होही मोर सुरता
मने मन रोवत होही
आंखी ले आंसू बोहत होही
कई बछर होगे मिले भाई ल
आज अबड सुरता आवत हे
कोन जानी भाई ह का सोचत होही
मने मन रोवत होही
हाथ ल घेरी बेरी देखत होही
मोर सुरता म बहिन ल खोजत होही
जा जा रे उड़ जा परेवना
जा उड़ जा नीला गगन म
जा जा उड़ जा
आज मोर राख लाज
भाई देखत होही रसदा मोर आज
भाई के आखी ले बहत होही आंसू
अबड देर होगे जा जा उड़ जा रे नीला गगन म
जा जा रे मोर परेवना संदेस हे मोर पहुचादे संदेस ल
बहिनी के मया ल झन भुलाही
पुराना राखी ल हाथ म बांधे होही
मोर भाई मोर आये के आस म
रसदा ल झांकत होही ....
जा जा रे उड़ जा परेवना
जा उड़ जा नीला गगन म
जा जा उड़ जा
आज मोर राख लाज
भाई देखत होही रसदा मोर आज
० लक्ष्मी नारायण लहरे, साहिल ,
युवा साहित्यकार पत्रकार कोसीर रायगढ़

पागा कलगी-16//4// लक्ष्मी गोपी मनहरे


अंतरा- जाना रे परेवना कहिदे संदेश
बछर भर होगे भाई गेहे परदेश

पर(1) अखियन ले आसु बोहाये सुरता म तोर
तरसत हे बइरी नैना भाई कर लेते मोरो सोर
हिरदय मोर रोवत रहिथे देखे बर भेष
जाना रे परेवना कहिदे संदेश
पद(2) राखी मया के डोरी हरय पबरीत धागा
जूग जुग ले भाई बहिनी अमर रहि नाता
हिरदय मोर रोवत रहिथे देखे बर भेष
जाना रे परेवना कहिदे संदेश
पद(3) आगे पावन राखी भाई हवय तोर अगोरा
घेरी बेरी झाकव दुवारी हवय तोर निहोरा
हिरदे मोर रोवत रहिथे देखे बर भेष
जाना रे परेवना कहिदे संदेश
रचना लक्ष्मी गोपी मनहरे
गांव पथरपूंजी बेरला
जिला बेमेतरा

//पागा कलगी- 15 के परिणाम //





संगी हो जय जोहार
पागा कलगी 15 के मंच संचालक भाई मिलन मलरिहा द्वारा देगे विषय ‘देश बर जीबो देश बर मरबो‘ मा 30 रचना आइस । ये प्रतियोगिता के निर्णायक
श्री तुकाराम कंसारी, संपादक राजिम टाइम्स
श्री देवेन्द्र परिहार, प्रख्यात राष्ट्रवादी, राष्ट्रीय कवि रहिन।
ये दरी परिणाम देवब मा थोकिन देरी होगे येखर बर क्षमा चाहत हंव । कारण ये रहिस के हमर दू निर्णायक म के एक झन के निर्णय कल आईस, दूनों निणायक के गहन अध्ययन अउ भाव शब्द के आंकलन ले जेन निर्णय देईन ओ अनुसार
ये प्रतियोगिता के विजेता हे-
पहिली-श्रीचोवा राम वर्मा " बादल"
हथबंद
9926195747
दूसर-श्री गुमान प्रसाद साहू
ग्राम-समोदा ( महानदी )
थाना-आरंग ,जिला-रायपुर छ.ग.
9977213968
तीसर- श्री राजेश कुमार निषाद
ग्राम चपरीद ( समोदा )
9713872983
प्रशंसा के लइक- श्री दिलीप वर्मा
बलौदा बाज़ार
अउ मनमोहन सिंह ठाकुर
हनुमान चौक ,खरसिया .
सबो विजेता संगी मन ला करेजा के अंतस ले बधाई