शुक्रवार, 22 जुलाई 2016

पागा कलगी-14/12/नोख सिंह चंद्राकर "नुकीला"

"कुंडलियां" 
((१))
सात फीट के गोला ल, अईसन तैं ह छोल।
पिछू डहर पातर रहे, आघू डहर ह मोठ।।
आघू डहर ह मोठ, ओखर एक ठन दाँत गा ।
ले बर ओखर काम,त पिछू ल मार लात गा।।
कहत "नुकीला" राम, खवाहूँ भईया भात ।
झटकुन ते हा सोच, काय होथे फीट सात।।
((२))
ढेंकी ह नंदागे गा, आगे हबे मसीन ।
घर म नई कूटत हबे,सब झन जावत मील।।
सब झन जावत मील, लोगन येला भुलागे।
छत्तीसगढ़ी यंत्र, अपने राज म लुकागे।।
कहत "नुकीला" राम, नवा जमाना ह आगे।
मनखे करत बिकास, अउ ढेंकी ह नंदागे।।
((३))
धान कूटय गा ढेंकी,होवत बड़े बिहान ।
दाई ह खूंदन दाबे, फूफू डारय धान ।।
फूफू डारय धान,मार खमोस खमोस के।
धान ह गजब छराय, मार दमोर दमोर के।।
कहत "नुकीला" राम, ढेंकी के गावव गान।
दाई रांधे भात, ढेंकी म कूट के धान।।
@नोख सिंह चंद्राकर "नुकीला"
गाँव- लोहरसी, पो.- तर्रा,
तह.-पाटन,जिला-दुरुग(छ.ग.)
पिन-४९११११

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें