शुक्रवार, 18 मार्च 2016

पागा कलगी -6//अमन चतुर्वेदी

----------------------------------------
मया के होरी
-----------------------------------------
आगे हवय फागुन
घर दुवार सजा लेबो
दुख पीरा बिसरा के
होरी ला मना लेबो
ननपन के सुरता आथे
रहि रहि मन उहें भागे
गुरतुरिहा गोठिया लेबो
होरी ला मना लेबो
प्रेम रंग अबीर हे
मया रंग गुलाल हे
इही म दुख बिसरा लेबो
होरी ला मना लेबो
घर दुवार तो अपनेच हरय
पर के पीरा तान लेबो
भेद भाव ला छोड़ संगी
होरी ला मना लेबो
कचरा होवत हे हमर घर मे
बिपदा आवत हे छत्तीसगढ़ मे
जुरमिल सोरिया लेबो
होरी ला मना लेबो
काबर रुख राई ला कांटन
धरती के सिंगार ला छांटन
उदीम कोनो लगा लेबो
होरी ला मना लेबो
दुनिया भर के घुरवा होगे
हमर राज म बिघन होगे
संगी मन ला बला लेबो
होरी ला मना लेबो
अटल बुद्धी के पटल कहे
काबर कोनो दुख ला सहे
जम्मो कचरा ला जला देबो
होरी ला मना लेबो
मन के मुटाव बिसरावव
सबोच ला अपन मानव
सब ला गला लगा लेबो
होरी ला मना लेबो
पानी बर दुनिया तरसत हे
जीव जंतु सबो तड़फत हे
चलव आज पानी बचा लेबो
होरी ला मना लेबो
सबके हम मित बनन
जग म नवा नांव गढ़न
काज अइसन कर देबो
होरी ला मना लेबो
बइरी मन के पांव पसरगे
हमर धान कटोरा म
ये बइरी ला उठा देबो
होरी ला मना लेबो
सुघ्घर हरियर हमर राज
राज दुलारी के लगे हे ताज
उही ताज म कलगी लगा लेबो
होरी ला मना लेबो
मिट जाबो दाई तोर आन बर
लहु बोहा देबो ये सम्मान बर
बइरी ला बता देबो
होरी ला मना लेबो
होरी ला मना लेबो
………………………………………………
रचना - अमन चतुर्वेदी (अटल)
ग्राम - बड़गांव डौंडी लोहारा
जिला - बालोद, छत्तीसगढ़

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें