।कलेवा छत्तीसगढ के।
मोर छत्तीसगढ के रोटी कलेवा
सुहावय मोला बढ़िया।
बड सुवाद ले ले के खाथन
हमन छत्तीसगढिया।।
अंगाकर रोटी के नाव सुन के
मुंह मे लार टपकथे।
फरा रोटी पताल चटनी संग
खाये खाये के मन करथे।।
गंहू पिसान के गुलगुल भजिया
के गोठ ल झन पूछ।
डोकरा बबा अउ डोकरी दाईं
लीलय गुट गुट।।
तिज तिहार के बेरा आथे
ठेठरी खुरमी के पारी।
ग़ज़ब सुहाथे चांऊर चौसेला
गंहूँ पिसान के सोंहारी।।
नवा चांउर के मुठिया रोटी
अबड मन ल भाथे।
माघ पुस म घरो घर
एकरेच गुण ल गाथे।।
बिडिया पपची खोजंव तोला
हाय रे मोर रोटी चीला।
अईरसा रोटी के काय कहना
मीठे मीठ खाथन माईपीला।।
अशोक साहू, भानसोज
तह. आरंग , जि. रायपुर
मोर छत्तीसगढ के रोटी कलेवा
सुहावय मोला बढ़िया।
बड सुवाद ले ले के खाथन
हमन छत्तीसगढिया।।
अंगाकर रोटी के नाव सुन के
मुंह मे लार टपकथे।
फरा रोटी पताल चटनी संग
खाये खाये के मन करथे।।
गंहू पिसान के गुलगुल भजिया
के गोठ ल झन पूछ।
डोकरा बबा अउ डोकरी दाईं
लीलय गुट गुट।।
तिज तिहार के बेरा आथे
ठेठरी खुरमी के पारी।
ग़ज़ब सुहाथे चांऊर चौसेला
गंहूँ पिसान के सोंहारी।।
नवा चांउर के मुठिया रोटी
अबड मन ल भाथे।
माघ पुस म घरो घर
एकरेच गुण ल गाथे।।
बिडिया पपची खोजंव तोला
हाय रे मोर रोटी चीला।
अईरसा रोटी के काय कहना
मीठे मीठ खाथन माईपीला।।
अशोक साहू, भानसोज
तह. आरंग , जि. रायपुर
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