बिहनिया के राम राम ,
आ ही , आ ही मिथ लबरा आ ही ,
दो रूपया चा वूर देके ,ग्राम सुराज लाही
आ ही , आ ही मिथ लबरा आ ही ,
दो रूपया चा वूर देके ,ग्राम सुराज लाही
लइका मन ला लेपटॉप, टेबलेट, साइकिल देके भरमात हैवे,
फेर शिक्षा के गीरत स्तर ल आ वो गिरावट हैवे ,
फेर शिक्षा के गीरत स्तर ल आ वो गिरावट हैवे ,
विकास संग सुराज के दिखावा ,अपन जय जय कर करावत हैवे,
अधिकारी ,कर्मचारी संग अपन फोटो घलो खिचववत हैवे,
विकास के संसो भुलवारे, घामे घाम कोलकी कोलकी तीपे भोमरा मेफीरवावत हैवे ,,,
पानी सीरा गए ,नदिया तरिआ झिरया घलो गो सुखागे,
संगे संग ,माई पीला जानवर पक्षी के टोटा घलो सोखा गे ,,
अधिकारी ,कर्मचारी संग अपन फोटो घलो खिचववत हैवे,
विकास के संसो भुलवारे, घामे घाम कोलकी कोलकी तीपे भोमरा मेफीरवावत हैवे ,,,
पानी सीरा गए ,नदिया तरिआ झिरया घलो गो सुखागे,
संगे संग ,माई पीला जानवर पक्षी के टोटा घलो सोखा गे ,,
आई पी एल ,के नचकरहा नचकरहिं बर ,,
सट्टा जूवना खिलाए के साध ,,,
सोच कैसे कांडी ल हरियवत हैवे ,
घेरी बेरी पनि सींचत कैसे
आँखि ल मत कावट हैवे ,
पानी सिट्टा कर के पानी बचाव अभियान चलावत हैवे,,
सट्टा जूवना खिलाए के साध ,,,
सोच कैसे कांडी ल हरियवत हैवे ,
घेरी बेरी पनि सींचत कैसे
आँखि ल मत कावट हैवे ,
पानी सिट्टा कर के पानी बचाव अभियान चलावत हैवे,,
फेर पानी के बदला में ,सस्ता दारू बोहावत हैवे ,
तेखर बर गांव गांव चौपाल चौपाल दारू दूकान खोलवावत हैवे,
तेखर बर गांव गांव चौपाल चौपाल दारू दूकान खोलवावत हैवे,
निर्धन कन्या ला आशीष देबर देख कैसे मुस्कियावत हैवे,
बिहाव होते एक बेर ,,,,,फेर दहेज़ खातिर,,लक्ष्य बनाए ,
डुबेर हाथ पिवुरा करवावत हैवे,,,
फेर जोँहर हुए एक तन गोत सुनो ,
लैकोर हीं के घलो हाथ ल कैसे रंगववत हावी,,
आशीष देबर देख ऐसे मच मचावत हैवे,
बिहाव होते एक बेर ,,,,,फेर दहेज़ खातिर,,लक्ष्य बनाए ,
डुबेर हाथ पिवुरा करवावत हैवे,,,
फेर जोँहर हुए एक तन गोत सुनो ,
लैकोर हीं के घलो हाथ ल कैसे रंगववत हावी,,
आशीष देबर देख ऐसे मच मचावत हैवे,
लइका महतारी के स्वास्थ सुधारे ,
देख कैसे अलकरहा जतन करे हैवे
माखी भिनभिनाहट किउ रा पड़े ,
करु होवत पोषण आहार खवा वत हैवे ,,
देख कैसे अलकरहा जतन करे हैवे
माखी भिनभिनाहट किउ रा पड़े ,
करु होवत पोषण आहार खवा वत हैवे ,,
अरहर ,बटकर,गुड शकककर संग देख शाग भाजी,
कइसे मट मटा वत भागतहैवे,
महंगाई के सांसो भुला देख कैसे ग्राम सुराज लावत हैवे,
कइसे मट मटा वत भागतहैवे,
महंगाई के सांसो भुला देख कैसे ग्राम सुराज लावत हैवे,
कभु लोक सुराज , कभु ग्रामशहर नगर सुराज के झांसा ,,
कभु जनसमस्या निवारण के दिखावा ,
तो कभु करावत अपन संग अधिकारी के दर्शन जी ,
जैमा लेवत दरख्वास्त ऊपर दरख्वास्त जी ,
खाल्हे तरी ऊपर गंजए कतका दरख्वास्त जी ?
विकास के चोचला ये दरख्वास्त जी ,
का होते का होते ,,ये दरख्वास्त के जी ,,?
कभु जनसमस्या निवारण के दिखावा ,
तो कभु करावत अपन संग अधिकारी के दर्शन जी ,
जैमा लेवत दरख्वास्त ऊपर दरख्वास्त जी ,
खाल्हे तरी ऊपर गंजए कतका दरख्वास्त जी ?
विकास के चोचला ये दरख्वास्त जी ,
का होते का होते ,,ये दरख्वास्त के जी ,,?
अधिकारी कर्मचारी मन के करम जाग जथे,
दरखास्त के टोकना हा रद्दी के भाव बिक जाथे,
दारु संग चखना के घलो जुगाड़ हो जथे,
आ वु सबो समस्या ,
समस्या बने गरियावत रहिथे
कागज में विकास नजर आते ,
अधिकारी कर्मचारी के प्रमोशन हो जाथे
धुर्रा खाये के सेती ,,
गोल्ड मैडल ले सम्मान घलो करावा लेते
दरखास्त के टोकना हा रद्दी के भाव बिक जाथे,
दारु संग चखना के घलो जुगाड़ हो जथे,
आ वु सबो समस्या ,
समस्या बने गरियावत रहिथे
कागज में विकास नजर आते ,
अधिकारी कर्मचारी के प्रमोशन हो जाथे
धुर्रा खाये के सेती ,,
गोल्ड मैडल ले सम्मान घलो करावा लेते
नवीन कुमार तिवारी ,,,,२८.४.२०१६
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