शनिवार, 6 अगस्त 2016

पागा कलगी-15//8//चोवा राम वर्मा " बादल"

बिषय---देश बर जीबो, देश बर मरबो ।
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देश बर जीबो,देश बर मरबो ।
जईसन कहिबो,ओइसने करबो।
जात पांत के काँटा बिनके,
भाईचारा के बिजहा बोके ।
छल कपट के निंदा नींद के,
धरम करम के खातु छींच के।
सुमत के खेती करबो।
देश बर जीबो, देश बर मरबो ।
नई सहन अब भस्टाचार,
नेता,अफसर के लूटमार ।
हाय ! नारी के बलत्कार ,
रावन ,कंस के अतियाचार ।
घेंच ल ईकर मसकबो ।।
देश बर जीबो, देश बर मरबो ।।
न कोनो बहाना,न कोनो लचारी,
निभाबो अपन जिम्मेदारी ।
किसान,मजदूर चाहे करमचारी,
अल्लर गरियार बर धरे तुतारी
घूसखोर ल जेल म भरबो ।।।
देश बर जीबो, देश बर मरबो ।।।
साफ सफई म देबो धियान,
आही तभे जी नवा बिहान ।
दारू झन पियय लईका सियान,
स्कूल,कालेज बांटै गियान,
मन्दिर के भजन मसजिद के अजान ।
चर्च गुरुद्वारा में मनखे बने बनाबो ।। । ।
देश बर जीबो ,देश बर मरबो ।।।।
रक्षा करबो बन सैनिक सिपाही,
बैरी कहूँ आँखी देखाही ।
जीभ लमा के जेन बिजराही ,
जं ऊहर भदऊँ हा मार खांही ।
ओकर छाती छलनी कर देबो।।।।।
देश बर जीबो,देश बर मरबो ।।।।।
रचनाकार
चोवा राम वर्मा " बादल"
हथबंद
9926195747

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