सोमवार, 19 सितंबर 2016

//पागा कलगी-17 के परिणाम//



//पागा कलगी-17 के परिणाम//
अवधि- 1 सितम्बर 16 से 16 सितम्बर तक
विषय. जय जय श्री गणेशा
विधा-मुक्तक
संचालक- श्री चैतन्य जितेन्द्र तिवारी (पागा कलगी.7 के विजेता)
निर्णायक-परम आदरणीय, श्री मुकुन्द कौशल, वरिष्ठ साहित्यकार, गजलकार, गीतकार, दुर्ग
ये आयोजन पहिली बार विधा आधारित रहिस, विधा म होय के बाद घला कुल 17 रचनाकार संगीमन के रचना प्राप्त होइस, ये हमर कवि भाई मन के विधा के प्रति सीखे के भाव ला बतावत हे । सबो संगी मन के हृदय ले आभार ।
ये अंक के निर्णायक परम आदरणीय, श्री मुकुन्द कौशलजी, वरिष्ठ साहित्यकार, गजलकार, गीतकार, दुर्ग
हा जम्मो रचना के तारिफ करत ये आयोजन के प्रशंसा करत सबो रचनाकार ला बधाई कहे हे अउ अवइया अंक बर सबो रचनाकार ला शुभकामना पठोय हे ।
छत्तीसगढ़ मंच डहर ले आदरणीय कौशलजी के बहुत बहुत आभार ।
पागा कलगी 17 के पागा निर्णायक के अनुसार ये प्रकार पहिराये जात हे -
पहिली विजेता-श्रीमती आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
दूसर विजेता-देवन ध्रुव
तीसर विजेता-सुनिल शर्मा ‘नील’
थानखम्हरिया, बेमेतरा, छ.ग.
सबो विजेता संगीमन ला अंतस ले बधाई

//पागा कलगी-17 के परिणाम//



//पागा कलगी-17 के परिणाम//
अवधि- 1 सितम्बर 16 से 16 सितम्बर तक
विषय. जय जय श्री गणेशा
विधा-मुक्तक
संचालक- श्री चैतन्य जितेन्द्र तिवारी (पागा कलगी.7 के विजेता)
निर्णायक-परम आदरणीय, श्री मुकुन्द कौशल, वरिष्ठ साहित्यकार, गजलकार, गीतकार, दुर्ग
ये आयोजन पहिली बार विधा आधारित रहिस, विधा म होय के बाद घला कुल 17 रचनाकार संगीमन के रचना प्राप्त होइस, ये हमर कवि भाई मन के विधा के प्रति सीखे के भाव ला बतावत हे । सबो संगी मन के हृदय ले आभार ।
ये अंक के निर्णायक परम आदरणीय, श्री मुकुन्द कौशलजी, वरिष्ठ साहित्यकार, गजलकार, गीतकार, दुर्ग
हा जम्मो रचना के तारिफ करत ये आयोजन के प्रशंसा करत सबो रचनाकार ला बधाई कहे हे अउ अवइया अंक बर सबो रचनाकार ला शुभकामना पठोय हे ।
छत्तीसगढ़ मंच डहर ले आदरणीय कौशलजी के बहुत बहुत आभार ।
पागा कलगी 17 के पागा निर्णायक के अनुसार ये प्रकार पहिराये जात हे -
पहिली विजेता-श्रीमती आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
दूसर विजेता-देवन ध्रुव
तीसर विजेता-सुनिल शर्मा ‘नील’
थानखम्हरिया, बेमेतरा, छ.ग.
सबो विजेता संगीमन ला अंतस ले बधाई

शुक्रवार, 16 सितंबर 2016

पागा कलगी-17 //17// मिलन मलरिहा

कष्ट ला हरदे मोर लम्बोदर
करत.हँव पूजा तोर लम्बोदर
विघन बाधा ला मेट दे गणपति
खड़े.हँव हाथ जोर लम्बोदर ।

मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

गुरुवार, 15 सितंबर 2016

पागा कलगी-17 //16//ईश्वर लाल साहू

1. आके हमरो लाज बचादे जय जय श्री गणेशा ।
बिगडे जम्मो काज बनादे जय जय श्री गणेशा ।
डोंगा हा मझदार बुड़त हे जिनगी के समुंदर
आके बेडा पार लगादे जय जय श्री गणेशा ।

2. सुख ला भरदे हमरो जिनगी मा जय जय श्री गणेशा ।
पबरित करदे हम सबके मन ला जय जय श्री गणेशा ।
तोरे भगती कर पावन, अतका शक्ति दे दे
तोरे किरपा अमरित जइसे गा जय जय श्री गणेशा ।

ईश्वर लाल साहू
ठेलका, थानखम्हरिया

बुधवार, 14 सितंबर 2016

पागा कलगी-17//15//जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

मुक्तक(1)
सुवारथ के घोड़ा ला, झन दंऊड़न दे गनपति।
समुंदर में माया के , झन तंऊरन दे गनपति।
चुने मुसवा माया के, ओढ़े कपड़ा-लत्ता ला,
भगति के पाना-डारा ला, मंऊरन गनपति।
-------------------------------------
मुक्तक(2)
तोर आंसू नई बोहाय,
दूसर के आंसू पोंछबे त।
तोर तनमन नई मइलाय,
निक बात बिचार ल सोंचबे त।
तोर करनी ल “गनपति“
सरेखत हेवे ग,
नीम कइसे निकलही बीरवा,
केरा के खोंचबे त?

-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795

पागा कलगी-17//14//सुनिल शर्मा"नील"

1)मुक्तक-----""कर बैरी के नाश""""
*********************************************
अमन चैन के देश ह लहू मा बूड़गे आज
चिथत हे ग दाई ल बन बेटामन ह बाज
करव पाप के नाश सत के होवय ग अंजोर
हवय प्राथना बस इहि सुनलव हे गणराज
***†****************************************
2) मुक्तक----"गिरिजानंदन"
********************************
सबले बड़का "दाई-ददा" हे जग ला जेन
सिखाए हे
दाई-ददा के सेवा ल कर "पहली पूजन"
पाए हे
पूजाच भर सुक्खा झन करन गुन ओखर
अंतस मा धरलन
संकट हरेबर, मंगल करेबर
"गिरिजानंदन"आए हे|
*********************************
सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
copyright
14/09/2016
7828927284

पागा कलगी-17//13//-चोवा राम वर्मा " बादल "

मुक्तक 1(222 2222 2222 122)
जोईधा हच बड़भारी ,जै हो जै हो गणेशा ।
चकरित होगे भंडारी ,जै हो जै हो गणेशा ।
महतारी के आज्ञा माने तैं तो प्रण ल ठाने
मोहाटी छेके भोला ,जै हो जै हो गणेशा ।

मुक्तक 2 (222 2221 2211 22 )
जय जय हो गनपति तोर, आ लाज बचा दे
जगतारन बंदी छोर , बिपदा ल हटा दे ।
डोंगा बूड़त हे बीच भंवर म परे हे
सुन ले बिनती ला मोर, आ पार लगा दे ।

रचना -------चोवा राम वर्मा " बादल "
हथबंद