सोमवार, 15 फ़रवरी 2016

‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी 03‘ के परिणाम

छत्तीसगढ़ी कविता के प्रतियोगिता ‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी 03‘ के परिणाम
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संगी हो
जय जोहार
छत्तसगढ़ के ‘कलेवा‘ विषय मा ये संगी मन के रचना प्राप्त होइस -
1. श्री नवीन कुमार तिवारी
2.श्री महेश पांडेय मनु
3.श्रीओमप्रकाश चौहान
4.श्री दिनेश देवांगन ष्दिव्यष्
5.श्री देवेन्द्र कुमार ध्रुव
6.श्री अशोक साहू
7.श्री राजेश कुमार निषाद
8.श्री मिलन मलरिहा
9.श्री ललित टिकरिहा
10.श्रीसूर्यकांत गुप्ता

जम्मो रचनाकारमन के रचना घाते सुघ्घर रहिस सबो संगी मन ला ऐखर बर बधाई अउ धन्यवाद ।
येदरी के सुघर विषय ‘कलेवा‘ ये दरी के मंच संचालक महेन्द्र देवांगन माटी हा दे रहिस लगातार 15 दिन ले सबो के रचना मा सुझााव रखिस । भाई माटी ला हृदय ले आभर ।
पागा कलगी 03 के निर्णायक श्री नंदराम यादव निशांत मुंगेली अउ श्रीमती सुनिता शर्मा नितु रायपुर रहिन । आप दुनो सबो रचना ला ध्यान से मूल्यांकन करेंव अउ अपन निर्णाय देव । आप दुनो निर्णाक ला साधुवाद ।
सबो रचनाकार के कलेवा अतका गुरतुर रहिस के पाठक, संचालक निर्णायक सबो ला गजब मिठाइस । अउ दूदी ठन कलेवा जादे गजब लगिस ये कलेवा बर ये दरी के पागा कलगी संयुक्त रूप ले श्री महेश पांडे मनु अउ दिनेश देवांगन ‘दिव्य ला दे जात हे ।
आप दुनों रचनाकार ला कोरी-कोरी गाडा-गाडा बधाई

रविवार, 14 फ़रवरी 2016

पागा कलगी क्रमांक-3//ललित टिकरिहा

(छत्तीसगढ़ के पागा कलगी क्रमांक-3 बर रचना💐💐)
🍱🍪कलेवा छत्तीसगढ़ के🍪🍱
गुरतुर गुरतुर बोली हमर,
बड़ गुरतुर हमर करेजा,
छत्तीसगढ़िहा मन के बढ़िहा,
नई हन जी हमन अड़हा।
सिधवा होथन हमन संगी,
बड़ मानथन मीत मितनवा,
डेहरी म पहुना के रद्दा देखत,
बइठथन संझा बिहनवा।
नेवता नेवतत हंव झारा झारा,
कर लेतेव कहि के सेवा,
तुंहरेच खातिर मोर मयारू,
छानत हे किसम किसम के कलेवा।
बड़ सुहाथे हमर इंहां के कलेवा,
गुरतुर गुरतुर जइसन मेवा,
किसम किसम के पाबे संगी
मोर छत्तीसगढ़ म कलेवा।
ठेठरी, खुरमी गजब सुहाथे,
सुहाथे गोंदली बेसन के भजिया,
किसम किसम के पाबे संगी
मोर छत्तीसगढ़ म कलेवा।
बिड़िया पोपचि अउ डेहरौरी,
हेबय गजब येमन मोहलेवा,
किसम किसम के पाबे संगी,
मोर छत्तीसगढ़ म कलेवा।
चिला फरा अउ अंगाकर रोटी,
चलथे जी हमर रोजे जोरदरहा,
किसम किसम के पाबे संगी,
मोर छत्तीसगढ़ म कलेवा।
चौसेला, सोंहारी चेम्मर होथे,
बोबरा होथे जी बड़ गुलगुलवा,
किसम किसम के पाबे संगी,
मोर छत्तीसगढ़ में कलेवा।
अइरसा के तो बाते झन पूछ,
खाबे सुग्घर मन भर लसलसवा,
किसम किसम के पाबे संगी,
मोर छत्तीसगढ़ म कलेवा।
लाडु बरा ला चाब के खाबे,
तिरबे सप सप तसमई के सुरवा,
किसम किसम के पाबे संगी,
मोर छत्तीसगढ़ म कलेवा।
मीठ म बालुसायअउ रसगुल्ला,
पाबे नुनछुर म अड़बड़ कटेवा,
किसम किसम के पाबे संगी,
मोर छत्तीसगढ़ म कलेवा।
मिरचा भजिया गजब मिठाथे,
संग मिलथे अमटाहा सुरवा,
किसम किसम के पाबे संगी,
मोर छत्तीसगढ़ म कलेवा।
मया पिरित ल घोर के बनाथन,
पहुना बर पूजथन जइसे देवा,
हिरदय के भाव मिले तय पाबे ,
मोर छत्तीसगढ़ म कलेवा।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
रचना रचइया.........✍
🙏✏ललित टिकरिहा✏🙏
१४-०२-२०१६

पागाकलगी -3 //सूर्यकांत गुप्ता

छत्तीसगढ़ पागाकलगी -3 "कलेवा"
(अलवा जलवा दू चार लाइन)
पागा कलगी खोंच लौ, संउर कलेवा 'राज'।
ममादाइ सुरता करौं, रहि रहि के मैं आज।।
खुसी गमी दूनो जघा, बनै कलेवा जान।
खवा खवा पहुना सगा, राखन उंखर मान।।
बिना कलेवा जान लौ, मानन नही तिहार।
चढ़ै प्रेम के चासनी, नेउतौ झारा झार।।
नाव कलेवा देत हौं, देस काल अनुकूल।
कुछ बारो महिना बनै, सदा सोहागी फूल।।
सुख दुख दूनो के संगवारी।
बरा उरिद के अउ सोंहारी।।
मिठ मिठ चीज ल कहैं कलेवा।
कहैं सियानिन संग पतेवा।।
(पहिली हम अपन ममा दाइ ल कहत सुने हन के नई बनावत हौ का ओ कलेवा पतेवा...)
किसिम कसिम चीला चंउसेला।
दोसा के भाई सउतेला।।
बोबरा ठेठरी खुर्मी जान।
सावन भादो के पहिचान।।
बरा उरिद के पितर पाख के।
लौ सुवाद कोंहड़ा साग के।।
मनै दसहरा राँधौ रोंठ।
हनुमत भोग लगावौ पोठ।।
खाजा पपची खाव अनरसा।
करी लाड़ु बर झन मन तरसा।।
बर बिहाव पकवान जरूरी।
जोरैं संग संग बरी बिजउरी।।
होरी देवारी देहरउरी।
संग भांटा जी बरी अदउरी।।
छूटत हे बूंदी करी, बिरिया पिड़िया नाव।
सुरता अतके आत हे, मैं तो अड़हा आँव।।
हमर राज छत्तीसगढ़, खान पान के खान।
पहुना के सन्मान बर, आगू रथे सियान।।
जय जोहार.....
सूर्यकांत गुप्ता
1009 सिंधियानगर दुर्ग (छ. ग

शनिवार, 13 फ़रवरी 2016

पागा कलगी--3//मिलन मलरिहा



छत्तीसगढ के पागा कलगी"--3 "छत्तीसगढी कविता के प्रतियोगिता"
विषय--------// '''कलेवा'''//-------------
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सतजूग म रहीच धरम, बहुते पहुना आय।
मानय ओला देव सहि, कलेवा ओहि खाय।।
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दूध खीर मेवा छनय, घर—घर भोज खवाय।
हिरदय गदगद हो जयव, भरभर थारी पाय।।
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कलजुग मनखे नव करम, पहुना बन ललचाय।
दारु मुरगा मारबे, तभेच तो गुन गाय।।
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बीही आमा कलिन्दर, असल मेवा कहाय।
सतके रद्दा नइ धरय, नसा म सब पोताय।।
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गुटका पाउच अब हवय, अटल भोग चटुकार।
आजके 'कलेवा' एहि ल, मानत हे सनसार।।
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मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

पागा कलगी 3//राजेश कुमार निषाद

।।कलेवा।।

छत्तीसगढ़ के कलेवा बढ़ सुघ्घर लागथे ग।
आनि बानी के पकवान बने हे गजब के स्वाद आथे ग।
खीर पुड़ी बड़ा सुहारी।
घर म बनाये दीदी बहिनी अऊ महतारी।
पड़ोसी घलो येकर गोठ गोठियाथे ग।
आनि बानी के पकवान बने हे गजब के स्वाद आथे ग।
ठेठरी खुरमी अऊ नमकीन के बात निराला हे।
महर महर महके जे भजिया गुलगुला हे।
ये भजिया ल देख बबा के मुंह म पानी आथे ग।
आनि बानी पकवान बने हे गजब के स्वाद आथे ग।
होवत बिहनिया घर म बनय मुठिया रोटी अऊ चीला।
दतवन मुखारी करके खाये सब माईपीला।
रसगुल्ला अऊ बालुसाय के का कहना हे।
जलेबी ल देख के सबके लार टपकना हे।
अइरसा रोटी अऊ चउसेला मिरचा भजिया सब ल भाथे।
आनि बानी के पकवान बने हे गजब के स्वाद आथे।
परसा पान म बने अंगाकर रोटी सबके मन भाये।
टमाटर चटनी संग दबा के येला खाये।
ये हमर कलेवा खाये बर सब एक दूसर ल बलाथे।
छत्तीसगढ़ के कलेवा बढ़ सुघ्घर लागथे।
आनि बानी के पकवान बने हे गजब के स्वाद आथे।
रचनाकार ÷ राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद ( समोदा )
9713872983

शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2016

पागा कलगी क्र.3// अशोक साहू

।कलेवा छत्तीसगढ के।
मोर छत्तीसगढ के रोटी कलेवा
सुहावय मोला बढ़िया।
बड सुवाद ले ले के खाथन
हमन छत्तीसगढिया।।
अंगाकर रोटी के नाव सुन के
मुंह मे लार टपकथे।
फरा रोटी पताल चटनी संग
खाये खाये के मन करथे।।
गंहू पिसान के गुलगुल भजिया
के गोठ ल झन पूछ।
डोकरा बबा अउ डोकरी दाईं
लीलय गुट गुट।।
तिज तिहार के बेरा आथे
ठेठरी खुरमी के पारी।
ग़ज़ब सुहाथे चांऊर चौसेला
गंहूँ पिसान के सोंहारी।।
नवा चांउर के मुठिया रोटी
अबड मन ल भाथे।
माघ पुस म घरो घर
एकरेच गुण ल गाथे।।
बिडिया पपची खोजंव तोला
हाय रे मोर रोटी चीला।
अईरसा रोटी के काय कहना
मीठे मीठ खाथन माईपीला।।


अशोक साहू, भानसोज
तह. आरंग , जि. रायपुर

पागा कलगी 03//देवेन्द्र कुमार ध्रुव


**** कलेवा छत्तीसगढ के *****
जेन भी खाथे छत्तीसगढ़ के कलेवा ला
ओ भुला जथे मिठाई मिश्री अउ मेवा ला
पहुना के सत्कार बर परब तिहार बर
बनथे छत्तीसगढ़ में आनी बानी पकवान
जेन दिलाथे छतीसगढ़ ला अलगे पहिचान
चाउर पिसान सन मया घोरे बनथे चीला
पताल चटनी संग अंगाकर खावै माई पीला
बटकी मा बासी संग मा आमा के अथान
लहसुन मिर्चा पिसाये सील लोढहा मा
कोदोअउ मडिया पेज के सब करे गुणगान
गुलगुल भजिया अउ बरा सोहारी
मुठिया रोटी संग मा सबके चिन्हारी
करईया हरदम ख़ुशी अउ मया के बरसा
ठेठरी खुरमी कटवारोटी अरसा
लाई चना मुर्रा,करी लाडू ला नई भुलान
जब जब कोनो तिहार के बेरा आही
जुरमिल सबो एके जगा सकलाही
पागे कतरा थारी मा सज जाही
दुधफरा के स्वाद ला कोन भुलाही
मन गदगद होथे जब जाथे ओती धियान

रचना
देवेन्द्र कुमार ध्रुव बेलर
(फुटहा करम)
9753524905