मंगलवार, 9 अगस्त 2016

पागा कलगी-15 //9//लक्ष्मी करियारे

सोन चिरईय्या भारत भुईया रक्छा एकर करबो जी..
परन आज ये कर लंव संगी देश बर जीबो मरबो जी...
* चंदन माटी ये धुर्रा के माथ मं तिलक लगाबो जी
चढ़ा के शीश सिंगार करव माता रानी ल सजावव जी
करकें सँघार पापी दुश्मन के भारत महतारी के पीरा हरबो जी..
परन आज ये कर लंव संगी देश बर जीबो मरबो जी...
* मऊँर मुकुट हिमाला सोहे अमरीत नंदिया पाव पखारय जी
चंदा सुरूज कस टिकुली चमके बोली जस मयना लागय जी
देके लहू के रंग मईया तोर सोन धरी अंचरा रिग - बिग करबो जी...
परन आज ये कर लंव संगी देश बर जीबो मरबो जी....
* संगी मन के हितवा संगी अऊ बैरी बर बड़ बैरी अन
जान के सिधवा हमला एमा देखव आँखी कोनों गड़ाही झन
जेन बैरी आँखी देखाही ढेकी कस कुटबो छरबो जी...
परन आज ये कर लंव संगी देश बर जीबो मरबो जी.....
* एही माटी म जनमे राम रहीम नानक कृष्ण की मुरली तान जी
गांधी सुभाष नेहरू के जनम भूमि ये माटी महतारी महान जी
ऋषि मुनि ग्यानी सब तरगिन ये धरती म हमू इंही म तरबो जी...
परन आज ये कर लंव संगी देश बर जीबो मरबो जी....
सोन चिरईय्या भारत भुईया रक्छा एकर करबो जी..
परन आज ये कर लंव संगी देश बर जीबो मरबो जी......
लक्ष्मी करियारे 
जाँजगीर
छत्तीसगढ़

शनिवार, 6 अगस्त 2016

पागा कलगी-15//29//टीकाराम देशमुख "करिया"

" देश बर जीबो,देश बर मरबो"
देश के मान अउ सम्मान बढ़ाये बर,
तन-मन ले मेहनत ला करबो...
आवव करन परन रे संगी,
देश बर जीबो, देश बर मरबो |
१. सोन चिरइय्या हमर देश ला,
लुटिन, राज करत परदेसिया ;
बीर सपूत मन के बलिदान ले,
गजब दिन मा आज़ाद करिन...
परय नही अब "फुट" ,रहिबो हमन एकजुट
मिलजुर के अब तो भइय्या,बइरी के छाती ला दरबो...
आवव करन............
देश बर जीबो,देश बर मरबो.....
२. कतको भूंकत राहय कुकुर मन,
हिन्दू-मुस्लिम हम, एक मा रहिबो...
ऊंच-नीच अउ जात-धरम के,
बाढ़त "सुरसा" ला हरबो..
मया परेम ले रहिबो सबोझन,
सुनता के डोरी ला बरबो...
आवव करन...............
देश बर जीबो,देश बर मरबो
३. होगेहन आज़ाद , आगे अपन हाँथ मा राज...
चिनबोन "कोलिहा अउ कुकुर" ला ,
सोंच समझ अब वोट ला करबो...
शिक्षा हे बिकास के रद्दा ,
ये मन्तर ला सबझन धरबो
पढ़हाबो नोनी-बाबू ला,
ज्ञान-बिज्ञान हमुमन पढ़बो
नवा-नवा तकनीक ले "करिया" ,
उन्नति के नवा दुनिया गढ़बो
आवव करन, परन रे संगी...
देश बर जीबो, देश बर मरबो ll
©टीकाराम देशमुख "करिया"
स्टेशन चउक कुम्हारी,जिला-दुरुग (छ.ग.)
मोबा. ---९४०६३-२४०९६

पागा कलगी-15//8//चोवा राम वर्मा " बादल"

बिषय---देश बर जीबो, देश बर मरबो ।
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देश बर जीबो,देश बर मरबो ।
जईसन कहिबो,ओइसने करबो।
जात पांत के काँटा बिनके,
भाईचारा के बिजहा बोके ।
छल कपट के निंदा नींद के,
धरम करम के खातु छींच के।
सुमत के खेती करबो।
देश बर जीबो, देश बर मरबो ।
नई सहन अब भस्टाचार,
नेता,अफसर के लूटमार ।
हाय ! नारी के बलत्कार ,
रावन ,कंस के अतियाचार ।
घेंच ल ईकर मसकबो ।।
देश बर जीबो, देश बर मरबो ।।
न कोनो बहाना,न कोनो लचारी,
निभाबो अपन जिम्मेदारी ।
किसान,मजदूर चाहे करमचारी,
अल्लर गरियार बर धरे तुतारी
घूसखोर ल जेल म भरबो ।।।
देश बर जीबो, देश बर मरबो ।।।
साफ सफई म देबो धियान,
आही तभे जी नवा बिहान ।
दारू झन पियय लईका सियान,
स्कूल,कालेज बांटै गियान,
मन्दिर के भजन मसजिद के अजान ।
चर्च गुरुद्वारा में मनखे बने बनाबो ।। । ।
देश बर जीबो ,देश बर मरबो ।।।।
रक्षा करबो बन सैनिक सिपाही,
बैरी कहूँ आँखी देखाही ।
जीभ लमा के जेन बिजराही ,
जं ऊहर भदऊँ हा मार खांही ।
ओकर छाती छलनी कर देबो।।।।।
देश बर जीबो,देश बर मरबो ।।।।।
रचनाकार
चोवा राम वर्मा " बादल"
हथबंद
9926195747

पागा कलगी-15//7//सुखन जोगी

विसे- देस बर जीबो देस बर मरबो बर मोर छोटकन परयास
देस बर जीबो देस बर मरबो
""""''''''''''''''"""""""""'"""'""""""""""""""
रन के मैइदान म जुझ परबो,
देस बर जीबो देस बर मरबो|
कोन बइरी आघु आथे देख लेबो,
कइसे बढ़ही आघु दुवारी म छेंक लेबो|
कसम हे हमला हमर धरती दाई के ,
झंडा फहराबो जीत लड़ाई के|
का होथे हार हम तो जानन नहीं,
जीत के रहिबो हार मानन नहीं|
देस बर लड़े हें जइसे चंद्रसेखर मंगल लच्छमी मन म भरके जोस,
राजगुरू सुखदेव आजाद हंसते हसत चढ़गे फांसी खुदी राम बोस|
रखबो सुरता वो बलिदान ल ,
संगी नइ खोवन हम अपन होस|
देस बर जीबो देस बर मरबो,
सरी जुवानी देस के नाव करबो|
आजय बैइरी सीना तान के,
ललकार हे जइसन नहीं तइसन म लड़बो|
जानत हन कपटी पीठ म वार करथे,
तभो हमर हथेली म जान रहिथे|
देखही जमाना एक दिन,
कस्मीर ले कन्याकुमारी तक इतिहास रचबो|
छत्तीसगढ़ के मान बनबो,
छत्तीसगढ़िया अभिमान बनबो|
सकार बनबो ओमकार बनबो,
देस बर जीबो देस बर मरबो|
®- सुखन जोगी
ग्राम - डोड़की , पोस्ट - बिल्हा
जिला - बिलासपुर ( छ.ग.)

//पागा कलगी-14के परिणाम//

//पागा कलगी-14के परिणाम//



संगी हो जय जोहार
पागा कलगी 14 के मंच संचालक भाई संतोष फरिकर द्वारा देगे ‘ढेकी के चित्र‘ मा 26 रचना आइस । ये प्रतियोगिता के निर्णायक श्री कृष्ण कुमार भट्ट ‘पथिक‘ बिलासपुर अउ डाॅ. प्रो. चंद्रशेखर सिंह मुंगेली रहिन ।
परिणाम जाने के पहिली निर्णायक के बात ल जानना जरूरी हे -
‘‘चित्र आधारित कविता रचे बर चित्र के समग्र रूप से व्याख्या होनो चाही, चित्र मा कोनो एक प्रतिक नई होवय चित्र के हर अंग हा कोनो ना कोनो संदेश देथे । चित्र आधारित कविता ला तभे बने कहे जाही जउन हा चित्र के जादा से जादा भाग ला, प्रत्यक्ष अउ अप्रत्यक्ष तथ्य ला उजागर कर सकय ।‘‘
दे गे चित्र मा केवल ढेकी नई हे, ढेकी के संगे संग दू महिला अउ एक नोनी दिखत हे तीनों के क्रिया दिखत हे, उन्खर संवाद ला घला अनुभव करके शब्द दे जा सकत हे । प्रतियोगित मा कोनो विधा के बंधन नई हे, ये पायके भाव प्रधान हे, लेकिन ये भाव मा कविता के प्राण लय होना चाही । छत्तीसगढ़ी के मानकीकरण नई होय के कारण छत्तीसगढ़ी एक ले जादा रूप मा प्रचलित हे येही कारण के ओ हा वर्तनी दोष के रूप मा घला दिखथे ।‘‘
-डाॅ. प्रो. चंद्रशेखर सिंह
संगी हो निर्णायक संग सहमती रखत महूं निवेदन करहूं छत्तीसगढ़ के मानकीकरण कम से कम हमन अपन मंच म करी, जब तक हम सबो रचनाकार म शब्द प्रयोग के एकरूपता न हो जय तब तक येला दोष के रूप मा न देखी बल्कि येमा सतत् सुधार करी ।
ये प्रतियोगिता चित्र आधारित रहिस प्रतियोगिता म आयेे सबो रचना सराहनीय हे, जम्मो रचनाकार म क्रमिक सुधार स्वभाविक दिखत हे, प्रतियोगिता के सबो प्रतिभागी येखर बर धन्यवाद के पात्र हें । सबो रचना अच्छा हे, फेर जेन रचना चित्र के जादा निकट हे, ओला निमारे के कोशिश करे गे हे -
ये प्रतियोगिता के विजेता हे-
पहिली-श्री जीतेन्द्र वर्मा ‘खैरझिटिया’
बाल्को;कोरबा
9981441795
दूसर-श्री टीकाराम देशमुख ‘करिया’
स्टेशन चउक कुम्हारी,जिला-दुरुग
मो.-९४०६३ २४०९६
तीसर- श्री पी0 पी0 अंचल
हरदीबाज़ार कोरबा छ0ग0
9752537899
प्रशंसा के लइक- श्री ललित वर्मा,छुरा
अउ नोख सिंह चंद्राकर ‘नुकीला‘
गाँव. लोहरसी, पो.. तर्रा,
तहण्.पाटन,जिला.दुरुग;छण्गण्द्ध
पिन.४९११११

सबो विजेता संगी मन ला करेजा के अंतस ले बधाई

शुक्रवार, 5 अगस्त 2016

पागा कलगी-15 //6//बी के चतुर्वेदी//कोरबा

छत्तीसगढ़ी-मंच/पागा कलगी क्र-15****
***बी. के. चतुर्वेदी जी के रचना****' """""""""" """" "" """ "" """""""""""""""" " "" "" "
"जीबो -- मरबो "
" देश बर जीव छुटे गुइंया नइ कभु डरबो रे 
देश बर जीबो गुइंया देश बर मरबो रे "
इहि देश ,मोर महतारी जे अचरा जे जीयत हावन
गंगा, जमुना, सरसती अमरीत धार लगत पावन
हिमालय तोर माथा पांव सागर धोवत धरबो रे "
सब देवता के ठउर इहां राम कानहा मीत आइन
एके सिखाइन मरजादा एके करम गीत गाइन
अब सिता के हरइया ला रावन कय मारबो रे "
सत बादी हरिसचंद सत असत ला बताइन
धुरु पहलाद करीन भगति सरधा ला फरियाइन
सरवन जइसन दाइ ददा , देश ला बोहे चलबो रे "
हरियर तोरे काया कंचन चंदा उजियार कर जाथे
भगवा तोरे रंग रुप सुरुज उवत बूड़त रंग जाथे
भरत , अशोक ,सेत घन शांति तिरंगा अमर कहिबो रे "
परताप अउ शिवा जी दखेन दुनिया ला बताइन
झांसी रानी, लछमी बाई बीर इतिहास ला सीरजाइन
आजाद ,सुभास , भगत गुन जीनगी मा भरबो रे "
ये महतारी ला जेव तरेरही वोखर आंखी फोर जाबो
कतेक उड़ाही, कहां लुकाही
वोखर पखउरा टोर भाबो
देबो जीनगी ला होम गुरिया ,गुरिया अरपन करबो रे "
देश बर जीबो गुइंया देश बर. मरबो रे
*******************************"""""*******"**"""
बी के चतुर्वेदी//कोरबा
8871596335

पागा कलगी-15 //12//ईंजी.गजानंद पात्रे"सत्यबोध"

शीर्षक -"देश बर जीबो देश बर मरबो"
देश बर जीबो देश बर मरबो,
सीना अपन तान के।
भारत माँ के हमन सपूत बेटा,
चिंता नइये जान के।
सिर म कफन हम बांध खड़े हन,
पत्थर बन हम सरहद म अड़े हन,
कसम हिन्दुस्तान के।
देश बर जीबो देश बर मरबो,
सीना अपन तान के।।
बईंहा म हमर आँधी तूफान भरे हे,
देख के हमर हिम्मत दुश्मन डरे हे,
कतरा कतरा बहा देबो लहू के
फक्र तिरंगा शान के।
देश बर जीबो देश बर मरबो,
सीना अपन तान के।।
दुश्मन बैरी ह जब ललकार करय,
तन म अपन गोल बारुद ल भरय,
जागे जमीर स्वभिमान के।
देश बर जीबो देश बर मरबो,
सीना अपन तान के।।
इंकलाब जिंदाबाद इंकलाब जिंदाबाद,
नमन हे वीर भगत सिंह शहीद आजाद,
आजादी के फूल झोली भरिस,
रिणी उखर कुर्बान के।
देश बर जीबो देश बर मरबो,
सीना अपन तान के।।
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ईंजी.गजानंद पात्रे"सत्यबोध"