शुक्रवार, 4 मार्च 2016

पागा कलगी 5// देवेन्द्र कुमार ध्रुव

शीर्षक -नंदावत जुन्ना खेल
जुन्ना खेल हरे छत्तीसगढ़ के पहिचान
जेन हा बढाथे हमर भुईयॉ के मान
सियान मन करय जेकर गुणगान
छत्तीसगढ़ के शान हरय जेन खेल
आज नंदावत हे हमर ओ जुन्ना खेल
सुने नई मिले अटकन बटकन दही चटाका
सब आजकल वीडियो गेम खेलथे फर्राटा
अब मजा निहे जेन आवव भंवरा बांटी मा
अब कोन्हों खेलेबर नई निकले मोहाटी मा
घर अंगना तक सिमट गे हे जम्मो खेल
आज नंदावत हे .......
सुन्ना परगे मैदान खाली खाली लागथे
जीत के ख़ुशी म अब कहाँ ताली बाजथे भाग दौड़ खेलकूद के बेरा जइसे थम गेहे
नईहे संगी साथी न मित मितानी हावे
चारदीवारी लईका बर होंगे जइसे जेल
आज नंदावत हे .......
बिल्लस,फल्ली,छूवउला ला भुलागे
तिग्गा,तीरीपाशा,जनाउला ला भुलागे
सगापहुना, पुतरापुतरी बर मया सिरागे
घर मा खुसरथे तुरते,जेन कुरता सनाथे
अब नई सोचे संगी मन ला लेतेव सकेल
आज नंदावत हे......
रेसटीप,फुगड़ी,चोरपुलिस,गुल्ली डंडा नंदावत हे
नंदियाबैला ,गेड़ी ला घलो कोनो नई चलावत हे
नदीपहाड़,विषअमृत,परीपत्थर ला भुलावत हे
लांगडि,गोटाबिनउल,पिटटुल ला बिसरावत हे
बाहरीमुठिया,गच्चा,डंडापचरंगा ,नई जानय का हरे बूटरेल
आज नंदावत हे ........
नूनपकउल,चुडीलुकउल गिरावत गड्ढा म गोंटी ला रेंगय
घोडाकुदउल,डंडासलगउल,कलमजीत मा दांवपेंच ला देखय
खसखस ले गोंदा,संकरीजोड़ी मा अब कोनो ध्यान नई देवय
गोल गोल रानी इत्ता इत्ता पानी के खतम होवत कहानी
भूलागे सब पोसमपार कहत बन जावत रिहिस रेल
आज नंदावत हे ........
रेती रेती के महल अटारी करके तैयारी
बईठे जम्मो झन सगा के अगोरा मा
गाड़ी भुर्र ले पीठ म बइठारे लाने दूर ले
रंग रंग के साग भात चुरय चुकीपोरा मा
ठट्ठा मट्ठा के डारय कराही म तेल
आज नंदावत हे ........
जब हमर खेल संस्कृति के विनाश होही
ता कहाँ ले लईका मन के विकास होही
पेड़ चढ़े ला नई जाने न तउरे हे तरिया म
शरीर बने रही कइसे खुसरे हे कुरिया म
मिलही नहीं सब संग ता कइसे होही मेल
आज नंदावत हे ........
रचना
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देवेन्द्र कुमार ध्रुव (फुटहा करम)
बेलर फिंगेश्वर जिला गरियाबंद
9753524905

पागा कलगी -5//महेन्द्र देवांगन "माटी"


विषय - हमर नंदावत खेल
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जब ले आहे किरकेट ह, गुल्ली डंडा नंदागे
लइकापन के बांटी भंउरा, जाने कहां गंवागे
पारा भर के लइका मन ह, हटरी म सकलाये
खेलन छू छुवउला संगी, अब्बड़ मजा आये
बेंदरा सही पेड़ में कूदन, खेलन डंडा पचरंगा
पटकीक पटका कुसती खेलन, कोनों राहे बजरंगा
तुक तुक के बांटी खेलन, अऊ चलावन भंऊरा
रेसटीप अऊ नदी पहाड़ ल, खेलन चंऊरा चंऊरा
बदलगे जमाना संगी, जम्मो खेल नंदागे
तइहा के बात ल बइहा लेगे, संसकिरती ल भुलागे
टीवी अऊ मोबाइल में, सबो आदमी भुलाये हे
सुन्ना परगे खोर गली, कुरिया में दुनिया समाये हे
रचना
महेन्द्र देवांगन "माटी"
गोपीबंद पारा पंडरिया

गुरुवार, 3 मार्च 2016

पागा कलगी 5//सुखन जोगी

" छ.ग. के . बर रचना
मन करथे फेर लइका हो जातेंव
सब लइकन संग खेले ल पातेंव
गिल्ली डण्डा , पचगण्डा अउ डण्डाकोलाल
फेर का पुछथस रेसटीप , नदी पहाड़ संग छु छुवाल
मन मोर तभो भरे निही नोनी संग खेल परथंव इत्तुल बित्तुल चाम चटिया गुरजी मरगे उठा खटिया
तिरिचउक , सांप सिढ़ही अउ गोटा बिनाल
परगे पारी अटकन चटकन दही चटाका
नवा नवा सिखेन रे भइया मार पिट्ठूल कुदउला
खेल खेल म पोसंम पा , घानी मुनि अउ लंगडी
थक हार के घर जातेन घर म दाई खेलावय लाखडी, तिवरा राहेर चना दार टारबे डोकरी राहटा ल गाड़ा आवथे
थोकुन बड़ का होगेन रे भइया खेलेन भंवरा बांटी चिभ्भी तुकाल
अतको म नइ त ढेलवा रहचुल , घर घुंदिया त कभु खेलन दस गोटिया , नव गोटिया अउ बघवा घेराल
गली गली घुम घुम के खेलेन फोटो , चक्का चलइ , त पथरा फेकाल
सुरता आथे कका दाई के किसा डारा पतेरा त मखना तुमा
फेर का कहंव ग कइसन जुग ह आवत हे
देखते देखत संगवारी जम्मो जिनिस ह नदावत हे
अब के लइकन के बात निराला
बिडियो गेम कम्पोटर यहा मोबाइल वाला
खेल नदागे गुडडी गुडडा
आगे नवा जमाना म टेडी संग डोरेमान अउ छोटा भीम
छोटकुन लइका के टु हु नदागे
का य करन संगी छोटकन तन गंवागे
देखते देखत सब खेल नदागे
मन के बात मन रहि जाथे
काबर बड़ तन पागेन |
सुखन जोगी
डोड़की ,बिल्हा
मो. ८७१७९१८३६४

पागा कलगी .5//आशा देशमुख


शीर्षक ..अब तो सबो नंदावत हे

गॉंव शहर के लोग लइका मन
कम्प्यूटर में फंदावत हे ,
अपन खेल ल हम खोजन कैसे
अब तो सबो नंदावत हे |
नई दिखे अब गिल्ली डंडा ,
दिखे नई बाटी भौरा
सुन्ना सुन्ना गली ह दिखथे ,
अउ सुन्ना पीपल चौरा |
नानकुन बड़कुन जेला देखिन
किरकेट के बल्ला घुमावत हे |
अपन खेल ल हम खोजन कैसे
अब तो सबो नंदावत हे। |
खो खो फुगड़ी गोटा बाटी
अब के नोनी मन नई जाने ,
सांप सीढ़ी अउ लुडो ल खेले ,
तिरी पासा खेल ल नइ जाने |
तरिया के तैरई नई जाने
स्वीमिंग पुल में नहावत हे |
अपन खेल ल खोजन कैसे ,
अब तो सबो नंदावत हे |
रेस टीप अउ रिच रिच गेड़ी ,
लागत हावे सपना के गोठ ,
माटी धुर्रा के घर बुंदियाँ ल
लील डारिस ग सिरमिट के कोठ |
खैरखा के फुदकी ल भुलागे
फ़ुटबाल में चिखला मतावत हे |
अपन खेल ल खोजन कैसे ,
अब तो सबो नंदावत हे |
रचनाकार
आशा देशमुख
एन टी पी सी जमनीपाली कोरबा
छत्तीसगढ़

मंगलवार, 1 मार्च 2016

पागा-कलगी क्र.०५//-आचार्य तोषण


"कहां नंदागे जुन्ना खेल "

गांव-गांव खोर गली मा
सुन्ना होगे मइदान गा।
कहां नंदागे जुन्ना खेल
अउ खेलइय्या नदान गा।।
अटकन बटकन दही चटाकन
खुडुवा कबड्ड़ी सब खेलन।
आए मजा बड़ ठेल ठेलई मा
पचड़ंगा मा डंडा ल पेलन।।
रेस टिरीप मा रेस करे
पल्ला हमू कुदान गा।
कहां नंदागे जुन्ना खेल
अउ खेलइय्या नदान गा।।१॥
चुरी लुकउल दाढ़ी चिमकउल
नंदी पहाड के गुनइय्या नइहे।
चायपत्ती चायपत्ती पोसन पाय
गुल्ली डंडा के पूछइय्या नइहे।।
शेर नोहे रे कोलिहा हरे
हमू पहिली चिल्लान गा।
कहां नंदागे जुन्ना खेल
अउ खेलइय्या नदान गा।।२॥
बिसरत हावै फुगडी फल्ली
तिरी पासा अउ गेडी चढ़ई।
खेल-खेल मा मान मनउवा
खेल खेल मा होवन लड़ई।।
खेल खेलई मा तन हा बढ़िहा
एखर महत्ता पहिचान गा।
कहां नंदागे जुन्ना खेल
अउ खेलइय्या नदान गा।।३॥
आज हमन खेलत हन
खेल देख बिदेशी खेल।
बाल बेंट के पाछू मा सब
भागत हावन रेलमपेल।।
मिलना जुलना काहीं नइहे
काबर समय गंवान गा।
कहां नंदागे जुन्ना खेल
अउ खेलइय्या नदान गा।।४॥
परन करौ जुरमिल संगी
पुरखौती ल बचाना हे।
छत्तीसगढ़ महतारी के
कोरा सुघ्घर सजाना हे।।
दिया आरती धुप सजाके
करबो सब गुनगान गा।
कहां नंदागे जुन्ना खेल
अउ खेलइय्या नदान गा।।५॥
कहां नंदागे जुन्ना खेल
अउ खेलइय्या नदान गा।।

-आचार्य तोषण

पागा कलगी ५//संतोष फरिकर

"हमर नदावत खेल"
हमर नदावत खेल
बिहनिया के बाटी भौरा
स्कुल के खो खो कबड्डी
भाठा के गील्ली डंन्डा
गुडी के रयचुली
हमर नदावत खेल
संझा के बेरा घोड़ा कुदंऊल
रात कुन के रेशटीप
खेलन संगी संगवारी
रहिस हवय हमर चिन्हारी
हमर चिमनी के पढ़ंई
नदावत हमर खेल
मझनिया के भटकुल खेलंई
अऊ खेलंई तीरी पासा
काय करन संगवारी
नई हेवय अब ए खेल के आसा
हमार नदावत खेल
कैची फांक सयकिल चलंई
बरसात म बेलन दौड़ंई
टीप टीप गरमी म आमा तोडंई
आज होगे कुलर म रहंई
संझा के बेरा पतंग ऊडंई
हमार नदावत खेल
नदावत हवय रस्सी दौऊड़
अऊ बोरा के दौऊडं
गली के चकरबिल्लस
बहिनी मन के फुगड़ी
हमार नदावद खेल
बहीनी मन के गोटा खेलंई
अऊ घोर घोर रानी
संगवारी मन के अटकन बटकन
नानकून के टायर दौड़ंई
फोदा के मरंई
हमार नदावत खेल
बहीनी संग अटकन बटकन
संझा कन आखी मुन्दा
रात कुन छु छुवाल
हमर संगवारी के अखाड़ा
हमार नदावत खेल
********************
संतोष फरिकार
देवरी भाटापारा
#मयारू
9926113995

पागा कलगी 4//ओमप्रकाश चौहान

पागा क्र. 4 बर मोर कबिता
🌊 चलना सरग बनाबो 🌊
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
धन धान्य ले फुलय फरय,
अइसे रददा सुग्घर बनाबो।
हलधर झन सनसो म मरय,
मांटी ल चलना अइसे सरग बनाबो।।
सुखत खेतीखार चौबार बर,
हमन भागीरथ बन जाबो,
आगाज, पताल लाज म लुकाजय
गंगा ल चलना सरग ले लेआबो।
निचट सिधवा आय हमर ये बानी
जुर मिल करिया टिकली बन जाबो,
बयरी दुसमन जर भूंजावय
वीर नारायण, सिंह देव ल सरग ले लेआबो।
लाली होवत हमर माटी ल
जुर मिल चल हरियर रंग चड़हाबो,
भटके मनखे खातीर बर
कबीर सर्वपल्ली ल चलना सरग ले लेआबो।
मांटी हमर चारो धाम बनय
कांसी काबा मजार सब बन जाबो,
एक सुतरी म सबे ल बांधय
ओ मानुस ल चलना सरग ले लेआबो।
कोयली अउ मैयना हमर परी बन जाय
अइसे बगईचा ल सुग्घर सजाबो,
रिगबिग रिगबिग खुसालि अंगना म बगरय
ओ बिहनिया ल चलना सरग ले लेआबो।
धन धान्य ले फुलय फरय
अइसे सुग्घर रददा बनाबो,
हलधर झन सनसो म मरय हमर
मांटी ल चलना सरग बनाबो।
🌻ओमप्रकाश चौहान🌻
🌻बिलासपुर🌻