बुधवार, 23 नवंबर 2016

पागा कलगी -22//7//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर'अंजोर'

विषय:-- नोट बंदी
विधा:--छंद म लिखे के प्रयास।
नोट बंदी के नफा निक हे,
फैसला हे गजब निकहा।
गोरस लुटईया बिलई बर,
बढ़िया बांधे हे सिकहा।
नोट बंदी जबले होय हे,
खुश दिखे चिल्हर धरइया।
चेत कउवाय अकबकाय हे,
नोट के उप्पर सुतइया।
जमाखोरी कर गाड़े रहिन,
ढांके तोपना उघरगे।
करिया नकली सब्बोझन के,
लाहो लेवई उतरगे।
रुपिया पइसा अब सकलाके,
बेंक के कोठी म भरही।
नियत सुघ्घर रइही त रुपिया,
बिकास के रद्दा धरही।
नफा नेक सब्बो कहत फेर,
कहुं कहुं नकसान हवे।
सूई दवई बरबिहाव बर,
जम्मो झन परसान हवे।
मरनी हरनी खात खवाई,
छट्ठी संग नाम करनी।
रुपिया बिना जुच्छा परेहे,
रसोई म डब्बा बरनी।
बुता काम छोड़ माईपिला,
बेंक के आघु खड़े हवे।
नवा नोट निकलिच हे लटपट,
त छुट्टा के अकाल हवे।
नोट बंदी करइया मोदी,
चारो मुड़ा ले सोर हे।
अभी थोरहे परसानी हे,
आघु रद्दा अंजोर हे।
रचना:-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर'अंजोर'
गोरखपुर,कवर्धा
9685216602

पागा कलगी -22//6//कु. जागृति बघमार

भ्रष्टाचार के सेती
नोट बंदी चलत हे
बोरा बोरा पईसा 
अब माटी म गलत हे
नोट वाला मनखे
नोट बीन छटपटावत हे
बीन नोट के मनखे
तीन परत ले खावत हे
करिया धन सफेद करे बर
मनखे जगह जगह फिरत हे
नोट भंजाये बर संगी इहा
बनिहार घला मिलत हे
कोनो नदिया त कोनो
नरवा म पईसा सरोवत हे
हद होगे संगी अब इहा
बट्टा म नोट घला मिलत हे
आतंकी अऊ नक्शली मन
नकली नोट म चलत हे
मनखे संग अरथबेवस्था ला
दीयार अस तरी तरी घुन हे
नोट बंदी होये ले संगी अब
ये नकली नोट सिरावत हे
जम्मो करिया पईसा ह अब
सरकार के खाता म जावत हे
करिया नोट करिया नोट
गली गली गोठियावत हे
थोरक दिन के परशानी
तहान बने दिन आवत हे ....
कु. जागृति बघमार

पागा कलगी -22//5//अमित चन्द्रवंशी "सुपा"

कालाधन लाये बर सरकार मुहीम चलाइच
1000 अऊ 500 रु नोट पर रोक लगाइच
हाहाकर मचे गे हवय सहर म अति
देहतवाले मनके का होही?
देहातवाले मन ल तो पता नही होही
4घण्टे बाकि रहिस दिन डूबे बर त बताइस
एटीएम बैंक पेट्रोल पम्म म बड़का जन लाइन रहिस
देखते देखत म अब्बड़ पैसा निक्लीच।
येति ओती चारो कोती 2000 अऊ 500 के नोट
बैंक अऊ डाकघर म हवय अति भीड़
पुरना नोट रखे हवय मचत बवाल
चिल्हर के परसानी हो गे हवय चारो कोती।
मोदी जी के एक ठन फैसला ह
ब्लैक ला व्हाइट बना के दिखाही
जेन बेरा म बन्द होहिच अफरा तफरी म
गजब होंगे हवय सहर गांव म।
नया नोट बैंक म आगे हवय
नकली बरोबर दिखथ हवय
आईच नवा बेरा सुघ्घर मोड़
नवा नोट बर लगे हवय भीड़।
2000 के नवा नोट आगे हवय
रिजर्व बैंक ह 100रु,200रु के सिक्का निकल दिच
चारों कोती छागे हवय नोट
भीड़ बड़गे हवय बैंक के दुवारी म।
-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
उम्र-17वर्ष 'विद्यार्थी'
रामनगर, कवर्धा जिला-कबीरधाम
छत्तीसगढ़ मो.-8085686829

पागा कलगी -22//4//संतोष फरिकार

नोट बंदी नोट बंदी हे
सबके मन म समाए हे
सब डाहन सजे बजार हे
नोट के मंदी नोट के मंदी हे
बजार म देख दुकान म देख
गांव म देख शहर म देख
सबो डाहन नोट बंदी हे
नोट के मंदी नोट के मंदी हे
बैंक म लाईन लगा के देख
दुकानदार कना मांग के देख
बस म चढ़ के देख नोट बंदी हे
नोट के मंदी नोट के मंदी हे
घर चलाय बर राशन
नोट बदले बर शासन
खाली होगे हवय कीचन
नोट बंदी नोट बंदी हे
जमो डाहन नोट मंदी हे
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# मयारू
संतोष फरिकार
देवरी भाटापारा
9926113995

पागा कलगी -22//3//आर्या प्रजापति

विषय - नोट बंदी के नफा-नुकसान
गांव के मन ल होगे बनेच संसो,
छोड़ देहे खेत के काम बुता एसो।
मोदी जी एलान करिस परसो,
एदर के बदल जाही हजार अउ पांच सो।
आज कल बस इही चलथे गोठ,
बंद हो जही हजार अउ पांच सो के नोट।
मोदी जी के एलान लागिस हमला पोठ,
बैंक म लाइन लगे हे पहिने धोती अउ कोट।
बैंक म जावा पैसा बदल जाही,
उहा जांहु फार्म भरे ल पड़ही।
थोड़ा सा हलाकानी जरुर होही,
मगर तुहर मेहनत के पल जरुर मिलही।
बदल ले नोट कागज बन जाही,
नई बदल बे त पैसा नई चल पाही।
संसो झन कर पच्चास दिन म बदल सकही,
लगथे ये सोच ह बनेच गदर - फदर मचाही।
हजार के नोट म अतेक काला बजारी समाय,
जेन ल देखबे तेन अपन जेब गरमाय।
गरीब मन ल सबो लुट - खसोट मचाय,
सबे डाहर ले दुख के बादर मंडराय।
सबो कोती भ्रष्टाचार अउ घुसखोरी हमाय,
हमन ल जेन पाय तेन झरराय।
जेती जाबे तेती हमला सताय,
फेर अतेक करें के पाछु हमर हक म का आय।
हजार के चिल्हर नई होवय हमर करा,
भटकत रइथन सबो पारा।
सोचे ल पड़थे भंजाव काखर तिरा,
अब काखर ले सुनाव अपन पिरा।
दु हजार के नोट आय ले बड़ परेशानी पड़ही,
समझ नई आय ये काखर कर भंजही।
ये बदलाव ह हमी मन ल जनाही,
एखर चिल्हर ह कोन जनी काखर कर मिलही।
आर्या प्रजापति
मो. नं. -9109933595
गांव -लमती (सिंगारपुर )
जिला - बलोदाबजार

पागा कलगी -22//2//देवेन्द्र कुमार ध्रुव(डी आर )

जब ले नोटबन्दी के बात ला सुनत हे,
सबो झन मुड़ धरे मने मन गुनत हे,
चार पईसा दाई मन गठियाये अछरा मा,
फेके के लईक होगे आज ओ कचरा मा....
सुतके उठगे बड़े फजर बड़े बिहान,
दिनभर बैंक के चक्कर काटत हे सियान,
बिगन खाये पीये होवत हे हलाकान,
ऐती होवत हे काम बूता के नकसान....
का बतान जेवन कइसे भिड़त हे दू जून के,
कइसे होवत हे बेवस्था तेल,गुड़,नुन के,
अरे पीरा हे, जब ले नोट बन्दी होगे हे,
घर मा राखे जम्मो बड़े नोट रद्दी होगे हे ....
बड़ा दुखदाई हे बीमार मनखे के कहानी,
पईसा नइहे एकठन,बिसाय बर दवई पानी,
बिगन ईलाज कतको के जीव छूट जात हे,
जीनिस मन मांहगी,सस्ता होगे जिनगानी...
कोनो उबर नई पावत हे ऐकर चोट ले,
काही बिसाय नई सकय,हाथ धरे नोट ले,
बांचे हे बुता,लईका के छट्ठी नामकरनी के,
काकरो घर खात खवई नई होहे,मरनी के...
नोनी के बाबू मुड़ ला धरे हे
बिहाव के लगन इही समे परे हे
फिकर हे कइसे उठही बेटी के डोली
काला देके पठोहु खाली हे मोर झोली.....
नफा....
जभे होही ऐ कालाधन के नास ,
तभे होही देस के सुघ्घर विकास,
नोट बन्दी के फरमान ले जागिस आस,
हमरे हित के काम सबो करत हे बिसवास...
बईठे बईठे देस के गद्दार बर पईसा पहुँचे,
गोला बारूद हथियार बर पईसा पहुँचे,
अब पूरा जर हाल जाही आतंकवाद के,
नास हो जाही देस मा नक्सलवाद के....
फलत फुलत रिहिस बैपार नकली पईसा के,
पता नई चल पाये असल अऊ खइता के,
हमनला नचवावय देखाके खेल कागज़ के,
अब कागजे रही ओ नकली पईसा कागज के.
जगा जगा सबो हमनला रिसवत मांगे,
बिगन दे काम नई होवय हाथ ला टाँगे,
अब रिसवत के गोठ ले सबो कंपकपाही
ऊपर डाहर के कमई ला कते डाहर खपाही..
खेल बन्द हो जाही कालाबाजारी के,
ढंग बदल जाही घटिया कारोबारी के,
चपक के राखे राहय तेला अब आघू लाही
कचरा मा फेकही नईते आगी मा धराही....
करचोरी करे देस ला खोखला करे,
अपन झोली ला ओ दोगला भरे,
नवा सबक हरे ऐहा गद्दार मन बर,
सबो अच्छा हे वफादार मन बर.....

रचना
देवेन्द्र कुमार ध्रुव(डी आर )
'फुटहा करम' बेलर
जिला गरियाबंद

पागा कलगी -22//1//कन्हैया साहू "अमित" *.

*नोटबन्दी के गोठ *
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बङ सुग्घर सरकार के गोठ,
कर दीन बन्द बङे-बङे नोट।1
करिया मन अउ करिया धन,
इंखर उपर मारीन हे चोट। 2
लात के भूत बातेच नइ माने,
बइगा "मोदी" तैं कोर्रा-कोर्रा सोंट।3
संइता मा सकल सुख हे संगी,
सात पुरखा बर झन रपोट। 4
बङहर बङ बहादुर बने,
काँपय भीतर पोटा पोट-पोट। 5
नइ हे संसो सतवंता मन ला,
थर्राय जिंखर नियत मा खोट।6
लंगोटी ला लंगटा झन समझ,
मत सँहरा उज्जर पेन्ट कोट।7
दुब्बर बर इहां दु असाढ हे,
पइसा पातर ता खरचा मोठ।8
मुसकुल हे *अमित * चारों खुँट,
धीर मा खीर मिलही फेर पोठ।9
भागही भसटाचार भारत ले,
कभु नइ मातही लुट खसोट।10
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*कन्हैया साहू "अमित" *.
*शिक्षक * हथनीपारा~भाटापारा (छ.ग)
संपर्क ~ 9200252055
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©opy®ight.......
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