बुधवार, 16 नवंबर 2016

पागा कलगी -21//10//गुमान प्रसाद साहू

विषय- मोर छत्तीसगढ़ महतारी
शिर्षक- मोर छत्तीसगढ़ महतारी, 
करँव तोर बखान ओ।
विधा- हरिगितीका छंद --------------------------
बोहावत हे अरपा पइरी,
महानदी ह साथ हे।
पाँव धोये सोंढूर हसदो ,
लिलाधर सिवनाथ हे।।
दक्षिण कोसल तैं ह कहाये,
माटी हे महान ओ।
मोर छत्तीसगढ़ महतारी,
करँव तोर बखान ओ।।1।।
हरियर हरियर जंगल झाड़ी,
हरियर खेत खार हे।
बंजर में सोना उपजइया,
मजदुर खेतहार हे।।
सोन चिरईया तैं ह कहाये,
धान के खलिहान ओ।
मोर छत्तीसगढ़ महतारी,
करँव तोर बखान ओ।।2।।
तोर कोरा म राजिम लोचन,
महामाया दाई हे।
दन्तेसरी,चण्डी,सीतला,
बम्लेसरी माई हे।।
जनम धरिन हे ऋषिमुनि गियानि,
अऊ मजदुर किसान ओ।
मोर छत्तीसगढ़ महतारी,
करँव तोर बखान ओ ।।3।।
सुत उठके सब बड़े बिहनियाँ,
पग ल परथे तोर ओ।
दुख पीड़ा के हरईया हवस,
सबके दाई मोर ओ।।
बड़ मयारू मया के सबरी,
ममता के खदान ओ।
मोर छत्तीसगढ़ महतारी,
करँव तोर बखान ओ।।4।।
रचना :- गुमान प्रसाद साहू
ग्राम-समोदा(महानदी)
मो. :- 9977313968
जिला-रायपुर छग

पागा कलगी -21//9//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अंजोर"

"छत्तीसगढ़ के पागा कलगी 21बर रचना"
विषय:---मोर छत्तीसगढ़ महतारी।
'रचना ल दोहा म लिखे के छोटकन प्रयास'
तोरे सुत उठ पैया लागव,मोर छत्तीसगढ़ महतारी।
दक्षिण कौशल ओ दाई,तोरे जुन्ना नाव।
हमर कौशिल्या मां के,अंचरा सरिक छांव।।
दशरथ के ससुरार जे,राम के ममा गांव।
राम इही माटी तभे,आय हे कई घांव।।
बड़ भाग शबरी जेकर,बोइर खाये राम।
देख शिवरीनारायण,बनगे शबरी धाम।।
तोर पबरीत चरण मनावव,मोर छत्तीसगढ़ महतारी।
गुरू घासीदास लिये,गिरौदपुर अवतार।
सतनाम अलख जगाये,सत संदेश अपार।।
दामाखेड़ा ले बहे,कबीर बानी धार।
मनके मइल उजरा ले,भटकत हंसा तार।।
सतधरम के पालन कर,धर जीवन बर सार।
सत अहिंसा के रद्दा,खुश रइही संसार।।
मै घेरी बेरी गुन गावव,मोर छत्तीसगढ़ महतारी।
एक नवंबर दु हजार,पहिल पहर मुँधियार।
नवा छत्तीसगढ़ राज,बन होगिस तैयार।।
कोइला चुना टिन सोन,हीरा लोहा खान।
जमीन जरब दबे हवे,छत्तीसगढ़ खदान।।
साजा सरई साल हे, हे बीजा सैगोन।
तेंदू परसा पान हे,छोंड़ कहां जैबोन।।
मै कर जोरे माथ नवावव,मोर छत्तीसगढ़ महतारी।
'धान के कटोरा'हरे,भरे घरो घर अन्न।
रीति नीति संस्कृति धरे,हे धरती संपन्न।
सिरपुर राजिम रतनपुर,अद्भुत भोरमदेव।
श्रद्धा भक्ति भरे हिया,परम नाम जप लेव।।
घोख घोख लिखेव करहु,लेखनी म 'अंजोर'।
छत्तीसगढ़ महतारी,कृपाशिष मिलय तोर।।
संझा बिहिनिया गोहरावव,मोर छत्तीसगढ़ महतारी।
रचना:--सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अंजोर"
गोरखपुर,कवर्धा
9685216602

शुक्रवार, 11 नवंबर 2016

पागा कलगी -21//8//अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

मोर छत्तीसगढ़ महतारी....
रंग रंग के गोठ ल गड़थे 
जमो संगवारी मन बड़थे
छत्तीसगढ़ के रहिया बने रहथे,
अंगरा के रोटी पीठा खाते रहथे।
दुसर के दुख म ख़ुद ह जागथे,
मोर छत्तीसगढ़ बने दिखथे।।
मिलजुल के सबो काम ल करथे,
बारी कोती ल दिन मन निन्दथे।
गाय मन बर पैरा भुसा बोरथे,
बारी म जोंधरी खीरा सुघ्घर बोथे।।
'धान के कटोरा' बर बड़े प्रसिद्ध हवय,
हीरा के खान लदे हवय देवभोग म।
गन्ना लगाथे गुड़ शक्कर बनाये बर,
धान के 'अमित' किस्म पाथे ईहा।।
छत्तीसगढ़ म नदिया है अरपा पैरी,
तांदुला गंगरेल डेम हवय बड़े बड़े।
मोबाइल के जमाना आगे हवय ईहा,
कोनो नई रहय मोबाइल के बिना।।
भोरमदेव हवय खुजराहो बर प्रसिद्ध,
लक्ष्मण मन्दिर हवय एकठन सिरपुर म।
छत्तीसगढ़ के प्रयाग हवय राजिम म,
मोर छत्तीसगढ़ सुघ्घर दिखथे हवय।।
-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"
उम्र-17वर्ष 'विद्यार्थी'
रामनगर,कवर्धा जिला-कबीरधाम
छत्तीसगढ़ मो.-8085686829

पागा कलगी -21//7//जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

..........मोर छत्तीसगढ़ महतारी..............
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लोहा धरे हे, कोइला धरे हे ,हीरा धरे हे रे।
मोर छ.ग. महतारी,जिया म,पीरा धरे हे रे।
हंरियर लुगरा लाल होगे।
जंगल - झाड़ी काल होगे।
बैरी लुकाय हे ,पेड़ ओधा म,
ये का महतारी के हाल होगे?
होगे धान के , कटोरा रीता।
डोली-डंगरी बेंचागे,बिता-बिता।
घर - घर म, महाभारत माते हे,
रोवत होही देख,सबरी - सीता।
महानदी, अरपा ,पइरी म, आंसू भरे हे रे।
मोर छ.ग. महतारी,जिया म,पीरा धरे हे रे।
बम्लाई , महामाई , का करे?
बाल्मिकी , सृंगी,नइ अवतरे।
नइ मिले अब,धनी-धरमदास,
कोन बीर नारायन,बन लड़े?
कोन संत बने , घासी कस?
कोन राज बनाय,कासी कस?
कोन करे ,सिंगार महतारी के?
कोन सोहे , शुभ रासी कस?
सेवा-सत्कार भूलाके,तोर-मोर म पड़े हे रे।
मोर छ.ग. महतारी,जिया म,पीरा धरे हे रे।
बर बुचवा होगे ,सईगोन-सरई सिरात हे।
पीपर-लीम-आमा तरी,अब कोन थिरात हे?
गाँव के नांव भर हे, गंवागे हे सबो गुन रे।
बरा - भजिया भूलागे, भूलागे बासी-नून रे।
महतारी के गोरिया अंग म,
करिया-करिया केरवस जमगे।
कुंदरा उझरगे, खेत परिया परगे,
उधोग,महल ,लाज,टावर लमगे।
छेद के छाती महतारी के,
लहू ल घलो डुमत हे।
करमा - ददरिया म नइ नाचे,
मंद - मऊहा म झूमत हे।
जतन करे बर दाई ह तोला,छ.ग.म गढ़े हे रे।
मोर छ.ग. महतारी,जिया म पीरा धरे हे रे।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795

पागा कलगी -21//6//संतोष फरिकार

मय किसान अव हा मय ही अन्नदाता अव,
सब के पेट भराइया मय पालन कराइया अव,
मय किसान अव,
मय छत्तीसगढ़ महतारी अव
दुख पीरा के चिनहाइया
गरीबी के पहचान अव,
बनिहार के संगी मजदूर कि मितान अव.
मय किसान अव.
मय छत्तीसगढ़ महतारी अव
भूखे पेट मय सुत जाथव.
कोनो भूख म कलपन नई दव.
सब के थारी म रोटी के देवाइया अव,
अमीर गरीब सब बर मही तो अन्न उगाइया अव.
मय किसान अव.
मय छत्तीसगढ़ महतारी अव
घाम छइहा पानी बरसा जाड म कमाइया अव.
धरती के सिंगार कराइया अव.
मय किसान अव,
मय छत्तीसगढ़ महतारी अव
सब के सुनथो मय मोर कोनो सुनाइया नई हे.
अपन पीरा ल आंसू म पी लेथव,
मय किसान अव,
मय छत्तीसगढ़ महतारी अव
बेटी के बिहाव म अपन आप ल बेचत हव.
बेटा के पढाई म पेट ल कटात हव,
दाई ददा के सहारा अव
मय किसान अव,
मय छत्तीसगढ़ महतारी अव
नून बासी मोला सुहाथे.
मीठ बोली छत्तीसगढी के बोलाइया अव.
धरती महतारी के मान कराइया अव
मय किसान अव,
मय छत्तीसगढ़ महतारी अव
जागर तोड मेहनत कराइया अव,
सबे जीव के पालन कराइया अव,
मय किसान अव हा मय अन्नदाता अव,
मय छत्तीसगढ़ महतारी अव
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संतोष फरिकार

पागा कलगी -21 //5//आर्या प्रजापति

( "मोर छत्तीसगढ़ महतारी " )
जिहाँ बड़ सुघ्घर बिहनिया ले बजे बंसरी,
बच्छर भर बोथे धान अउ बारी।
रात कन घलो करत रईथे जी रखवारी,
बासी चटनी लाथे मंझनिया सुआरी।
जय हो "मोर छत्तीसगढ़ महतारी"
महिमा हे तोरेच भारी,
नारी के तैं अवतारी।
जिहाँ बोहाय शिवनाथ के धारी,
जेखर कोरा म रूख अउ जंगल झारी।
जय हो "मोर छत्तीसगढ़ महतारी"
किसान के ईहा मोल हे भारी,
जेन हा धरे बाँस के डंडा अउ तुतारी।
जिहा पुजथे हॅसिया, कलारी,
माटी हावय मटासी अउ कन्हारी।
जय हो "मोर छत्तीसगढ़ महतारी"
बित जाय जिनगी जम्मो सरी,
तोरेच पांव के तरी।
जिहाँ के मनखे राहय संग के संगवारी,
मया रईथे बनेच भारी।
जय हो "मोर छत्तीसगढ़ महतारी"
जिहाँ तीज तिहारी,
हाॅवय इंहा मया के चिन्हारी।
वैसे अग्हन, पुस के जाड़ भारी,
गोबर म लिपाय घर-दुआरी।
जय हो "मोर छत्तीसगढ़ महतारी"
मनाथन खुश होके देवारी,
शंकर पारवती जी आथे बन के गौरा-गौरी।
जिहाँ के फटाका टिकली, अनार अउ सुरसुरी,
असनहे छाये रईथे गंजहा, दरुहा अउ जुआरी।
जय हो "मोर छत्तीसगढ़ महतारी"
आर्या प्रजापति
मो. नं. -9109933595
गांव - लमती ( सिंगारपुर )
जिला - बलोदाबजार ( भाटापारा )

पागा कलगी -21 //4//बी के चतुर्वेदी

"मोर छत्तीसगढ़ महतारी "
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"मोर छत्तीसगढ़ महतारी कहा
पन लुकवा आमा कस लुकागे
पता नही कोन वपहार हे ठीहा
कोन भीथिया भारा मा टंगागे"
महतारी के कोरा धान कटोरा
सगरो पेट भरे इतरावत हे
पांव के तरी मा नदिया उपका
तन मन सगरो फरियावत हे
भाठा भूर्रा के बात कहव का
धनहा --धनहा कस खेत बेचागे
सुवा , रहस ,गम्मत पंडवानी
सोहरबिहागीत ददरिया मरत हे
एठ मुरेरा कभु -कभार सुनाथे
लोक-- बाजा कहुं न बजत हे
अब लिखैया के बात कहौं का
छत्तीसगढ़ी भाखा कहां समागे
अंवतरगे कतका बोली बतरस
जौन चाहत बोली बोलत हे
कोनो नइ बोले इहां के भाखा
हजार के बीच अपने बोलत हे
तिहार उहार के बात कहौं का
भरे चउमास म तरीया सुखागे
जीये खाये बर आइन मनसे
अब उंखरे जमीदारी चलत हे
इहां के सीधवा सीधवा मनखे
बनिहारी बर दउड़ फिरत हे
बढ़िया के बात. कहौं का
जीयत उल्टा खटिया लटकागे
रयपुर तउलागे बनिया तराजू
बेलासपुर मींझरा मेछरावत हे
नांद गांव लगे गरबा के खेती
कैसनहा संसकार देखावत हे
रैगढ़ पखाल के बात कहौं का
कोरबा अंबिका छठ म बंधागे
आतंकी के रखवारी बरकस
बस्तर माटी म सेंध परत हे
कोन काय बिगाड़ही इंखर
चारो मुड़ा अंधियारी रेकत हे
गांवन गांव के बात कहौं का
जीयत मरत ले संग धरागे
ममहतारी कहे मा काय धरे
न बखान न आरती करत. हे
छींही बाती वअचरा के होवत
कहुं कारखाना अटारी बनत हे
अब नदिया के बात कहौं का
रेती निकलाई म पानी कहांगे
मोर महतारी के हरियर का्ति
सुरुज लाली गुलाल उडा़वत हे
चंदा अंजोरत फरहर फरहर
चिरइ चिरबुन तरीयाउडा़वत हे
अब बघवा के बात कहौं का
जम्मो जंगल गये फरियागे
सुनै न बोलै नही देखत कोनो
आज पीरा काला जनावत हे
देखे किसान बनिहार नौकरिहा
चांटी कस पाही रेंगत.जावत हे
ऐसनहा के का बात कहौ का
कोलिहा कस दिन मा डेरागे
बी के चतुर्वेदी
८८१५९६३३५