शुक्रवार, 5 अगस्त 2016

पागा कलगी-15 //12//ईंजी.गजानंद पात्रे"सत्यबोध"

शीर्षक -"देश बर जीबो देश बर मरबो"
देश बर जीबो देश बर मरबो,
सीना अपन तान के।
भारत माँ के हमन सपूत बेटा,
चिंता नइये जान के।
सिर म कफन हम बांध खड़े हन,
पत्थर बन हम सरहद म अड़े हन,
कसम हिन्दुस्तान के।
देश बर जीबो देश बर मरबो,
सीना अपन तान के।।
बईंहा म हमर आँधी तूफान भरे हे,
देख के हमर हिम्मत दुश्मन डरे हे,
कतरा कतरा बहा देबो लहू के
फक्र तिरंगा शान के।
देश बर जीबो देश बर मरबो,
सीना अपन तान के।।
दुश्मन बैरी ह जब ललकार करय,
तन म अपन गोल बारुद ल भरय,
जागे जमीर स्वभिमान के।
देश बर जीबो देश बर मरबो,
सीना अपन तान के।।
इंकलाब जिंदाबाद इंकलाब जिंदाबाद,
नमन हे वीर भगत सिंह शहीद आजाद,
आजादी के फूल झोली भरिस,
रिणी उखर कुर्बान के।
देश बर जीबो देश बर मरबो,
सीना अपन तान के।।
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ईंजी.गजानंद पात्रे"सत्यबोध"

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