मंगलवार, 3 जनवरी 2017

//पागा कलगी-25 के रूपरेखा//

//पागा कलगी-25 के रूपरेखा//
बेरा-पहिली पखवाड़ा जनवरी 2017 तक
1 जनवरी ले 15 जनवरी दिसम्बर तक
विषय-‘छेरछेरा‘‘
विधा-विधा रहित
मंच संचालक- श्री गुमान साहू (पागा कलगी-15 के उपविजेता)
निर्णायक-श्री अरूण निगम छंदविद, दूर्ग
निवेदन-‘छत्तीसगढ़ साहित्य मंच के जम्मो रचनाकार भाई मन आप सब से निवेदन हे के कविता कोनो ना कोनो विधा-शिल्प मा निश्चित होथे, ये अलग बात हे के हम ओ विधा-शिल्प ला नई जानत होबो । कुछु विधा मा नई होही त तुकांत विधा मा जरूर होही । यदि आप मन अपन रचना के विधा के घला उल्लेख कर देहू।

रविवार, 1 जनवरी 2017

पागा कलगी -24//12//आर्या प्रजापति

विषय - बाबा गुरुघासी दास बाबा के संदेश
****** पंथी गीत ******
कैसे करव मै बखान,
दिये सबो ल गियान।
बाबा दुनिया म सत् ल बगराये,
ओ गुरु मन के छुआ अउ छुत ल भगाये।
1) तोर आय ले धन्य होइस जम्मो गिरौदपुरी,
जम्मो भगत मन दरस बर आये।
बाबा दुनिया म सत् ल बगराये,
ओ गुरु मन के छुआ अउ छुत ल भगाये।
सब के मन म खुशी छाये,
18 दिसम्बर के पारी आये।
शवेत झंडा लहराये,
सुघ्घर पंथी गीत हर भाये।
तै हा गुरु बाबा मोर..।
2) बोल सतनाम जीवन म जपे बाबा।।
जाति अउ धरम ल समझाये।
बाबा दुनिया म सत् ल बगराये,
ओ गुरु मन के छुआ अउ छुत ल भगाये।
जाति भेदभाव समझाये,
सत के पुजारी तै कहलाये।
नषा मुक्ति के गियान बताये,
छुआ छुत ल भगाये।
तै हा गुरु बाबा मोर..।
3) बोल सतनाम जीवन म जपे बाबा।।
तै ह दुनिया म अलख जगाये।
बाबा दुनिया म सत् ल बगराये,
ओ गुरु मन के छुआ अउ छुत ल भगाये।
छाये रिहीस छुआ छुत के षोर,
जमाना रिहीस नीच जात के घोर।
लाईस बाबा सत के अंजोर,
गुंजय सबो गली खोर।
तै हा गुरु बाबा मोर..।
4) बोल सतनाम जीवन म जपे बाबा।।
तै हर अमरौतिन के कोरा म आये।
ग बाबा दुनिया म सत् ल बगराये,
ओ गुरु मन के छुआ अउ छुत ल भगाये।
कैसे करव मै बखान,
दिये सबो ल गियान।
ग बाबा दुनिया म सत् ल बगराये,
ओ गुरु मन के छुआ अउ छुत ल भगाये।
तोर आय ले धन्य होइस जम्मो गिरौदपुरी।।
ग बाबा जम्मो भक्तन दरस बर आये।
ग बाबा दुनिया म सत् ल बगराये,
ओ गुरु मन के छुआ अउ छुत ल भगाये।।
कैसे करव मै बखान,
दिये सबो ल गियान।
ग बाबा दुनिया म सत् ल बगराये,
ओ गुरु मन के छुआ अउ छुत ल भगाये।
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आर्या प्रजापति
मो. नं. -9109933595
ग्राम - लमती (सिंगारपुर )
जिला - भाठापारा(बलोदाबजार)

शुक्रवार, 30 दिसंबर 2016

पागा कलगी -24 //11//विक्रमसिंह राठौर "लाला"

विषय --> गुरू घासी दास बाबा के संदेश
महंगू के लाला अऊ अमरौतिन के दुलारा अस । 
हमर सब के बाबा तही एक सहारा अस ।।
गिरौधपुरी म बाबा जनम धर के तै आय ग ।
सबो नर नारी के दुख ल तै भगाय ग ।।
जोडा जैतखाम बाबा गिरौधपुरी म गडाये ग ।
दुरिया दुरिया के नर नारी दर्शन बर आये ग ।।
चरण कुंड अमरित के धारा ।
जिहा बोहाये पांच कुंड के धारा ।।
जोक नदी अउ बड भारी छाता पहार हे ।
गिरौधपुरी म बईठे बाबा हमारे हे ।।
तोर भजन ल बाबा मै गा लेतेव ग ।
तोर दरश ल बाबा मै पा लेतेव ग ।।
मोर गुरू बाबा के संदेश हे महान ग ।
जेहा बताये हे मनखे मनखे ल एक समान ग ।।
गुरू बाबा मोर तै छूआ छुत ल मिटाये ग ।
समाज म एकता अउ भाईचारे ल बताये ग ।।
मोर गुरू बाबा के सत्य के प्रति अटूट आस्था रहीस ग ।
मोर गुरू बाबा ह बालपन म चमत्कार देखाये रहीस ग ।।
सांप चाबे बुधारु ल तै जिआय रेहे ग ।
अउ छत्तीसगढ़ म सतनाम पंथ ल चलाय रेहे ग ।।
तोर गुणगान ल गावय "लाला साहू" ग ।
एको दिन मुरता म दरश देखाहू ग ।।
तोर 18 दिसम्बर बाबा हमन मनाये हन ग ।
तोर मुरत ल बाबा मन म बसाये हन ग ।।
--> विक्रमसिंह राठौर "लाला"
मुरता नवागढ़ , बेमेतरा
7697308413, 8120957083
दिनांक - 28.12.2016
समय - 08:15 am

पागा कलगी -24//10// एस•एन•बी•"साहब"

मोर बाबा के महिमा हे अपार
रे मनखे लेले आशीष बारंबार
सत् के संदेश देवत जिनगी ह बीतिस
ज्ञान के प्रकाश चारो कोति ह बिगरिस
मन झन हो तै उदास
होही चारो कोति ह उजियार
जात-पात छुआछूत मा झन उलझव
मनखे-मनखे ला एकसमान समझव
न कोनो छोटका न कोनो बडका
संगी बनके जिनगी ला लगावव पार
माँस-मदिरा ला कभू हाँथ झन लगावव
अज्ञानता ला जिनगी ले दूर भगावव
सबो बर दया रहे
बड़ सुंदर पाए हस तै संसार
 एस•एन•बी•"साहब"
रायगढ़

मंगलवार, 27 दिसंबर 2016

पागा कलगी -24//9//आशा देशमुख

विषय --गुरू घासीदास के संदेश
पंथी गीत ..
मन भाखा बोली कोंदी होगे मोरे बाबा
तन जीभिया नादान ,
कइसे करव गुणगान,
अंतस ज्ञान जगाई दे ,मोरे गुरू गुणखान |
अंतस ज्ञान जगाई दे |
बाबा घासीदास गुरू सत के अवतारी हो ,
सत के अवतारी |
चारो कोती सत गूंजे महिमा हे भारी हो ,
महिमा हे भारी |
मोरे मति हे अज्ञान ,
कइसे करहव बखान ,
अंतस ज्ञान जगाई दे ,मोरे गुरु सतवान ,अंतस ज्ञान जगाई दे |
सत्य प्रेम दया मया रद्दा के रेंगइया हो ,रद्दा के रेंगइया |
छुआ छूत जाति धरम कांटा के बहर इया हो ,कांटा के बहरइया |
मैं तो दुरगुन खदान ,
कइसे करव गुणगान ,
अंतस ज्ञान जगाई दे ,मोर गुरु हे महान |
अंतस ज्ञान जगाई दे |
तोला बाबा एक दिखय सबो जीव प्राणी हो ,
सबो जीव प्राणी |
बघवा अउ मिरगा पीये ,एक घाट पानी हो ,
एक घाट पानी |
मोरे जुच्छा गुमान ,
कइसे करय गुणगान ,
अंतस ज्ञान जगाई दे ,बाबा सत के कमान |
अंतस ज्ञान जगाई दे |
तोरे जस बाढ़य बाबा पुन्नी कस चंदा हो ,
पुन्नी कस चंदा |
गुरू ब्रम्हा बिष्णु शिव काटय भव के फंदा हो ,
काटय भव के फंदा |
मैं अमावस शैतान ,
कइसे करव गुणगान ,
अंतस ज्ञान जगाई दे ,मोरे गुरू दिनमान |
अंतस ज्ञान जगाई दे ,मोरे गुरू सतवान ,
अंतस ज्ञान जगाई दे |
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
24 .12.2016 शनिवार

पागा कलगी -24//8//कौशल साहू "फरहदिया"

विषय - गुरु घासीदास के संदेश
विधा - पंथी गीत
*************************************
@ गुरु के संदेश @
मोर गुरु के संदेशा, सब ला झकझोरे।
सतनाम के दीया बारके, दुनिया ल अंजोरे।
1 जनम धरे अउ तप करे
पावन गिरौद धाम म।
सतनाम के तैं पुजेरी
सादा धजा जइत खाम म ।।
मंगलू मंगलीन बेटा पाके, जोड़ा नरियर फोरे।
मोर गुरु के..................
2 रंग रूप करिया गोरिया
नजर बनाके देख झन।
नोहय कोनो खातू कचरा
घुरवा म कोनो ल फेंक झन।।
छुआछूत अउ ऊंच नीच के, भीथिया ल तैं टोरे।
मोर गुरु के.............
3 झन जा मंदिर देवाला
हिरदय म भगवान रे।
चिरई चांटी हाथी मिरगा
सबके एक परान रे।।
समरसता के घाट म, सब ला तंय चिभोरे।
मोर गुरु के...................
4 मंद मउहा पी के मत मातव
जुवा चित्ती मत खेलव।
झुठ लबारी चोरी हारी म
दुध भात मत झेलव।।
मेहनत के परसादी म, तंय खाले बासी - बोरे।
मोर गुरु के............
5 पर नारी ल बेटी माई
अपने बरोबर मानव।
सबो जीव के दुख पीरा ल
अपने बरोबर जानव।।
अरज करत हे 'कौशल' तोरे, दसो अंगुरिया जोरे ।
मोर गुरु के.................
6 सतनाम अमरीत बरोबर
सत आगी म जरय नही।
सतनाम ल तंय सुमर ले
सत पानी म सरय नहीं।।
सतनाम के हीरा छोड़ के, पथरा ल बटोरे।
मोर गुरु के.................

रचना :- कौशल साहू "फरहदिया"
गांव /पोस्ट - सुहेला
जिला - बलौदाबाजार - भाटापारा
पिन कोड 493195 (छ ग)

पागा कलगी -24//7//जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

....बबा घासी के उपदेस....
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मनखे-मनखे लड़त हे देख।
अतियाचार बढ़त हे देख।
बिरथा हो जही का?
बबा घासी के उपदेस।
खुसरे माया के सांधा म।
फंदाय जातपात के फांदा म।
छोड़ के संजीवनी जरी,
भुलाय कोचरहा कांदा म।
छलत हस अपनेच ल,
बनाय देखावटी भेस।
बिरथा हो जही का?
बबा घासी के उपदेस।
सत के अलख जगाय कोन?
गिरे - थके ल उठाय कोन?
कोन करे पर बर फिकर?
लांघन ल भला खवाय कोन?
छुआ-छूत ,उंच-नीच मानत,
तोर-मोर कहिके मसके घेंच।
बिरथा हो जही का?
बबा घासी के उपदेस।
अधमी ल समझाय कोन?
अंधियार म दिया जलाय कोन?
कोन बनाय मनखे ल मनखे?
नसा दुवेस छोड़ाय कोन?
करत हे मनके कुछु भी,
लाज - सरम ल बेंच।
बिरथा हो जही का?
बबा घासी के उपदेस।
सुवारथ बर लड़त हे।
जीव-जंतु ल हलाल करत हे।
सुनता के चंदन ल मेट के,
माथा म मोह धरत हे।
बोली-बचन मीठ नइ हे,
धरम-करम ल दिये लेस।
बिरथा हो जही का?
बबा घासी के उपदेस।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795