विषय:-- नोट बंदी
विधा:--छंद म लिखे के प्रयास।
नोट बंदी के नफा निक हे,
फैसला हे गजब निकहा।
गोरस लुटईया बिलई बर,
बढ़िया बांधे हे सिकहा।
फैसला हे गजब निकहा।
गोरस लुटईया बिलई बर,
बढ़िया बांधे हे सिकहा।
नोट बंदी जबले होय हे,
खुश दिखे चिल्हर धरइया।
चेत कउवाय अकबकाय हे,
नोट के उप्पर सुतइया।
खुश दिखे चिल्हर धरइया।
चेत कउवाय अकबकाय हे,
नोट के उप्पर सुतइया।
जमाखोरी कर गाड़े रहिन,
ढांके तोपना उघरगे।
करिया नकली सब्बोझन के,
लाहो लेवई उतरगे।
ढांके तोपना उघरगे।
करिया नकली सब्बोझन के,
लाहो लेवई उतरगे।
रुपिया पइसा अब सकलाके,
बेंक के कोठी म भरही।
नियत सुघ्घर रइही त रुपिया,
बिकास के रद्दा धरही।
बेंक के कोठी म भरही।
नियत सुघ्घर रइही त रुपिया,
बिकास के रद्दा धरही।
नफा नेक सब्बो कहत फेर,
कहुं कहुं नकसान हवे।
सूई दवई बरबिहाव बर,
जम्मो झन परसान हवे।
कहुं कहुं नकसान हवे।
सूई दवई बरबिहाव बर,
जम्मो झन परसान हवे।
मरनी हरनी खात खवाई,
छट्ठी संग नाम करनी।
रुपिया बिना जुच्छा परेहे,
रसोई म डब्बा बरनी।
छट्ठी संग नाम करनी।
रुपिया बिना जुच्छा परेहे,
रसोई म डब्बा बरनी।
बुता काम छोड़ माईपिला,
बेंक के आघु खड़े हवे।
नवा नोट निकलिच हे लटपट,
त छुट्टा के अकाल हवे।
बेंक के आघु खड़े हवे।
नवा नोट निकलिच हे लटपट,
त छुट्टा के अकाल हवे।
नोट बंदी करइया मोदी,
चारो मुड़ा ले सोर हे।
अभी थोरहे परसानी हे,
आघु रद्दा अंजोर हे।
चारो मुड़ा ले सोर हे।
अभी थोरहे परसानी हे,
आघु रद्दा अंजोर हे।
रचना:-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर'अंजोर'
गोरखपुर,कवर्धा
9685216602
गोरखपुर,कवर्धा
9685216602
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