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रविवार, 20 मार्च 2016

पागा कलगी -6//रामेश्वर शांडिल्य

//जूरमिल के खेलत हे होली//
लइका लइका के ये हर टोली
जूरमिल के खेलत हे होली।
हरियर पिउरा लाल चेहरा वाला।
रंग म रंगे हावय टेहराॅ वाला।
रंग गुलाल म पोताएं हे पूरा।
कोन हा टूरी कोन आये टूरा।
हांसत कूदत करत हे ठिठोली ।
लइका लइका खेलत हे होली।
लूका लूका के मारे पिचकारी
रंग गुलाल बर होवे मारामारी।
एक दुसर म जब रंग लगाथे
लइका के खुशी देखत भाथे।
नान नान लइका के मिठ बोली
मिलजूल के खेलत हावे होली।
रामेश्वर शांडिल्य
हरदीबाजार कोरबा

पागा कलगी क्र.6//अशोक साहू

।।मया पिरीत के होली।।

बैर कपट सब ईरसा छोड़
गोठियाबो मया के बोली।
हुडदंग करे के तिहार नोहय
मया पिरीत के होली।।
आनी बानी के रंग गुलाल
रंग बिरंगी पिचकारी।
नानहे लईका ल का कहिबे
सबो के हे तियारी।।
मांदर थाप म राहस नचईया
निकले हाबय गली गांव।
कोनो राधा कान्हा के रूप धरे
थिरकत हाबय सुग्घर पांव।।
बाजे नंगाडा के बोल धनाधन
चौक म सब जुरियाय।
बड नीक लागे होली गीत
फागुनवा रंग जमाय।।
लईका सियान सबो निकल गे
संगी साथी संग टोली मे।
गला मिल गुलाल लगावय
शोर परगे आज होली हे।।


अशोक साहू , भानसोज

पागा कलगी - 6//सूर्यकांत गुप्ता

लइकन रंग मा हें रंगे ( दोहा)
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भारत दाई तोर तो महिमा हवै अपार।
लइकन बर अब्बड़ हवै, मया दया अउ प्यार।।
हँसी खुसी बर तैं भरे, हर दिन अलग तिहार।
कातिक माँ तो रोसनी, होरी माँ रंग डार।।
फागुन मा बाढ़े रथे, ऋतु बसंत के जोस।
बइठे गावत फाग हें, खोवत हें जी होस।।
लइकइ ले प्रहलाद के, बाढ़िस प्रभु संग प्रीत।
ददा फुफू ला तार दिस, धरम के होइस जीत।।
लइकन रंग मा हें रंगे, हरियर पिंवरा रा लाल।
छलकत चेहरा ले खुसी, खेलत रंग गुलाल।।
किल्लत पानी के रथे, एकरो हवै खियाल।
पिचकारी ला छोड़ के, धरे अबीर गुलाल।।
आवैं इन लइका भले, काटैं सबके कान।
लइकन से कुछ सीख लइ, आवन भले सियान।।
होली के गाड़ा गाड़ा बधाई सहित....
जय जोहार....।।
रचनाकार - सूर्यकांत गुप्ता
1009, वार्ड नं. 21 सिंधिया नगर
दुर्ग (छ. ग.)

शुक्रवार, 18 मार्च 2016

पागा कलगी -6//संतोष फरिकार

"आज होरी तीहार ए"
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आज होरी तीहार हरय
पीचकारी म रंग भरय
संगी संग गुलाल खेलय
ईही म मया बाढ़य
आज होरी तीहार ए
सबो के सुरता आथे
सबके मथा म टीका लगाथे
संगी के मया बाढ़य
ईही होरी के चिन्हा हरय
आज होरी तीहार ए
रात भर होरी जलावत
दिन म सबो नहावत
मया के गोठ गोठीयावत
सबो झन मजा ऊड़़ावत
आज होरी तीहार ए
नानपन म होरी खेलत
एक दुसर म रंग लगावत
सबो सुख ल पावत
जमो संगी संग मिलत
आज होरी तीहार ए
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रचना - संतोष फरिकार (मयारू)
ग्राम - देवरी भाटापारा
जिला - बलौदाबाजार

पागा कलगी -6 //आचार्य तोषण

"होरी"
होरी आए होरी आए
तन मन घलो हरसाए।
होरी तिहार बड़ अलबेला
जम्मो जगा सुख सकलाए।।
प्रेम भाव ले गुझिया खाए
सबला अबीर गुलाल लगाए।
नाचय गावय सब मस्ती मा,
छै छै जोड़ी नंगारा बजाए।।
घर-घर देखव घूमत हावय
गावत फाग बजावत टोली।
लगाय गुलाल कहे प्रेम से,
बुरा झन मानौ आज हे होली।।
होरी मा धंधाय कृष्ण हा
रंगन के बउछार परत हे।
धरे भर-भर पिचका हाथ
एक दुसर के पाछु दउड़त हे।
दुनिया देख कतिक गजब
रंग ले भरे हावय पिचकारी।
हरिहर पिंयर कंहूकर नीला
जइसे दिखय सुघर फुलवारी।।
भुइंय्या मा फाग बरसगे
भंउरा के गुनगान हे होरी।
ढोल नंगारा के सरगम जागय,
सरसों के मुसकान हे होरी।।
जात पात सबला भुलावय
होरी देवय सबला सममान।
भाईचारा के भाव जगावय
देवय जिनगी के पहिचान।।
-आचार्य तोषण

पागा कलगी -6//अमन चतुर्वेदी

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मया के होरी
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आगे हवय फागुन
घर दुवार सजा लेबो
दुख पीरा बिसरा के
होरी ला मना लेबो
ननपन के सुरता आथे
रहि रहि मन उहें भागे
गुरतुरिहा गोठिया लेबो
होरी ला मना लेबो
प्रेम रंग अबीर हे
मया रंग गुलाल हे
इही म दुख बिसरा लेबो
होरी ला मना लेबो
घर दुवार तो अपनेच हरय
पर के पीरा तान लेबो
भेद भाव ला छोड़ संगी
होरी ला मना लेबो
कचरा होवत हे हमर घर मे
बिपदा आवत हे छत्तीसगढ़ मे
जुरमिल सोरिया लेबो
होरी ला मना लेबो
काबर रुख राई ला कांटन
धरती के सिंगार ला छांटन
उदीम कोनो लगा लेबो
होरी ला मना लेबो
दुनिया भर के घुरवा होगे
हमर राज म बिघन होगे
संगी मन ला बला लेबो
होरी ला मना लेबो
अटल बुद्धी के पटल कहे
काबर कोनो दुख ला सहे
जम्मो कचरा ला जला देबो
होरी ला मना लेबो
मन के मुटाव बिसरावव
सबोच ला अपन मानव
सब ला गला लगा लेबो
होरी ला मना लेबो
पानी बर दुनिया तरसत हे
जीव जंतु सबो तड़फत हे
चलव आज पानी बचा लेबो
होरी ला मना लेबो
सबके हम मित बनन
जग म नवा नांव गढ़न
काज अइसन कर देबो
होरी ला मना लेबो
बइरी मन के पांव पसरगे
हमर धान कटोरा म
ये बइरी ला उठा देबो
होरी ला मना लेबो
सुघ्घर हरियर हमर राज
राज दुलारी के लगे हे ताज
उही ताज म कलगी लगा लेबो
होरी ला मना लेबो
मिट जाबो दाई तोर आन बर
लहु बोहा देबो ये सम्मान बर
बइरी ला बता देबो
होरी ला मना लेबो
होरी ला मना लेबो
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रचना - अमन चतुर्वेदी (अटल)
ग्राम - बड़गांव डौंडी लोहारा
जिला - बालोद, छत्तीसगढ़