सोमवार, 25 अप्रैल 2016

पागा कलगी -8//आचार्य तोषण

"जल-जीवन":::::::
:::::::~~~~~~~::::::::
चइत बइसाख महिना मा
भुंइया ह तिपत जात हे।
चिरई-चिरगून रूखराई संग
मनखे तन हा अइलात हे।
****************
भरे घाम के दिन ह आगे
टोटा घलोक सुखात हे।
कुंआ बावली बोरिंग नल ले
पानी थोरकुन नइ आत हे।
****************
नरवा ढोरगा तरिया डबरा
नल के पानी सिरात हे।
बिन पानी सुन्ना जिनगानी
काबर समझ नइ पात हे।
***************
एकेक बुंद पानी बर हम
संचय गुन ल भरबो गा।
पानी ल बचाय बर हममन
कलयुगी भगीरथ बनबो गा ।
****************
जमदरहा पानी बरस ही
पेंड़ जगाबे जब भुंइया म।
पानी जतके बरस ही संगी
ओतकी रिसाही भुंइया म।
****************
भुंइया के पानी गंगा असन
निकले कुंआ बोरिंग नल ले।
गाय गरूवा नारी परानी सब
पियास बुझाय खल खल ले।
*****************
सब्बे कहिथे जल जीवन हे
कोलिहा सही हुंआ कहिथे।
एला बचाए बर भैय्या मोर
कतको सबले पाछू रहिथे ।
****************
कहिथे आचार्य तोषण ह
सबझन पानी बचाईंगे।
पानी बांचही जिनगी नांचही
अपन भाग संहराईंगे।
~~~~~~~~~~~~~~~~
आचार्य तोषण
गांव -धनगांव
डौंडीलोहारा
बालोद(छ. ग.)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें