छत्तीसगढ़ी मा लिखव, अपन मया के गीत । खोल अपन प्रतिभा इहां, ये संगी मनमीत ।। -रमेश चौहान
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सुरता
छत्तीसगढ़ी मंच
रविवार, 16 अक्तूबर 2016
पागा कलगी -19//7//दुर्गा शंकर इजारदार
माँ तू आएगी सोचकर ,आस लगाये बैठा हूँ ।
खोल दिल के दरवाजे मैं ,आँख बिछाये बैठा हूँ ।
चाहे दुश्मन हो जमाना,इसका क्या परवाह भला ।
तेरी ममता की छाँव का , आस लगाये बैठा हूँ ।
- दुर्गा शंकर इजारदार
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