रविवार, 16 अक्टूबर 2016

पागा कलगी -19 //8//चोवा राम वर्मा "बादल"

बहर---1222 1222 1222 1222
गुफा गिरि चित्रकूपे हिंगुला के तिर बिराजे हे ।
भवानी हिंगुलाजे मंहमाई हर बिराजे हे ।
दुवारी मं बईठे लाल गनराजा बिघन टोरे
धियानी शिव ह भैरू रुप सऊंहे धर बिराजे हे ।
-------चोवा राम वर्मा "बादल"
------–---हथबंध 9926195747

पागा कलगी -19//7//दुर्गा शंकर इजारदार


माँ तू आएगी सोचकर ,आस लगाये बैठा हूँ ।
खोल दिल के दरवाजे मैं ,आँख बिछाये बैठा हूँ ।
चाहे दुश्मन हो जमाना,इसका क्या परवाह भला ।
तेरी ममता की छाँव का , आस लगाये बैठा हूँ ।


- दुर्गा शंकर इजारदार

पागा कलगी -19//6//देवेन्द्र कुमार ध्रुव

मुक्तक - 01
सरन मा हव मै हिंगलाज माई वो
साज दे बिगड़े मोर काज दाई वो
भगत ला अब तो अपन दरस देखा जा
राख ले अब ते मोर लाज दाई वो ......
मुक्तक -02
भगतन के दुःख हरे तै बुढ़ीमाई वो
झोली मा सुख भरे तै महामाई वो
डोंगर मा तै बईठे घटारानी माँ
कतको ठन रुप धरे तै दुर्गा दाई वो.....
रचना
देवेन्द्र कुमार ध्रुव (डीआर )
फुटहा करम बेलर
जिला गरियाबंद (छ ग)

पागा कलगी -19 //5//दिलीप वर्मा

विधा---मुक्तक
विषय----हिंगलाज दाई
बहर-222 222 22 212 121 222
कइसे के मेहर आवव,मोर हिंगलाजनी दाई।
कइसे के दर्शन पावव,मोर हिंगलाजनी दाई।
रहिथस जींहा दाई तें,तोर देश पाक बड़ पापी।
कइसे के मेहर जावव,मोर हिंगलाजनी दाई।
दिलीप वर्मा
बलउदा बजार

पागा कलगी -19//4//ज्ञानु मानिकपुरी "दास"

मुक्तक-1
बिगड़ी बनादे काज दाई।
रखले हमर वो लाज दाई।
तोरे चरण मा आय हावन
जय जय हो हिंगलाज दाई।
मुक्तक-2
तोर किरपा ले बन जाथे काम।
तोर किरपा ले सब पाथे नाम।
तोर गुनके कोने पाही पार
तोर मिल सब सेवक गाथे नाम।
ज्ञानु मानिकपुरी "दास"
चंदेनी कवर्धा
9993240143

पागा कलगी -19 //3//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अंजोर"

विषय:--हिंगलाज माई
विधा:--मुक्तक
(०१)
बहर-222 121 221 222 22
माई हिंगलाज ओ तोर महिमा न्यारी हे।
दाई हिंगलाज ओ तोर महिमा भारी हे।
लेवव तोर नांव अंजोर करदे जिनगी मा,
माता हिंगलाज ओ तोर जस हितकारी हे।
(०२)
बहर-222 212 222 221 2
तोरे मंदीर ओ दाई सीमा पार हे।
नदिया हिंगोल के दाई निरमल धार हे।
ल्यारी तहसील जे परथे पाकिस्तान मा,
करले स्वीकार भारत माँ के जोहार हे।
रचना:--सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अंजोर"
गोरखपुर,कवर्धा
9685216602

पागा कलगी 19//2//जगदीश "हीरा" साहू

हिंगलाज माई
बहर - 11112112122
दुःख हरले हिंगलाज माई।
सुख भरदे हिंगलाज माई।।
अब ककरो विसवास नइहे,
शरन म ले हिंगलाज माई।।
जगदीश "हीरा" साहू(१०१०१६)
9009128538