शुक्रवार, 11 नवंबर 2016

पागा कलगी -21//7//जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

..........मोर छत्तीसगढ़ महतारी..............
------------------------------------------------------
लोहा धरे हे, कोइला धरे हे ,हीरा धरे हे रे।
मोर छ.ग. महतारी,जिया म,पीरा धरे हे रे।
हंरियर लुगरा लाल होगे।
जंगल - झाड़ी काल होगे।
बैरी लुकाय हे ,पेड़ ओधा म,
ये का महतारी के हाल होगे?
होगे धान के , कटोरा रीता।
डोली-डंगरी बेंचागे,बिता-बिता।
घर - घर म, महाभारत माते हे,
रोवत होही देख,सबरी - सीता।
महानदी, अरपा ,पइरी म, आंसू भरे हे रे।
मोर छ.ग. महतारी,जिया म,पीरा धरे हे रे।
बम्लाई , महामाई , का करे?
बाल्मिकी , सृंगी,नइ अवतरे।
नइ मिले अब,धनी-धरमदास,
कोन बीर नारायन,बन लड़े?
कोन संत बने , घासी कस?
कोन राज बनाय,कासी कस?
कोन करे ,सिंगार महतारी के?
कोन सोहे , शुभ रासी कस?
सेवा-सत्कार भूलाके,तोर-मोर म पड़े हे रे।
मोर छ.ग. महतारी,जिया म,पीरा धरे हे रे।
बर बुचवा होगे ,सईगोन-सरई सिरात हे।
पीपर-लीम-आमा तरी,अब कोन थिरात हे?
गाँव के नांव भर हे, गंवागे हे सबो गुन रे।
बरा - भजिया भूलागे, भूलागे बासी-नून रे।
महतारी के गोरिया अंग म,
करिया-करिया केरवस जमगे।
कुंदरा उझरगे, खेत परिया परगे,
उधोग,महल ,लाज,टावर लमगे।
छेद के छाती महतारी के,
लहू ल घलो डुमत हे।
करमा - ददरिया म नइ नाचे,
मंद - मऊहा म झूमत हे।
जतन करे बर दाई ह तोला,छ.ग.म गढ़े हे रे।
मोर छ.ग. महतारी,जिया म पीरा धरे हे रे।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें