गुरुवार, 25 अगस्त 2016

पागा कलगी-16//4// लक्ष्मी गोपी मनहरे


अंतरा- जाना रे परेवना कहिदे संदेश
बछर भर होगे भाई गेहे परदेश

पर(1) अखियन ले आसु बोहाये सुरता म तोर
तरसत हे बइरी नैना भाई कर लेते मोरो सोर
हिरदय मोर रोवत रहिथे देखे बर भेष
जाना रे परेवना कहिदे संदेश
पद(2) राखी मया के डोरी हरय पबरीत धागा
जूग जुग ले भाई बहिनी अमर रहि नाता
हिरदय मोर रोवत रहिथे देखे बर भेष
जाना रे परेवना कहिदे संदेश
पद(3) आगे पावन राखी भाई हवय तोर अगोरा
घेरी बेरी झाकव दुवारी हवय तोर निहोरा
हिरदे मोर रोवत रहिथे देखे बर भेष
जाना रे परेवना कहिदे संदेश
रचना लक्ष्मी गोपी मनहरे
गांव पथरपूंजी बेरला
जिला बेमेतरा

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