बुधवार, 23 नवंबर 2016

पागा कलगी -22//4//संतोष फरिकार

नोट बंदी नोट बंदी हे
सबके मन म समाए हे
सब डाहन सजे बजार हे
नोट के मंदी नोट के मंदी हे
बजार म देख दुकान म देख
गांव म देख शहर म देख
सबो डाहन नोट बंदी हे
नोट के मंदी नोट के मंदी हे
बैंक म लाईन लगा के देख
दुकानदार कना मांग के देख
बस म चढ़ के देख नोट बंदी हे
नोट के मंदी नोट के मंदी हे
घर चलाय बर राशन
नोट बदले बर शासन
खाली होगे हवय कीचन
नोट बंदी नोट बंदी हे
जमो डाहन नोट मंदी हे
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# मयारू
संतोष फरिकार
देवरी भाटापारा
9926113995

पागा कलगी -22//3//आर्या प्रजापति

विषय - नोट बंदी के नफा-नुकसान
गांव के मन ल होगे बनेच संसो,
छोड़ देहे खेत के काम बुता एसो।
मोदी जी एलान करिस परसो,
एदर के बदल जाही हजार अउ पांच सो।
आज कल बस इही चलथे गोठ,
बंद हो जही हजार अउ पांच सो के नोट।
मोदी जी के एलान लागिस हमला पोठ,
बैंक म लाइन लगे हे पहिने धोती अउ कोट।
बैंक म जावा पैसा बदल जाही,
उहा जांहु फार्म भरे ल पड़ही।
थोड़ा सा हलाकानी जरुर होही,
मगर तुहर मेहनत के पल जरुर मिलही।
बदल ले नोट कागज बन जाही,
नई बदल बे त पैसा नई चल पाही।
संसो झन कर पच्चास दिन म बदल सकही,
लगथे ये सोच ह बनेच गदर - फदर मचाही।
हजार के नोट म अतेक काला बजारी समाय,
जेन ल देखबे तेन अपन जेब गरमाय।
गरीब मन ल सबो लुट - खसोट मचाय,
सबे डाहर ले दुख के बादर मंडराय।
सबो कोती भ्रष्टाचार अउ घुसखोरी हमाय,
हमन ल जेन पाय तेन झरराय।
जेती जाबे तेती हमला सताय,
फेर अतेक करें के पाछु हमर हक म का आय।
हजार के चिल्हर नई होवय हमर करा,
भटकत रइथन सबो पारा।
सोचे ल पड़थे भंजाव काखर तिरा,
अब काखर ले सुनाव अपन पिरा।
दु हजार के नोट आय ले बड़ परेशानी पड़ही,
समझ नई आय ये काखर कर भंजही।
ये बदलाव ह हमी मन ल जनाही,
एखर चिल्हर ह कोन जनी काखर कर मिलही।
आर्या प्रजापति
मो. नं. -9109933595
गांव -लमती (सिंगारपुर )
जिला - बलोदाबजार

पागा कलगी -22//2//देवेन्द्र कुमार ध्रुव(डी आर )

जब ले नोटबन्दी के बात ला सुनत हे,
सबो झन मुड़ धरे मने मन गुनत हे,
चार पईसा दाई मन गठियाये अछरा मा,
फेके के लईक होगे आज ओ कचरा मा....
सुतके उठगे बड़े फजर बड़े बिहान,
दिनभर बैंक के चक्कर काटत हे सियान,
बिगन खाये पीये होवत हे हलाकान,
ऐती होवत हे काम बूता के नकसान....
का बतान जेवन कइसे भिड़त हे दू जून के,
कइसे होवत हे बेवस्था तेल,गुड़,नुन के,
अरे पीरा हे, जब ले नोट बन्दी होगे हे,
घर मा राखे जम्मो बड़े नोट रद्दी होगे हे ....
बड़ा दुखदाई हे बीमार मनखे के कहानी,
पईसा नइहे एकठन,बिसाय बर दवई पानी,
बिगन ईलाज कतको के जीव छूट जात हे,
जीनिस मन मांहगी,सस्ता होगे जिनगानी...
कोनो उबर नई पावत हे ऐकर चोट ले,
काही बिसाय नई सकय,हाथ धरे नोट ले,
बांचे हे बुता,लईका के छट्ठी नामकरनी के,
काकरो घर खात खवई नई होहे,मरनी के...
नोनी के बाबू मुड़ ला धरे हे
बिहाव के लगन इही समे परे हे
फिकर हे कइसे उठही बेटी के डोली
काला देके पठोहु खाली हे मोर झोली.....
नफा....
जभे होही ऐ कालाधन के नास ,
तभे होही देस के सुघ्घर विकास,
नोट बन्दी के फरमान ले जागिस आस,
हमरे हित के काम सबो करत हे बिसवास...
बईठे बईठे देस के गद्दार बर पईसा पहुँचे,
गोला बारूद हथियार बर पईसा पहुँचे,
अब पूरा जर हाल जाही आतंकवाद के,
नास हो जाही देस मा नक्सलवाद के....
फलत फुलत रिहिस बैपार नकली पईसा के,
पता नई चल पाये असल अऊ खइता के,
हमनला नचवावय देखाके खेल कागज़ के,
अब कागजे रही ओ नकली पईसा कागज के.
जगा जगा सबो हमनला रिसवत मांगे,
बिगन दे काम नई होवय हाथ ला टाँगे,
अब रिसवत के गोठ ले सबो कंपकपाही
ऊपर डाहर के कमई ला कते डाहर खपाही..
खेल बन्द हो जाही कालाबाजारी के,
ढंग बदल जाही घटिया कारोबारी के,
चपक के राखे राहय तेला अब आघू लाही
कचरा मा फेकही नईते आगी मा धराही....
करचोरी करे देस ला खोखला करे,
अपन झोली ला ओ दोगला भरे,
नवा सबक हरे ऐहा गद्दार मन बर,
सबो अच्छा हे वफादार मन बर.....

रचना
देवेन्द्र कुमार ध्रुव(डी आर )
'फुटहा करम' बेलर
जिला गरियाबंद

पागा कलगी -22//1//कन्हैया साहू "अमित" *.

*नोटबन्दी के गोठ *
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बङ सुग्घर सरकार के गोठ,
कर दीन बन्द बङे-बङे नोट।1
करिया मन अउ करिया धन,
इंखर उपर मारीन हे चोट। 2
लात के भूत बातेच नइ माने,
बइगा "मोदी" तैं कोर्रा-कोर्रा सोंट।3
संइता मा सकल सुख हे संगी,
सात पुरखा बर झन रपोट। 4
बङहर बङ बहादुर बने,
काँपय भीतर पोटा पोट-पोट। 5
नइ हे संसो सतवंता मन ला,
थर्राय जिंखर नियत मा खोट।6
लंगोटी ला लंगटा झन समझ,
मत सँहरा उज्जर पेन्ट कोट।7
दुब्बर बर इहां दु असाढ हे,
पइसा पातर ता खरचा मोठ।8
मुसकुल हे *अमित * चारों खुँट,
धीर मा खीर मिलही फेर पोठ।9
भागही भसटाचार भारत ले,
कभु नइ मातही लुट खसोट।10
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*कन्हैया साहू "अमित" *.
*शिक्षक * हथनीपारा~भाटापारा (छ.ग)
संपर्क ~ 9200252055
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//पागा कलगी 21 के परिणाम//

पागा कलगी 21 जेखर विषय छत्तीसगढ़ के स्थापना पर्व के अवसर मा ‘मोर छत्तीसगढ़ महतारी‘ दे गे रहिस जेमा कुल 16 रचनाकार संगी मन के रचना आइस । ये आयोजन के निर्णायक आदरणीय अंजनी कुमार अंकुरजी रहिन । ये आयोजन के सबो रचनाकार मन के तारीफ करत, सबोण्न ला बधाई देत अंकंरजी अपन निर्णय दें हें जेखर अनुसार-
पहिली विजेता- श्री गुमान प्रसाद साहू
दूसर विजेता- श्री दुर्गेश सिन्हा
तीसर विजेता-श्री बी.के चतुर्वेदी अउ श्री ज्ञानुदास मानिकपुरी
सबो विजेता संगी मन छत्तीसगढ़ी साहित्य मंच के तरफ ले अंतस ले बधाई

बुधवार, 16 नवंबर 2016

पागा कलगी -21//16//चोवा राम " बादल"

मोर छत्तीसगढ़ महतारी
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जय हो जय हो तोर मोर छत्तीसगढ़ महतारी ।
मैं अनाड़ी गावौ कतका,महिमा हे तोर भारी ।
गांव गांव मा गउरा चौंरा,
ठाकुर देंवता सांहड़ा देंवता ।
पीपर पेंड मं बिसनु बिराजे ,
बर पेंड मा ब्रम्हा देंवता ।
लीम तरी तरिया के पार महमाई देबी कारी ।
जय हो जय हो तोर, मोर छत्तीसगढ़ महतारी ।1
अरपा पैरी महानदी ह, गंगा धार बोहाथे ।
शिवनाथ के अमरित पानी हमर पियास बुझाथे साग भाजी ह कछार के ,घातेच् जी मिठाथे ।
करिया माटी बड़ उपजाऊ चना गहूँ अर्राथे ।
परबत घाटी बसतर के जंगल सोभा हे गा न्यारी जय हो जय हो तोर, मोर छत्तीसगढ़ महतारी ।2
रतनपुर महमाया मंदिर,डोंगरगढ़ बमलाई ।
तरेंगा के सीतला माता, सिंगारपुर मौली दाई ।
राँवां भांठा बंजारी धाम हे,रइपुर दुगधा धारी ।
सिरपुर अउ शिवरी नरायेन,तुरतुरिया खल्लारी
गिरौदधाम राजिम के दरसन तरथे गा नर नारी जय हो जय हो तोर, मोर छत्तीसगढ़ महतारी ।3
ए धरती मं लोहा सोना हीरा के भरे खजाना
हिरमी रावन बैकुंठ मं हे सिरमिट के कारखाना
कोरबा के कोईला लोहा भेलाई बनाना
नामी कई ठन कालेज मा होथे पढ़ना पढाना ।
धान कटोरा छलकत रइथे नइये भुखमरी लचारी जय हो जय हो तोर ,मोर छत्तीसगढ़ महतारी 4
जिहाँ ददरिया दरद ल हरके मदुरस घोरै कान
करमा डंडा सुआ पंथी जग जाहिर पहिचान ।
चीला बोबरा ठेठरी खुरमी हाबय हमर पकवान
निच्चट सिधवा बड़ करमईता ईंहाँ के किसान ।
चोवा राम "बादल" के भइया खेती हे चिन्हारी ।
जय हो जय हो तोर, मोर छत्तीसगढ़ महतारी ।
रचना --चोवा राम " बादल" हथबंद9926195747
07 -11-2016

पागा कलगी -21 //15//डोल नारायण पटेल

***मोर छत्तीसगढ़ महतारी***
कोरा बड़ सुघ्घर हवे, सब बर सुख के खान।
अइसन जइसन सरग हे, देख समझ पहिचान।
देख समझ पहिचान, माटी बड़ सुहावन हे।
फागुन के बरसात, झम झमाझम सावन हे।
कहिके डोल सुनाय, बुझ ले आना-सोरा।
मनवा ला हरसाय, छत्तीसगढ़ के कोरा ।।।।।
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सुघ्घर गांव शहर जुझे, सिरजे हे ये राज।
रजधानी रायपुर हर, मुकुट बने सिरआज।।
मुकुट बने सिरआज, देख के मन ला भाथे।
दुर्ग भिलाई जोड़, अड़बड़ नाम ला पाथे।।
देख एक ले एक, बसे हे गांव शहर हर।।
दाई छत्तीसगढ़ , महरानी सही सुघ्घर।।
-
महतारी छत्तीसगढ़, सब ला बहुत सुहाय।
हाथ विधाता के रचे ,रंगोली जस भाय।।
रंगोली जस भाय, भारत के अंगना मा।।
सुघ्घर लागे रूप , आवय नही कहना मा।।
मया पिरीत देवय, हवय सबोके दुलारी ।।
कलप रूख जस मोर, छत्तीसगढ़ महतारी।।
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महतारी छत्तीसगढ़ , धान कटोरा जान।।
दाई मोर अनपूरना, सुघ्घर सुख के खान।।
सुघ्घर सुख के खान, कोरा उपर बोहाथे।।
महानदी शिवनाथ , गंगा जमुना कहाथे।।
झरना नदी पहाड़, हवय सबबर सुखकारी।।
सब संपद के खान, छत्तीसगढ़ महतारी।।
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तोरे परथन पांव ला, दे हमला बरदान।।
सेवा हांथे ले करी, अउ मुख ले गुनगान ।।
अउ मुख ले गुनगान, जबतक जीव हे तन मा।।
कोरा तोर सुहाय, सबो ला जनम जनम मा।।
मइया तोरे पांव, परत हन हाथे जोरे।।
रहिबो सीस नवाय, पांव मा दाई तोरे।।
डोल नारायण पटेल
तारापुर(छ. ग.)
मो. - 7354190923