"कहां नंदागे जुन्ना खेल "
गांव-गांव खोर गली मा
सुन्ना होगे मइदान गा।
कहां नंदागे जुन्ना खेल
अउ खेलइय्या नदान गा।।
सुन्ना होगे मइदान गा।
कहां नंदागे जुन्ना खेल
अउ खेलइय्या नदान गा।।
अटकन बटकन दही चटाकन
खुडुवा कबड्ड़ी सब खेलन।
आए मजा बड़ ठेल ठेलई मा
पचड़ंगा मा डंडा ल पेलन।।
रेस टिरीप मा रेस करे
पल्ला हमू कुदान गा।
कहां नंदागे जुन्ना खेल
अउ खेलइय्या नदान गा।।१॥
खुडुवा कबड्ड़ी सब खेलन।
आए मजा बड़ ठेल ठेलई मा
पचड़ंगा मा डंडा ल पेलन।।
रेस टिरीप मा रेस करे
पल्ला हमू कुदान गा।
कहां नंदागे जुन्ना खेल
अउ खेलइय्या नदान गा।।१॥
चुरी लुकउल दाढ़ी चिमकउल
नंदी पहाड के गुनइय्या नइहे।
चायपत्ती चायपत्ती पोसन पाय
गुल्ली डंडा के पूछइय्या नइहे।।
शेर नोहे रे कोलिहा हरे
हमू पहिली चिल्लान गा।
कहां नंदागे जुन्ना खेल
अउ खेलइय्या नदान गा।।२॥
नंदी पहाड के गुनइय्या नइहे।
चायपत्ती चायपत्ती पोसन पाय
गुल्ली डंडा के पूछइय्या नइहे।।
शेर नोहे रे कोलिहा हरे
हमू पहिली चिल्लान गा।
कहां नंदागे जुन्ना खेल
अउ खेलइय्या नदान गा।।२॥
बिसरत हावै फुगडी फल्ली
तिरी पासा अउ गेडी चढ़ई।
खेल-खेल मा मान मनउवा
खेल खेल मा होवन लड़ई।।
खेल खेलई मा तन हा बढ़िहा
एखर महत्ता पहिचान गा।
कहां नंदागे जुन्ना खेल
अउ खेलइय्या नदान गा।।३॥
तिरी पासा अउ गेडी चढ़ई।
खेल-खेल मा मान मनउवा
खेल खेल मा होवन लड़ई।।
खेल खेलई मा तन हा बढ़िहा
एखर महत्ता पहिचान गा।
कहां नंदागे जुन्ना खेल
अउ खेलइय्या नदान गा।।३॥
आज हमन खेलत हन
खेल देख बिदेशी खेल।
बाल बेंट के पाछू मा सब
भागत हावन रेलमपेल।।
मिलना जुलना काहीं नइहे
काबर समय गंवान गा।
कहां नंदागे जुन्ना खेल
अउ खेलइय्या नदान गा।।४॥
खेल देख बिदेशी खेल।
बाल बेंट के पाछू मा सब
भागत हावन रेलमपेल।।
मिलना जुलना काहीं नइहे
काबर समय गंवान गा।
कहां नंदागे जुन्ना खेल
अउ खेलइय्या नदान गा।।४॥
परन करौ जुरमिल संगी
पुरखौती ल बचाना हे।
छत्तीसगढ़ महतारी के
कोरा सुघ्घर सजाना हे।।
दिया आरती धुप सजाके
करबो सब गुनगान गा।
कहां नंदागे जुन्ना खेल
अउ खेलइय्या नदान गा।।५॥
पुरखौती ल बचाना हे।
छत्तीसगढ़ महतारी के
कोरा सुघ्घर सजाना हे।।
दिया आरती धुप सजाके
करबो सब गुनगान गा।
कहां नंदागे जुन्ना खेल
अउ खेलइय्या नदान गा।।५॥
कहां नंदागे जुन्ना खेल
अउ खेलइय्या नदान गा।।
अउ खेलइय्या नदान गा।।
-आचार्य तोषण
बहुत बढिया सर बखुबी आपने खेलों के बदलते परिवेस पर लिखा है
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