गुरुवार, 25 अगस्त 2016

पागा कलगी-16//7//जगदीश "हीरा" साहू


@ राखी @
भाई बहिनी के मया जोरे बर, आगे राखी तिहार ।
उड़ जा रे परेवना भइया ला, दे आबे राखी हमार ।।
तोर गोड़ मा मोर मया के, चिन्हा आज बंधाये हे ।
तोर रंग कस सुघ्घर सादा, राखी तिहार आये हे ।।
जाके बताबे भइया ला मोर, नई आये सकौं ये बार।
उड़ जा रे परेवना भइया ला, दे आबे राखी हमार ।।
मोर भइया ला जाके तै, मोर मन के बात बताबे ।
दाई ददा ला खुस हौ मैंहा, इही संदेसा सुनाबे ।।
खिड़की ले देखत रइहौं मैंहा, रस्ता तोर निहार ।
उड़ जा रे परेवना भइया ला, दे आबे राखी हमार।।
धनी गे हे परदेस जे मोरे, जिनगी के आधार ।
उड़ जा रे परेवना भइया ला, दे आबे राखी हमार।।
जगदीश "हीरा" साहू , कड़ार (भाटापारा)
9009128538, (२१८१६)

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