‘’** विषय – गरमी मा स्कूल **’’
बड़ दुखदायी गरमी मा स्कूल ...
बड़ दुखदायी ‘’ गरमी मा स्कूल'' ...
बड़ दुखदायी ‘’ गरमी मा स्कूल'' ...
दांवॉ ढिले हे सुरुज ...
अइला जावत हे... मोर अँगना के फूल...
बड़ दुखदायी ''गरमी मा स्कूल '' ...
अइला जावत हे... मोर अँगना के फूल...
बड़ दुखदायी ''गरमी मा स्कूल '' ...
// 1 //
बिहनिया ले सुरुज देवता, आगी बरसाय।
लइका सियान सबके, जीवरा थर्राय ।।
पेड़-पौधा, जीव-जन्तु सब हे व्याकुल...
बड़ दुखदायी ‘’गरमी मा स्कूल'' ...
बिहनिया ले सुरुज देवता, आगी बरसाय।
लइका सियान सबके, जीवरा थर्राय ।।
पेड़-पौधा, जीव-जन्तु सब हे व्याकुल...
बड़ दुखदायी ‘’गरमी मा स्कूल'' ...
// 2 //
मुँह छिन-छिन चिपियाय, पसीना तन लथपथाये ।
नइये पानी के ठिकाना, तरिया कुंआँ अंटाये ।।
सूख्खा पड़े हे कब ले नलकूप ...
बड़ दुखदायी ‘’गरमी मा स्कूल ...’’
मुँह छिन-छिन चिपियाय, पसीना तन लथपथाये ।
नइये पानी के ठिकाना, तरिया कुंआँ अंटाये ।।
सूख्खा पड़े हे कब ले नलकूप ...
बड़ दुखदायी ‘’गरमी मा स्कूल ...’’
// 3 //
नान नान छवना, जैसे उलहवा पान दवना ।
झोला म झंवाये दिखे कउँवा, कोयली, रवना ।।
का के सजा, का हे इंकार भूल ...
बड़ दुखदायी ‘’गरमी मा स्कूल ''...
नान नान छवना, जैसे उलहवा पान दवना ।
झोला म झंवाये दिखे कउँवा, कोयली, रवना ।।
का के सजा, का हे इंकार भूल ...
बड़ दुखदायी ‘’गरमी मा स्कूल ''...
// 4 //
चवन्नी हे आना, बाकि के नागा ।
मास्टर के घेँच म पढाये के फांदा ।।
पढाये, नई पढ़ाये ओकरे हे सूल ...
बड़ दुखदायी ‘’गरमी मा स्कूल ''...
चवन्नी हे आना, बाकि के नागा ।
मास्टर के घेँच म पढाये के फांदा ।।
पढाये, नई पढ़ाये ओकरे हे सूल ...
बड़ दुखदायी ‘’गरमी मा स्कूल ''...
// 5 //
रिहिन सासक विदेसी, मिलिस सुविधा देसी ।
सुख-दुःख, जुड़-ताप, तीर म जा के देखी ।।
मार्च-परीक्षा, अप्रैल-नतीजा, छुट्टी मई-जून ...
बड़ दुखदायी ‘’गरमी मा स्कूल ''...
रिहिन सासक विदेसी, मिलिस सुविधा देसी ।
सुख-दुःख, जुड़-ताप, तीर म जा के देखी ।।
मार्च-परीक्षा, अप्रैल-नतीजा, छुट्टी मई-जून ...
बड़ दुखदायी ‘’गरमी मा स्कूल ''...
// 6 //
अब सासक देसी, कुरिया म लगे एसी ।
नीति बनाये, दुसर के देखा देखी ।।
बस नियम बनाय में हे मसगुल ...
बड़ दुखदायी ‘’गरमी मा स्कूल'' ...
अब सासक देसी, कुरिया म लगे एसी ।
नीति बनाये, दुसर के देखा देखी ।।
बस नियम बनाय में हे मसगुल ...
बड़ दुखदायी ‘’गरमी मा स्कूल'' ...
// 7 //
साल के साल, गरमी ह बाढ़ही ।
अलग पसिया, अलग रइही साढ़ही ।।
कागज अउ भुइयाँ, झुलही रैचुल ...
बड़ दुखदायी ‘’गरमी मा स्कूल ''...
साल के साल, गरमी ह बाढ़ही ।
अलग पसिया, अलग रइही साढ़ही ।।
कागज अउ भुइयाँ, झुलही रैचुल ...
बड़ दुखदायी ‘’गरमी मा स्कूल ''...
// 8 //
जुलाई म सुरु फरवरी म अन्त
सुघ्घर समे हे बरसात ले बसंत
ये बात ल तुम करहु काबुल ...
बड़ दुखदायी ‘’गरमी मा स्कूल ''...
सुघ्घर समे हे बरसात ले बसंत
ये बात ल तुम करहु काबुल ...
बड़ दुखदायी ‘’गरमी मा स्कूल ''...
***** धनसाय यादव , पनगाँव *****
एक टिप्पणी – पागा कलगी 32 विषय – गरमी म स्कूल रचनाकार हे – सुखदेव सिंह अखिलेश्वर
जवाब देंहटाएंरचना म रचनाकार ह सरकार के आदेश , मध्यान्ह भोजन, मास्टर के मज़बूरी, दू चार लइका के स्कूल आना ये सब के बड सुघ्घर बर्ननन करे हे ‘’तिरवर तिपत घाम खोंदरा छुटत नइये ‘’ येमा तिरवर , तिपत , घाम जइसन छत्तीसगढ़ी सब्द के परयोग करे हे उहे घर म बोरे पेज पसिया बड पियाथे हमर छत्तीसगढ़ी धुपकाला के मौसम के खानपान के बरनन करे हे त एक सुघ्घर भाव दे हे कि जेठ म खुटी म बस्ता सुस्ताही।
धनसाय यादव, पनगाव