रविवार, 16 अक्तूबर 2016

पागा कलगी -19//7//दुर्गा शंकर इजारदार


माँ तू आएगी सोचकर ,आस लगाये बैठा हूँ ।
खोल दिल के दरवाजे मैं ,आँख बिछाये बैठा हूँ ।
चाहे दुश्मन हो जमाना,इसका क्या परवाह भला ।
तेरी ममता की छाँव का , आस लगाये बैठा हूँ ।


- दुर्गा शंकर इजारदार

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