शनिवार, 11 फ़रवरी 2017

पागा कलगी -26//1//ज्ञानु'दास' मानिकपुरी

विषय-आसो के जाड़
विधा-दोहा (गलती ल जरूर बताहू)
1-बहुतेच जनावत हवे,आसो के ये जाड़।
तन मन हर काँपन लगे,संगे संग म हाड़।।
2-हाथ गोड़ ठिठुरन लगे,कट कट करते दाँत।
दिन तो जइसे कट जथे,मुसकुल होथे रात।।
3-गजब सुहाथे रवनिया,भुर्री तपइ मिठाय।
पानी हर चट ले करे,नाहे बर डरराय।।
4-बूढी दाई घर लिपे,बड़े फजर उठ जाय।
बाबू दाई नइ उठे,बबा गजब गुसियाय।।
5-लइका मन खेलें कुदे,जाड़ देख भग जाय।
बारी टेड़े कोचिया,तन तरतर हो आय।।
6-हाथ जोड़ बिनती करें,बूढ़ा बबा बिहान।
हे सुरुज अरजी सुनव,दरसन दव भगवान।।
7-चले हवा सुर सुर गजब,सबके मन ला भाय।
सरसों फूले देख के,तन मन हा झुम जाय।।
8-माटी के महिमा गजब,कहे 'ज्ञानु' कविराय।
तोरे कोरा हन सबो,हर मउसम मन भाय।।
ज्ञानु'दास' मानिकपुरी
चंदेनी कवर्धा(छ.ग.)

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