बुधवार, 22 मार्च 2017

पागा कलगी-29 //9//अमित चन्द्रवंशी "सुपा"

होरी आगे हवय....
ब्रज म खेले हवय होरी,
राधा अउ कृष्ण ह।
उड़े गुलाल चारों कोति,
माया के रंग बिखरे।
आनी बानी के रंग आगे,
एक-दूसर मनके चेहरा म लगाये।
आनी बानी ढंग ले खेलही मनखे मन
भज डरहिं मनखे मन फागुन के गोठ ल।
एकदिन होरी आजही
होरे जलाये बर जाहि गांव के मुखिया ह,
सुभमुहर्त म जलाये बर जाहि मनखे मन।
चारो कोति उड़ाही रंग,
आगे हवय होरी तिहार
फागुन के महीना जाढ़ बुझा गे।
आगे हवय होरी तिहार,
मिल जुल के रंग लगाये
सबके घर म बने गढ़ कलेवा
अपन अपन ले बधाई देवय।
-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
उम्र-17•11वर्ष 'विद्यार्थी'

पागा कलगी-29 //8//संतोष फरिकार(मयारू)

***होली हे***
संगी गांव आय हे तीहार मनबो होली हे
खेलबोन रंग गुलाल होली तीहार आय हे
गुड़ी चौक जाबोन नगाड़ा ल बजाबोन
फाग गीत गाबोन जमो संगी सकलाय हे
बरसे रंग अउ गुलाल,बरसे रंग अउ गुलाल,
आगे फागुन तिहार संगी उडाबोन रंग लाल
जिनगी हे चार दिन के मनाबो होली तीहार
महुआ के रस पीए जमो झन भकवाय हे
बाजत हे ढोल नगारा उड़त हे रंग गुलाल
पीहव झन मंउहा रस तीहार हो जहय बेकार
दिन के पीचकारी संझा कुन खेलबोन गुलाल
चौक चौक म संगी मन एक साथ जुरियाय हे
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संतोष फरिकार(मयारू)
देवरी भाटापारा

पागा कलगी-29//7//कु. रेखा निर्मलकर

"होली"
मया के रंग घोलें होली
मया के बोली बोलें होली।
-तन मन ला रंगले सुग्घर
बैर-कपट छोड़ करले उज्जर।
मनखे ला मनखे संग जोड़े होली
मया के बोली...
2-रंगी बिरंगी उड़त गुलाल हे
लाली गुलाबी सबके गाल हे।
भेदभाव ऊँचनीच ला तोड़े होली
मया के बोली...
3-रंग भरके मारे पिचकारी
लइकामन मिल मारे किलकारी
तन मन संगे संग डोले होली
मया के बोली....
4-बजे नँगारा अउ फाग गावय
संगी जहूँरिया मिलके नाचय
दुःख सुख ला बाँटे होली
मया के बोली....
कु. रेखा निर्मलकर
कन्नेवाड़ा बालोद(छः ग)

पागा कलगी-29//6//चोवाराम बादल

विषय----होली।
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सम्माननीय मंच के सम्मुख एक ठन *गीत* प्रस्तुत हे।
अब तो होली खेले मा डर लागे सँगवारी,
अब तो होरी खेले मा डर लागे ।।
नेम प्रेम मोर गांव गँवई के,
कोन कोती जी गँवागे ।। अब तो--
(1)
काला रंग गुलाल लगाबे, कइसे हँसी गोठियाबे।
गाँव के गाँव बूड़े मंद मउहाँ, खोजे आरुग नइ पाबे।
मनखे के अंतस घपटे अँधियारी,मरी मसान समागे।
अब तो होली खेले मा डर लागे-------
(2)
बात बात मा चाक़ू छुरी, मुँह बंदूक गारी के गोली ।
नइये राधा नइये गोपी,सोंच समझ के करबे ठिठोली ।
हिरनाकश्यप के निसचर सेना, गली गली मा ढिलागे ।
अब तो होली खेले मा डर लागे-------
(3)
कोन गाही फाग कोन बजाही नंगारा,सुकालु दुकालू बुढ़ागे ।
का पिचकारी का रंग कटोरा, लइका लोग भूलागे ।
ठेठरी खुरमी के नाँव बुतागे, मछरी कुकरा पउलागे।
अब तो होली खेले मा डर लागे-----
(4)
गांव लहुटगे घोड़ा करायेत,आधा शहर आधा बस्ती।
सिधवा मन होगे घर खुसरा ,नंगरा लुच्चा के चलती।
पुरखा मन के जी पुरखौती,छईहाँ कस दुरिहागे ।
अब तो होली खेले मा डर लागे ।
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-चोवाराम बादल

पागा कलगी-29//5//विक्रमसिंह " लाला "



विषय ~ होली
गांव गली खोर मा नगाडा बाजे ।
देख संगी फागुन तिहार आगे ।।
पिचका ला धर के ,
राधा बर श्याम भागे ।
रंग कटोरा ला धर के ,
सीता बर राम भागे ।।
कोनो बनाथे बरा सोहारी,
कोनो बनाथे पापड ।
देख के रंग लगाबे संगी ,
झन खाबे झापड ।।
कोनो मेरा संगी ,
डी जे घलो बाजत हे ।
दरूहा टूरा मन दारू पिके ,
बईहा बरोबर नाचत हे ।।
जगह जगह होली बारे,
हरियर रूख ला काटत हे ।
झन काटव रे मानव येला ,
येही हमला तारत हे ।।
बारना हे त अपन आस पास के
कचरा ल बार कर दे सफाई ।
हरियर हरियर बने दिखत हे
झन काट तय ओला भाई ।।
कोनो पिही आधा पाव ,
कोनो पउव्वा चडाही ।
दारू पिके ये दरूहा मन
गांव गदर मचाही ।।
आगे हे होली तिहार ,
रंग गुलाल उडाही ।
लइका सियान सबो
झन दारु मा नहाही ।।
साल मा एक बार आथे होली,
बने बने मनाहूं ।
लइका सियान सबो के मा
रंग गुलाल लगाहूं ।।
होली तिहार मा संगी ,
बने बने रोटी बनाहूं ।
सबो लडाइ झगड़ा ल ,
भुला के बैरी ला गले लगाहूं ।।
#लाला कहे होली मा ,
झन पिहूं दारू ।
नशा अडबड होही संगी ,
पर रहीहूं उतारूं ।।
गांव मा रात कन बाजत हे नगाड़ा ।
आप सबो ल होली बधाई हे गाडा गाडा ।।
विक्रमसिंह " लाला "
मुरता , नवागढ , बेमेतरा
7697308413 .8120957083
दिनांक --> 11/03/2017

पागा कलगी-29 //4//ललित टिकरिहा

 💃🏻💃🏻होली हर आवत हे💃🏻💃🏻
🖍🖍🖍🖍🖍🖍🖍
🙋🏻🙋🏻🙋🏻🙋🏻🙋🏻
फागुन भदरावत हे,
फाग ह सुनावत हे,
झूम लौ सबो झन ,
होली हर आवत हे।
पुरुवा सरसरावत हे,
बसन्त ह सुहावत हे,
मन ला गुदगुदाए बर,
मीत मन ह आवत हे।
भंग ल चढ़ावत हे,
मन्द मुसकावत हे,
मद में मोहाय देखव,
लोगन लहरावत हे।
पिरित मन म जागत हे,
निक सुग्घर लागत हे,
सजनी के देखे बदन,
रंग घलो ललचावत हे।
मन मोर गोहरावत हे,
रंग घलो तरसावत हे,
अपन रंग म रंगे बर,
होली हर आवत हे।
फागुन भदरावत हे,
फाग ह सुनावत हे,
झूम लौ सबे झन,
होली हर आवत हे।
👯👯👯👯👯
गांव जगमगावत हे,
मन ल महकावत हे,
एक होके जम्मो झन,
जुर मिल सकलावत हे।
मन ल अबड़ भावत हे,
गोकुल कस लागत हे,
गोप ग्वाल मन ल देखव,
एक दूसर ल लुभावत हे।
कन्हैया ह गावत हे,
बंसी ला बजावत हे,
सुन के धुन पिरित के
राधा रानी लजावत हे।
फाग सुग्घर गावत हे,
नंगारा निक बजावत हे,
दिन ह लखठियावत हे,
होली हर आवत हे।
फागुन भदरावत हे,
फाग ह सुनावत हे,
झूम लौ सबो झन,
होली हर आवत हे।
👯👯👯👯👯
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
संगवारी होली तिहार के गाड़ा गाड़ा बधाई ।
💐💐💐💐💐💐
☝🏻☝🏻रंग रचइया........✍
📖
🙏✏ललित टिकरिहा✏🙏

पागा कलगी-29 //3//ज्ञानु'दास' मानिकपुरी

विषय-होली हे
विधा-दोहा मा लिखे के प्रयास
~~~~~~~~~~~~~~~~~
सरसों माते खेत मा,मउहाँ हा ममहाय।
झूमत हे हरियर ग़हूँ,देखत मन हरषाय।।
आमा डारा कोयली,बइठे छेड़े तान।
आत फगुनवाँ देखके,टेसू मारे शान।।
होली हे होली भई,कहत हवे सब आज।
गॉव गली के चौक मा,सजे फाग के साज़।।
लइका पिचकारी धरे,संगे रंग गुलाल।
नीला पीला लाल मा,रंगे हावय गाल।।
गॉव गॉव बाजत हवे,झाँझ नगाड़ा ढोल।
देवत हे संदेश ला,मीठा बानी बोल।।
मया प्रीत के रंग मा,रंगव सबला आज।
बैर कपट ला छोड़ दव,होवय झन नाराज।।
सुग्घर मिलके सब रहय,छोड़ राग अउ द्वेष।
दया मया ला बाँट लव,देवत हे संदेश।।
खेलत कूदत हे सबो,संगी साथी मस्त।
दारू गाँजा पी बबा,होंगे हावय पस्त।।
देवर भौजी के हँसी,गुँजत हवे चहुँओर।
लाज शरम ला छोड़के,किंजरय गली खोर।।
दुश्मन मौका खोजथे,करथे जी हुड़दंग।
देख ताक के खेलहूँ,होली सबके संग।।
दया मया पाबे कहाँ,जबरन डाले रंग।
कखरो झन होवय बुरा,होली के हुड़दंग।।
माते होली रंग मा,संगी साथी संग।
फुँकत हवे कोनों चिलम,दारू गाँजा भंग।।
सोहारी भजिया बरा,घर घर चुरथे आज।
दाई हा भीड़े हवे,दिन भर करथे काज।।
मिलके होली खेलबो,संगी साथी साथ।
छोटे ला देबो मया,बड़े नवाबो माथ।।
ज्ञानु'दास' मानिकपुरी
चंदेनी कवर्धा