दिन ह तो उहि हे,
फेर अब ओ परमपरा नई हे
जब चार झन महिला
संग म एक दूसर के
संग देवत देवत
ढेकी म धान कुटय।
फेर अब ओ परमपरा नई हे
जब चार झन महिला
संग म एक दूसर के
संग देवत देवत
ढेकी म धान कुटय।
ढेकी के कुटे धान के
चाँउंर ह अब्बड़ मिठावय
फेर ओतका नहीं, जतना
कुटत कुटत उमन मन हा
मीठ मीठ गोठ करय,
चाँउंर ह अब्बड़ मिठावय
फेर ओतका नहीं, जतना
कुटत कुटत उमन मन हा
मीठ मीठ गोठ करय,
बुता के संगे संग
सुख दुःख के गोठ
अउ हंसी ठिठोली
घलो करय
अउ अपन एकता के
परिचय देवय।
सुख दुःख के गोठ
अउ हंसी ठिठोली
घलो करय
अउ अपन एकता के
परिचय देवय।
अइसे लगथे जइसे
तरक्की के दानव ह
ऊंखर ए परंपरा ल
लील डारिस
अउ
ऊंखर ए रिसता ल घलो।
तरक्की के दानव ह
ऊंखर ए परंपरा ल
लील डारिस
अउ
ऊंखर ए रिसता ल घलो।
-शुभम् वैष्णव
नवागढ़, जिला-बेमेतरा
नवागढ़, जिला-बेमेतरा
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