गुरुवार, 3 मार्च 2016

पागा कलगी 5//सुखन जोगी

" छ.ग. के . बर रचना
मन करथे फेर लइका हो जातेंव
सब लइकन संग खेले ल पातेंव
गिल्ली डण्डा , पचगण्डा अउ डण्डाकोलाल
फेर का पुछथस रेसटीप , नदी पहाड़ संग छु छुवाल
मन मोर तभो भरे निही नोनी संग खेल परथंव इत्तुल बित्तुल चाम चटिया गुरजी मरगे उठा खटिया
तिरिचउक , सांप सिढ़ही अउ गोटा बिनाल
परगे पारी अटकन चटकन दही चटाका
नवा नवा सिखेन रे भइया मार पिट्ठूल कुदउला
खेल खेल म पोसंम पा , घानी मुनि अउ लंगडी
थक हार के घर जातेन घर म दाई खेलावय लाखडी, तिवरा राहेर चना दार टारबे डोकरी राहटा ल गाड़ा आवथे
थोकुन बड़ का होगेन रे भइया खेलेन भंवरा बांटी चिभ्भी तुकाल
अतको म नइ त ढेलवा रहचुल , घर घुंदिया त कभु खेलन दस गोटिया , नव गोटिया अउ बघवा घेराल
गली गली घुम घुम के खेलेन फोटो , चक्का चलइ , त पथरा फेकाल
सुरता आथे कका दाई के किसा डारा पतेरा त मखना तुमा
फेर का कहंव ग कइसन जुग ह आवत हे
देखते देखत संगवारी जम्मो जिनिस ह नदावत हे
अब के लइकन के बात निराला
बिडियो गेम कम्पोटर यहा मोबाइल वाला
खेल नदागे गुडडी गुडडा
आगे नवा जमाना म टेडी संग डोरेमान अउ छोटा भीम
छोटकुन लइका के टु हु नदागे
का य करन संगी छोटकन तन गंवागे
देखते देखत सब खेल नदागे
मन के बात मन रहि जाथे
काबर बड़ तन पागेन |
सुखन जोगी
डोड़की ,बिल्हा
मो. ८७१७९१८३६४

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