गुरुवार, 25 अगस्त 2016

पागा कलगी-16//6//ईंजी.गजानंद पात्रे"सत्यबोध"

उड़ ले जा संदेशा परेवना, बांध मया के पाखी।
दूर बसे हे दुलरवा भाई, कइसेके बांधव राखी।।
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गोदी तोर खेलेंव कुदेंव, महकेंव फूल अंगना,
साथ रोयेन साथ हसेन, झुलेन मया के झूलना,
पाये बर ममता दुलार,आंसू बहथे दुनो आंखी।
उड़ ले जा संदेशा परेवना,बांध मया के पाखी।।
दूर बसे हे दुलरवा भाई,कइसेके बांधव राखी।।
💍💍💍💍💍💍💍💍💍
एक पेड़ के दु डाली बन,उलहोयेन अलग पान,
तै बढ़ाये शान पीढ़ी के,मैं रखेंव माइके के मान,
रक्षा करबे देश,बहन के,कसम हे वर्दी खाखी।
उड़ ले जा संदेशा परेवना,बांध मया के पाखी।।
दूर बसे हे दुलरवा भाई,कइसेके बांधव राखी।।
💍💍💍💍💍💍💍💍💍
नइ मांगव मैं सोना चांदी, नइ मांगव कुछु गहना,
माँ बाप के सहारा बनबे,गोहरावथे हे तोर बहना,
थेगहा बनबे बुढ़ापा के, झन पकड़ाबे बैसाखी।
उड़ ले जा संदेशा परेवना,बांध मया के पाखी।।
दूर बसे हे दुलरवा भाई,कइसेके बांधव राखी।।
💍💍💍💍💍💍💍💍💍
बहन सबके अभिमान हे,बहन हे सबके शान,
बहन से ही आगे देश हमर, देख लव परमान,
नमन!नमन!प्यारी बहना,पी वी सिंधु अउ साक्षी।
उड़ ले जा संदेशा परेवना,बांध मया के पाखी।।
दूर बसे हे दुलरवा भाई,कइसेके बांधव राखी।।
💍💍💍💍💍💍💍💍💍
💍✍रचना-ईंजी.गजानंद पात्रे"सत्यबोध"
बिलासपुर(छ.ग.)
मो.नं.-८८८९७४७८८८

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