शनिवार, 30 अप्रैल 2016

पागा कलगी -8//संतोष फरिकार "मयारू"

"पानी ल बचाना हे"
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पानी ल बचाना हवय
सबो ल बताना हवय
पानी बर तरसत भुंईया
बुंद बुंद पानी बर भंईया
गरमी के दिन हर आगे
सबो पानी बर फिफियागे
सब बोर ल खोदवावत हे
पानी तरी कोती जावत हे
पानी ल बचाना हवय
सबो ल बताना हवय
नरवा नदिया हर सुखा गे
जीव जानवर पानी कहां ले पाय
गांव के तरीया हर अटावत हे
पानी ल सब चिखला मतावत हे
पानी ल बचाना हवय
सबो ल जगाना हवय
पानी पीए बर खोदीच झीरीया
नहाय बर आदमी कहां कहां जाय
गरमी के दिन हर आगे हवय
गांव के तरीया हसुखा गे हवय
पानी ल बचाना हवय
सबो ल जगाना हवय
गांव के कुआ अटावत हे
पानी बर दुरीया जात हे
पानी के मोल अब समझ म आवत हवय
गरमी के आतेच सब पानी बर फिफियावत हवय
पानी ल बचाना हवय
सबो ल समझाना हवय
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रचना - संतोष फरिकार "मयारू"
देवरी भाटापारा बलौदाबाजार
मोबा,- 09926113995
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शुक्रवार, 29 अप्रैल 2016

पागा कलगी -8 //आशा देशमुख

बिन पानी नइ हे ज़िंदगानी
पानी रे पानी रे पानी ,सब खोजत हे पानी
तोर बिना सब सुक्खा परगे ,तड़फत हे परानी |
रुखवा राई ठाड़ सुखावय ,दहकत हावय परिया
नदिया नरवा सुख्खा रेती ,दर्रा उलगे तरिया
सूरूज घलो बरसे लागय ,जइसेआगी गोला
चिरई चुरगुन बोलत हावय ,कहाँ बचाबो चोला
बिकत हवय बाटल म पानी ,कतको करे दुकानी
पानी रे पानी रे पानी ,सब खोजत हे पानी |
जब ले आइस बोर जमाना ,पानी ह अउ अटागे
छेके नई पानी ल कउनो ,कती कती बोहागे
बून्द बून्द बस टपकत हावय ,जम्मों नल के टोटी
झगरा माते गली गली मा ,खींचे बेनी चोटी |
भसकत कुआँ ह सोचन लागय ,मोरो रिहिस जवानी
पानी रे पानी रे पानी ,सब खोजत हे पानी |
पानी के सब मोल समझही ,तभे कछू तो होही
एक बून्द पानी बर नइ तो ,ये दुनियाँ हा रोही ,
गाँव नगर शहर डगर मा ,चलिन ग हाँका पारी
छेड़े मुहीम सबो डहर मा ,मिल के नर अउ नारी |
पानी बिन नइ बाँचे जग मे ,कउनो के जिनगानी ,
पानी रे पानी रे पानी ,सब खोजत हे पानी |
-आशा देशमुख

पागा कलगी -8//कुलदीप कुमार यादव

******पानी******
जेकर रहे ले दुनिया मा,
सबके चलत हे सांस ।
पानी के एक एक बूँद ले,
हावै जीवन के आस ।।
पानी के कमी ले सुखावत तरिया-डबरी,
तरफत आनी-बानी जीव अउ मछरी ।
आवत बेंदरा भालू गांव डहर,
तरसत हे घलो अब गांव के नहर ।
चिरई मन घलो मरत हे पियास,
पानी के एक एक बूँद ले,
हावै जीवन के आस ।।
हरियर पेड़ घलो सुखावत हे,
पानी के दुकाल हा अब जनावत हे ।
गिल्ला भुइंया मा दर्रा परगे,
खेत के खड़े धान हा घलो जरगे ।
ऐ सब ला देख के किसान हा होगे निराश,
पानी के एक एक बूँद ले,
हावै जीवन के आस ।।
रुख-राई हा पानी के आकरशक हे,
भोगत देखत मनखे ला,
परकिति बने अब दरशक हे ।
काटे के कारण ऐ सब,
करे हबन जेन घात बिस्वास ।
पानी के एक एक बूँद ले,
हावै जीवन के आस ।।
रचना--कुलदीप कुमार यादव,खिसोरा
मो.न.--9685868975

पागा कलगी -8//नवीन कुमार तिवारी

बिहनिया के राम राम ,
आ ही , आ ही मिथ लबरा आ ही ,
दो रूपया चा वूर देके ,ग्राम सुराज लाही
लइका मन ला लेपटॉप, टेबलेट, साइकिल देके भरमात हैवे,
फेर शिक्षा के गीरत स्तर ल आ वो गिरावट हैवे ,
विकास संग सुराज के दिखावा ,अपन जय जय कर करावत हैवे,
अधिकारी ,कर्मचारी संग अपन फोटो घलो खिचववत हैवे,
विकास के संसो भुलवारे, घामे घाम कोलकी कोलकी तीपे भोमरा मेफीरवावत हैवे ,,,
पानी सीरा गए ,नदिया तरिआ झिरया घलो गो सुखागे,
संगे संग ,माई पीला जानवर पक्षी के टोटा घलो सोखा गे ,,
आई पी एल ,के नचकरहा नचकरहिं बर ,,
सट्टा जूवना खिलाए के साध ,,,
सोच कैसे कांडी ल हरियवत हैवे ,
घेरी बेरी पनि सींचत कैसे
आँखि ल मत कावट हैवे ,
पानी सिट्टा कर के पानी बचाव अभियान चलावत हैवे,,
फेर पानी के बदला में ,सस्ता दारू बोहावत हैवे ,
तेखर बर गांव गांव चौपाल चौपाल दारू दूकान खोलवावत हैवे,
निर्धन कन्या ला आशीष देबर देख कैसे मुस्कियावत हैवे,
बिहाव होते एक बेर ,,,,,फेर दहेज़ खातिर,,लक्ष्य बनाए ,
डुबेर हाथ पिवुरा करवावत हैवे,,,
फेर जोँहर हुए एक तन गोत सुनो ,
लैकोर हीं के घलो हाथ ल कैसे रंगववत हावी,,
आशीष देबर देख ऐसे मच मचावत हैवे,
लइका महतारी के स्वास्थ सुधारे ,
देख कैसे अलकरहा जतन करे हैवे
माखी भिनभिनाहट किउ रा पड़े ,
करु होवत पोषण आहार खवा वत हैवे ,,
अरहर ,बटकर,गुड शकककर संग देख शाग भाजी,
कइसे मट मटा वत भागतहैवे,
महंगाई के सांसो भुला देख कैसे ग्राम सुराज लावत हैवे,
कभु लोक सुराज , कभु ग्रामशहर नगर सुराज के झांसा ,,
कभु जनसमस्या निवारण के दिखावा ,
तो कभु करावत अपन संग अधिकारी के दर्शन जी ,
जैमा लेवत दरख्वास्त ऊपर दरख्वास्त जी ,
खाल्हे तरी ऊपर गंजए कतका दरख्वास्त जी ?
विकास के चोचला ये दरख्वास्त जी ,
का होते का होते ,,ये दरख्वास्त के जी ,,?
अधिकारी कर्मचारी मन के करम जाग जथे,
दरखास्त के टोकना हा रद्दी के भाव बिक जाथे,
दारु संग चखना के घलो जुगाड़ हो जथे,
आ वु सबो समस्या ,
समस्या बने गरियावत रहिथे
कागज में विकास नजर आते ,
अधिकारी कर्मचारी के प्रमोशन हो जाथे
धुर्रा खाये के सेती ,,
गोल्ड मैडल ले सम्मान घलो करावा लेते
नवीन कुमार तिवारी ,,,,२८.४.२०१६

गुरुवार, 28 अप्रैल 2016

पागा कलगी -8 //चैतन्य जितेन्द्र तिवारी

"जल हे त कल हे"
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पानी हर अटावत हे
भुंइया हर सुखावत हे
बिन पानी तरसत हे किसान
मनखे घूमत हे होके परिसान ।1।
भुंइया हर रिसावत हे
रुख राई हर सुखावत हे
जीव जंतु मरत हे पियास
न जतन हे न कुछु परियास ।2।
सरकार कुछु करय नई
सुध काखरो लेवय नई
खुद कुछ करन नई देवन नई धियान
आँखि मूँदें बइठे हन बनके अनजान।3।
नल चलत हे बिन टोटी के
बोर दउड़त हे बिन खेती के
मनखे सुते हे गोड़ हाँथ लादे तान...
दांव में लगे हे सब जीव के परान ।4।
जल हे त कल हे
नभ हे अउ थल हे
बड़ सुग्घर कहे हमर मनखे सियान
जल बिन सब सुन ए बात ला जान।5।
चलो पेड़ लगाबोन
पानी ला बचाबोन
मनखे किसान के सुसि ला बुतान
जीव-जंतु हमर भुंइया ला बचान...।6।
-चैतन्य जितेन्द्र तिवारी

सोमवार, 25 अप्रैल 2016

पागा कलगी -8//आचार्य तोषण

"जल-जीवन":::::::
:::::::~~~~~~~::::::::
चइत बइसाख महिना मा
भुंइया ह तिपत जात हे।
चिरई-चिरगून रूखराई संग
मनखे तन हा अइलात हे।
****************
भरे घाम के दिन ह आगे
टोटा घलोक सुखात हे।
कुंआ बावली बोरिंग नल ले
पानी थोरकुन नइ आत हे।
****************
नरवा ढोरगा तरिया डबरा
नल के पानी सिरात हे।
बिन पानी सुन्ना जिनगानी
काबर समझ नइ पात हे।
***************
एकेक बुंद पानी बर हम
संचय गुन ल भरबो गा।
पानी ल बचाय बर हममन
कलयुगी भगीरथ बनबो गा ।
****************
जमदरहा पानी बरस ही
पेंड़ जगाबे जब भुंइया म।
पानी जतके बरस ही संगी
ओतकी रिसाही भुंइया म।
****************
भुंइया के पानी गंगा असन
निकले कुंआ बोरिंग नल ले।
गाय गरूवा नारी परानी सब
पियास बुझाय खल खल ले।
*****************
सब्बे कहिथे जल जीवन हे
कोलिहा सही हुंआ कहिथे।
एला बचाए बर भैय्या मोर
कतको सबले पाछू रहिथे ।
****************
कहिथे आचार्य तोषण ह
सबझन पानी बचाईंगे।
पानी बांचही जिनगी नांचही
अपन भाग संहराईंगे।
~~~~~~~~~~~~~~~~
आचार्य तोषण
गांव -धनगांव
डौंडीलोहारा
बालोद(छ. ग.)

पागा कलगी -8//लक्ष्मी नारायण लहरे

पानी जीवन के रंग आय .....
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पानी तरिया नरवा के सुखा जाथे
कुँआ बावली के पानी बससा जाथे
जब गाँव सहर म नल जल बिछा जाथे
मीठा पानी तो सबो हर आय
महानदी , इन्द्रावती के पानी
कहाँ लुकावत हे
बस्तर म झरिया के पानी मिठावत हे
पानी जीवन के रंग आय
पानी ल मंगलू कुआं बावली म भर
तरिया -नरवा के कर मान
नदी -नाला ह जीवन के आधार आय
बरसा के पानी ल सकेलव् जी
जीवन ल पानी कस जियव् जी
पानी हे गुरु बानी
पानी बिना जीवन अबिरथा
पानी के मान ल जानव जी
पानी जीवन के रंग आय ..... 


०लक्ष्मी नारायण लहरे ,

साहिल, कोसीर सारंगढ़ रायगढ़