रविवार, 24 जुलाई 2016

पागा कलगी-14/17/सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

"ढेकी"
घर मे राहय एक ढेकी,
सियान मन के धनकूट्टी।
कठवा के एकठन डांड़ी,
कठवा के एकठन कांड़ी।
डांड़ी के तरी मूसरी,
पहिरे लोहा के मुंदरी।
डाड़ी ला बोहे थुनिहा,
काबर बोहे हे गुनिहा।
मचाय ढेकी एकधुनिहा,
तभो नई धरही कनिहा।
हांथ म धरके डंगनी ला,
गोड़ चलावव ढेकी मा।
ढेकी मचय हमर काकी,
खोवय धान हमर दाई।
भुकरुस भुक ढेकी बाजे,
ककादाई छुमुक नाचे।
ओदर गे धान फोकला,
का पुछबे तहां गोठला।
भूंसा चंऊर अलगावा,
अउ खिचरी रांधव खावा।
कयिसे पेज मिठाइस हे,
अहिलेश्वर ल लिख बतावा।
रचना:--सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
गोरखपुर,कवर्धा

पागा कलगी-14/16/जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

नंदागे ढेंकी
------------------------------------------
भुकुर - भुकुर बाजे ढेंकी।
भिड़े राहय सास-बहू अउ बेटी।
उप्पर धरे बर राहय हवन डोर।
तरी म राहय दू ठन छोर।
एक कोती लकर-लकर हाथ चले,
त एक कोती सरलग चले गोड़।
दिखे मेहनत दाई-महतारी के।
जघा राहय कहनी किस्सा चारी के।
सास के बहू संग बन जाय,
भउजी के बने ननन्द संग।
जब संकलाय ढेंकी तीर,
मया बाढ़े संग संग।
कुटे कोदो-कुटकी चांउर-दार,
हरदी-मिर्चा धनिया-मेथी।
भुकुर-भुकुुर बाजे ढेंकी।
भिड़े राहय सास-बहू अउ बेटी।
धान के फोकला ओदर गे,
पड़े ले ढेंकी के मार ।
फुंने निमारे अउ अलहोरे,
सिधोय चांउर दार।
पारा-परोसी घलो आय,
धान कोदो धरके।
सिधोके रॉधे दार-भात,
अउ तीन परोसा झड़के।
मिठाय गईंज रांधे गढ़े ह,
मिन्झरे राहय मेहनत अउ नेकी।
भुकुर - भुकुर बाजे ढेंकी ।
भिड़े राहय सास-बहू अउ बेटी।
फेर अब;न जांता के घर-घर सुनाय,
न ढेंकी के ठक-ठक।
सिध्धो बुता सब ला सुहाय,
मूसर-बाहना ढेंकी लगे फट फट।
नवा जुग के पांव म दबगे ढेंकी।
चूल्हा के आगी म खपगे ढेंकी।
किस्सा कहनी म सजगे ढेंकी।
फोटु बन ऐती-ओती चिपकगे ढेंकी।
पुरखा ल कूट कूट खवईस,
अब धनकुट्टी मारत हे सेखी।
भुकुर-भुकुर बाजे ढेंकी।
भिड़े राहय सास-बहू अउ बेटी।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
9981441795

पागा कलगी-14/15/शुभम् वैष्णव

दिन ह तो उहि हे,
फेर अब ओ परमपरा नई हे
जब चार झन महिला
संग म एक दूसर के
संग देवत देवत
ढेकी म धान कुटय।
ढेकी के कुटे धान के
चाँउंर ह अब्बड़ मिठावय
फेर ओतका नहीं, जतना
कुटत कुटत उमन मन हा
मीठ मीठ गोठ करय,
बुता के संगे संग
सुख दुःख के गोठ
अउ हंसी ठिठोली
घलो करय
अउ अपन एकता के
परिचय देवय।
अइसे लगथे जइसे
तरक्की के दानव ह
ऊंखर ए परंपरा ल
लील डारिस
अउ
ऊंखर ए रिसता ल घलो।
-शुभम् वैष्णव
नवागढ़, जिला-बेमेतरा

शुक्रवार, 22 जुलाई 2016

पागा कलगी-14/14/ जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

नंदागे ढेंकी
------------------------------------------
भुकुर - भुकुर बाजे ढेंकी।
भिड़े राहय सास-बहू अउ बेटी।
उप्पर धरे बर राहय हवन डोर।
तरी म राहय दू ठन छोर।
एक कोती लकर-लकर हाथ चले,
त एक कोती सरलग चले गोड़।
दिखे मेहनत दाई-महतारी के।
जघा राहय कहनी किस्सा चारी के।
सास के बहू संग बन जाय,
भउजी के बने ननन्द संग।
जब संकलाय ढेंकी तीर,
मया बाढ़े संग संग।
कुटे कोदो-कुटकी चांउर-दार,
हरदी-मिर्चा धनिया-मेथी।
भुकुर-भुकुुर बाजे ढेंकी।
भिड़े राहय सास-बहू अउ बेटी।
धान के फोकला ओदर गे,
पड़े ले ढेंकी के मार ।
फुंने निमारे अउ अलहोरे,
सिधोय चांउर दार।
पारा-परोसी घलो आय,
धान कोदो धरके।
सिधोके रॉधे दार-भात,
अउ तीन परोसा झड़के।
मिठाय गईंज रांधे गढ़े ह,
मिन्झरे राहय मेहनत अउ नेकी।
भुकुर - भुकुर बाजे ढेंकी ।
भिड़े राहय सास-बहू अउ बेटी।
फेर अब;न जांता के घर-घर सुनाय,
न ढेंकी के ठक-ठक।
सिध्धो बुता सब ला सुहाय,
मूसर-बाहना ढेंकी लगे फट फट।
नवा जुग के पांव म दबगे ढेंकी।
चूल्हा के आगी म खपगे ढेंकी।
किस्सा कहनी म सजगे ढेंकी।
फोटु बन ऐती-ओती चिपकगे ढेंकी।
पुरखा ल कूट कूट खवईस,
अब धनकुट्टी मारत हे सेखी।
भुकुर-भुकुर बाजे ढेंकी।
भिड़े राहय सास-बहू अउ बेटी।

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
9981441795

पागा कलगी-14/12/नोख सिंह चंद्राकर "नुकीला"

"कुंडलियां" 
((१))
सात फीट के गोला ल, अईसन तैं ह छोल।
पिछू डहर पातर रहे, आघू डहर ह मोठ।।
आघू डहर ह मोठ, ओखर एक ठन दाँत गा ।
ले बर ओखर काम,त पिछू ल मार लात गा।।
कहत "नुकीला" राम, खवाहूँ भईया भात ।
झटकुन ते हा सोच, काय होथे फीट सात।।
((२))
ढेंकी ह नंदागे गा, आगे हबे मसीन ।
घर म नई कूटत हबे,सब झन जावत मील।।
सब झन जावत मील, लोगन येला भुलागे।
छत्तीसगढ़ी यंत्र, अपने राज म लुकागे।।
कहत "नुकीला" राम, नवा जमाना ह आगे।
मनखे करत बिकास, अउ ढेंकी ह नंदागे।।
((३))
धान कूटय गा ढेंकी,होवत बड़े बिहान ।
दाई ह खूंदन दाबे, फूफू डारय धान ।।
फूफू डारय धान,मार खमोस खमोस के।
धान ह गजब छराय, मार दमोर दमोर के।।
कहत "नुकीला" राम, ढेंकी के गावव गान।
दाई रांधे भात, ढेंकी म कूट के धान।।
@नोख सिंह चंद्राकर "नुकीला"
गाँव- लोहरसी, पो.- तर्रा,
तह.-पाटन,जिला-दुरुग(छ.ग.)
पिन-४९११११

पागा कलगी-14/11/हेमलाल साहू

@ढेकी@
कूटय सुतउठ धान ला, करै जाँगरे मा काम ला।
भुकरुस भुकरुस ले बजै, सुन ले ढेकी तान ला।।

धन कुट्टी मशीन रहय, ढेकी पुरखा के हमर।
कतको कूटय धान ला, रहै जबर जाँगर उकर ।।

एकझन कूटय धान ला, एक झन खोवय घान।
जिनगी हा सुघ्घर रहै, कसरत करय बिहान।।

पइसा न कौउड़ी लगय, रखै समय के मांग ला।
घर घर मा ढेकी रखय, चाउर बढ़ाय स्वाद ला।।

लगे रहय बहना, थरा, डाड़ी, मुसरी, बैसकी।
धुरा रखै टेकाय बर, नई निकलय गा कनकी।।

आज नदागे देख ले, सुरता बनगे जान ले।
धान कुटे मशीन हवे, दूसर घर के मान ले।।

ढेकी के सुरता रहै, पुरखा के चिन्हा हमर।
बनके कबिता मा रहै, जगत संग मा अमर।।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा
छत्तीसगढ़, मो.-9977831273

पागा कलगी-14/10/मूलचंद साहू

"धान कुटेल जाबोन"
चलो बहिनी चलो दीदी, धान कुटेल जाबोन।
ढेकी बाहना मुसर, सबला करदे ते तैयार,
कुकरा बासत धान कुटबो, बडे बिहनिया रहीबे तैयार।
चलो बहिन चलो......
खेती किसानी के दिन आगे,चाऊर दार ल करदे तैयार।
कोदो कुटकी घलो कुटबो,बैला बर दाना करदे तैयार।।
चलो बहिनी चलो......
नागर जोते बर नगरिहा जाहि,बासी लेगेबर मे तैयार।
टोकान कोड़े बर तेहा जाबे,बासी खाके होजा तैयार।।
चलो बहिनी चलो.....
खेत खार हरियर होगे,आगे अब हरेली तिहार।
गाय बैला बर लोदी अऊ, नागर देवता चिला रोटी तैयार।।
चलो बहिनी चलो दीदी ,धान कुटेल जाबोन।
मूलचंद साहू
गाँव चंदनबिरही,गुण्डरदेही
जिला बालोद छ.ग.
९६१२८९५६५३