बुधवार, 17 मई 2017

पागा कलगी -33//5//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अँजोर"

देश के खातिर जीबो
विधा:-रोला छंद
भारत माता तोर,चरन के अमरित पीबो।
तन मन धन बल संग,देश के खातिर जीबो।
परन करत हन आज,तोर माटी ला छूके।
लाबो ओ सत् राज,बिना सुसताये रूके।
होही नवा बिहान,राज सुनता के आही।
जिनगी जाँगर चेत,सोझ रद्दा मा जाही।
भरही सबके पेट,सबो झन बने अघाहीं।
करके ओ परियास,सरग धरती मा लाहीं।
लालच भष्टाचार,मूड़ ला तोप लुकाहीं।
अपरिद्धा घूसखोर,आँख ला मूँद लजाहीं।
सत् भाखा सत् काज,सत्य मारग अपनाहीं।
जुग जिनगी के संग,मनुष मन बड़ हरषाहीं।
तोरे अन संतान,भटक गे हन ओ दाई।
होय समझ के फेर ,तभे माते करलाई।
दे दे ओ आशीष,चरन के पँइया लागौं।
अपरिद्धा पन छोड़,तोर सेवा बर जागौं।
रचना:-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अँजोर"
गोरखपुर,कवर्धा
9575582777
15/05/2017

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