बुधवार, 22 मार्च 2017

पागा कलगी-29//7//कु. रेखा निर्मलकर

"होली"
मया के रंग घोलें होली
मया के बोली बोलें होली।
-तन मन ला रंगले सुग्घर
बैर-कपट छोड़ करले उज्जर।
मनखे ला मनखे संग जोड़े होली
मया के बोली...
2-रंगी बिरंगी उड़त गुलाल हे
लाली गुलाबी सबके गाल हे।
भेदभाव ऊँचनीच ला तोड़े होली
मया के बोली...
3-रंग भरके मारे पिचकारी
लइकामन मिल मारे किलकारी
तन मन संगे संग डोले होली
मया के बोली....
4-बजे नँगारा अउ फाग गावय
संगी जहूँरिया मिलके नाचय
दुःख सुख ला बाँटे होली
मया के बोली....
कु. रेखा निर्मलकर
कन्नेवाड़ा बालोद(छः ग)

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